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नौकरी पाने के लिए युवाओं की जिंदगी दांव पर

जासं, इलाहाबाद : एक ओर निर्मम सरकारी तंत्र है तो दूसरी ओर बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा। बस किसी

By Edited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 08:33 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 08:33 PM (IST)
नौकरी पाने के लिए युवाओं की जिंदगी दांव पर

जासं, इलाहाबाद : एक ओर निर्मम सरकारी तंत्र है तो दूसरी ओर बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा। बस किसी तरह नौकरी मिल जाए इसलिए युवा अपनी जान तक जोखिम में डाल रहे हैं तो सरकारी तंत्र पूरी क्रूरता से उनसे ऐसे ही काम करवा रहा है। इलाहाबाद मे सफाईकर्मियों की व्यवहारिक परीक्षा में यह नजारा रोंगटे खड़े कर देता है।

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इलाहाबाद नगर निगम में सफाई कर्मचारी बनने के लिए एक लाख सात हजार से ज्यादा बेरोजगारों ने आवेदन कर रखा है। नगर निगम ने पांच दिसंबर से इनकी व्यवहारिक परीक्षा शुरू कर दी है। व्यवहारिक परीक्षा महज इसलिए कराई जा रही ताकि ये समझा जा सके कि कहीं ये युवा सफाई जैसे काम से मुंह तो नहीं चुराएंगे। मगर इस परीक्षा के नाम पर युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्हें शहर के गंदे नालों में कुदाया जा रहा है, जबकि उन्हें पहनने के लिए मास्क, जूते और दस्ताने तक नहीं दिए जा रहे हैं। इन युवाओं को इस भीषण ठंड में सीने तक भरे गंदे नाले में नंगे पांव उतारा जा रहा है। ऐसे में नौकरी तो इसमें से किसे मिलेगी यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन बीमारी मिलने के आसार पूरे हैं। इसके साथ ही ठंड या अन्य किसी वजह से हादसे के भी पूरे आसार हैं। नौकरी की आस लिए आए ये युवा तो इस बात पर कुछ बोलने को तैयार नहीं होते, लेकिन अफसरों के जवाब बेहद गैरजिम्मेदाराना हैं। उधर, पार्षद शिवसेवक सिंह ने नगर आयुक्त शेषमणि पांडेय से मिलकर भर्ती के इन तौर तरीकों पर ऐतराज जताया है और हादसे की आशंका जताई है।

तो 428 दिन चलेगी परीक्षा

इलाहाबाद : नगर निगम इलाहाबाद में 1.07 लाख युवाओं की परीक्षा सफाईकर्मी के लिए कराई जा रही है। नगर निगम ने प्रति दिन 250 युवाओं की परीक्षा लेना निर्धारित किया है। इस तरह देखें तो यह परीक्षा कम से कम 428 दिनों में संपन्न होगी। तब तक परीक्षा का रिजल्ट क्या होगा, या इस भर्ती को लेकर सरकार का क्या रुख रहता है। यह विचार का मुद्दा है। ऐसे में जान का खतरा मोल ले रहे इन युवाओं के साथ सरकारी तंत्र की मनमानी पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

ये उपकरण हैं जरूरी

नगर निगम में संविदा पर तैनात स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अरुण कुमार की मानें तो नाले में उतरने वाले एक सफाई कर्मचारी को गम बूट, दस्ताने, मास्क आवश्यक होता है।

सुनिये अधिकारी का तर्क

इलाहाबाद : परीक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले नगर निगम के प्रभारी अधिकारी अधिष्ठान पीके मिश्र कहते हैं कि यह चेक किया जा रहा है कि इन लोगों की मानसिकता गंदी से गंदी चीज साफ करने की है या नहीं। इसलिए उन्हें नाले में कुदाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नाला सफाई में दस्ताने व मास्क की जरूरत नहीं होती। अब जिसे घोड़े से गिरने का डर हो, उसे घुड़सवारी करनी ही नहीं चाहिए।

मेयर भी ऐसी परीक्षा के हक में

इलाहाबाद : भले ही सफाईकर्मियों की परीक्षा खतरों से भरी हो, लेकिन मेयर अभिलाषा गुप्ता इसे सही ठहराती हैं। वे कहती हैं कि असल में जो वर्ग सफाई करता है, उसी की भर्ती होनी चाहिए। लेकिन बेरोजगारी की वजह से सामान्य वर्ग के बच्चे भी आवेदन कर रहे हैं, यह लोग बाद में सफाई नहीं करते। इसलिए ऐसा टेस्ट जरूरी है। ताकि बाद में सफाई में दिक्कत न हो।


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