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'अतीत को वर्तमान से जोड़ता है उपन्यास'

जासं, इलाहाबाद : इतिहास अतीत का लेखा है और उपन्यास अतीत को वर्तमान से जोड़ता है। ¨हदी में वृंदावन लाल

By Edited By: Published: Sat, 13 Feb 2016 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 01:01 AM (IST)

जासं, इलाहाबाद : इतिहास अतीत का लेखा है और उपन्यास अतीत को वर्तमान से जोड़ता है। ¨हदी में वृंदावन लाल वर्मा और उसके बाद के कई उपन्यासकारों ने इतिहास के संदर्भ में उपन्यास लिखा। वह परंपरा आज भी वैसे ही चलती आ रही है। यह बातें शुक्रवार को ¨हदी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डा.कन्हैया सिंह ने कहीं।

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¨हदुस्तानी एकेडमी में डा.कन्हैया ने '¨हदी के ऐतिहासिक उपन्यासों में इतिहास तत्व का निर्वाह' विषय पर बोलते हुए कई उपन्यासकारों और इतिहासकारों के बारे में बताया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.हरिनारायण दुबे ने ऐतिहासिक उपन्यासों में इतिहास तत्व का विश्लेषण किया। कहा इतिहास ही समस्त ज्ञान की जननी है। 18वीं शताब्दी के पहले जो इतिहास था, उसका स्वरूप आज काफी कुछ बदल चुका है। विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और तिथियों का भी जिक्र किया। डा.सुधाकर अदीब ने कहा की ऐतिहासिक उपन्यासकारों का दोहरा दायित्व होता है। इसलिए उन्हें अधिक सजग होने की जरूरत है। इसके पूर्व एकेडमी के सचिव बृजेश चंद्र ने अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी का संचालन करते हुए एकेडमी के कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह ने इतिहास और उपन्यास के कई दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। आरबी द्विवेदी, हरिमोहन मालवीय, रामनरेश तिवारी, दीनानाथ शुक्ल, हरिशंकर तिवारी, प्रो.रामकिशोर शर्मा, डा.शांति चौधरी, डा.फाजिल हाशमी, डा.किरन शर्मा, दया शंकर पांडेय, डा.डीके राय, डा.जूही शुक्ला, डा.त्रिवेणीदत्त आदि मौजूद रहे।


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