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परेड ग्राउंड में बनेगा मेट्रो जंक्शन

जासं, इलाहाबाद : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की घोषणा का असर दिखने लगा है। गुरुवार को कमिश्नर के सामने म

By Edited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 01:03 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 01:03 AM (IST)
परेड ग्राउंड में बनेगा मेट्रो जंक्शन

जासं, इलाहाबाद : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की घोषणा का असर दिखने लगा है। गुरुवार को कमिश्नर के सामने मेट्रो रेल का खाका खींच गया तो शुक्रवार को अधिकारियों की टीम ने स्थलीय निरीक्षण भी कर लिया। निरीक्षण में यह तय हुआ कि परेड ग्राउंड में मेट्रो का जंक्शन बनेगा।

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इलाहाबाद स्मार्ट सिटी तो घोषित हो गया लेकिन बिना मेट्रो कैसे यह शहर स्मार्ट होगा। यह सवाल बुधवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सड़वा गांव में हुए कार्यक्रम में उठाया था। तभी उन्होंने मंच से इलाहाबाद के लिए मेट्रो रेल चलवाने की घोषणा कर दी। कार्यक्रम से जाते वक्त उन्होंने कमिश्नर राजन शुक्ला से कहा कि मेट्रो रेल का प्रोजेक्ट बनाकर भेजें। आदेश मिलते ही उन्होंने गुरुवार को बैठक की और मेट्रो रेल का एक खाका तैयार कर दिया। शुक्रवार को टाउन प्लान पीके सोलंकी, रोडवेज के एसएम जयदीप वर्मा और नगर निगम के इंजीनियर लोकेश जैन व राजीव ने मेट्रो रेल के लिए स्थलीय निरीक्षण किया। इन अधिकारियों की दिनभर प्रतापगढ़ से नैनी, मनौरी से झूंसी सहित सभी रूटों का जायजा लिया। पहले चरण में 88.80 किलोमीटर की मैट्रो रेल लाइन बिछाई जाएगी।

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पुलों पर रहेगा मेट्रो ट्रैक

स्थलीय निरीक्षण कर रही टीम ने बताया कि यहां अंडरग्राउंड मेट्रो नहीं होगी। मेट्रो ट्रेन पुलों पर चलेगी। उत्तर दक्षिण और पूर्व पश्चिमी की दिशा में चलने वाली मेट्रो का जंक्शन परेड ग्राउंड में बनाया जाएगा। यहां पर ऊपर नीचे दो प्लेटफार्म होंगे। यहां पर जगह भी पर्याप्त है। टीम ने बताया कि गुरुवार को जो निर्धारित हुआ है रूट वही रहेगा। उन्होंने बताया कि 10 सितंबर तक वह कमिश्नर को रिपोर्ट सौंप देंगे। इसके बाद यह रिपोर्ट लखनऊ जाएगी और फिर वहां से आगे की प्रक्रिया तय होगी।

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क्यों जरूरी है मेट्रो रेल

2011 की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद शहर की आबादी 12 लाख से अधिक है। यहां केवल इलाहाबाद ही नहीं पूर्वाचल के कई जिलों के लोगों का आना-जाना रहता है। वहीं प्रदेश स्तरीय कई कार्यालय और धार्मिक स्थल होने के कारण प्रदेश और देशभर के लोग यहां आते हैं। ऐसे में यहां पर भीड़ बढ़ी है, इससे लोगों को जाम और प्रदूषण से जूझना पड़ रहा है। वैसे यह मेट्रो केवल इलाहाबाद ही नहीं प्रतापगढ़ और कौशांबी को जोड़ते हुए बन रही है।

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चाहिए श्रीधरन जैसा अधिकारी

1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था। रेलवे ने उसके दुबारा निर्माण के लिए छह महीने का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के प्रभारी ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी ई श्रीधरन को सौंपी गई। श्रीधरन ने मात्र 45 दिनों के भीतर काम करके दिखा दिया। भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक रेलवे सेवा कोंकण रेलवे के पीछे भी श्रीधरन की कार्यप्रणाली रही है। भारत की पहली मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो की योजना भी उन्हीं की देन है। श्रीधरन की मेधा, योजना और कार्यप्रणाली के चलते ही दिल्ली मेट्रो का काम निर्धारित समय से पहले पूरा हो गया था। इलाहाबाद में निर्धारित समय में मेट्रो चलाना है तो प्रदेश सरकार को ई श्रीधरन जैसे कर्मठ अधिकारी की जरूरत होगी।


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