बाक्स--शुरू हुई 'डॉक्टर-इंजीनियर' बनने की जंग
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : बोर्ड परीक्षाएं हो चुकी है और सभी को परिणाम का इंतजार है। परिणाम का इंतजार किए बगैर विद्यार्थियों ने अपने भविष्य को नया आकार देने की तैयारी शुरू कर दी है। हर कोई अपने कॅरियर के लिए विकल्पों पर तैयारी कर रहा है। कुछ ने निर्णय ले लिया है तो कुछ अभी भी उधेड़बुन में हैं। इलाहाबाद समेत हिंदी पट्टी के अभिभावक बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनाने के लिए परीक्षा के समर में कूदने को तैयार कर रहे है। वहीं तमाम अभिभावक ऐसे भी हैं जिन्होंने कॅरियर के चयन का सवाल बच्चों पर ही छोड़ दिया है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के तीस लाख इंटरमीडिएट छात्रों समेत लगभग चालीस लाख विद्यार्थी अपने भविष्य निर्माण के लिए जुट गए हैं। छात्रों की भारी फौज मेडिकल-इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों तक पहुंच रही है। पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन के साथ-साथ खुद को साबित करने के लिए जूझ रहे युवा एक साथ कई दबाव से गुजर रहे हैं।
क्या कहते हैं परामर्शदाता
- कॅरियर का चुनाव ऐसा करें जिसमें आपको खुशी मिले। जो काम करने में आपको सबसे ज्यादा प्रसन्नता मिलती हो उसी से जुड़े क्षेत्र में कॅरियर बनाए। इसके लिए आप अपनी रुचियों को आधार बना सकते हैं।
- कॅरियर का चयन करते समय कभी किसी के दबाव और अभिभावकों की ललक को पूरा करने में न जुट जाएं। अभिभावकों को भी बच्चों के कॅरियर का चयन करते समय लचीला रवैया अपनाना चाहिए। याद रखें एक बार अभिभावकों को खुश करने के लिए कॅरियर तो चुन लेंगे लेकिन अगर असफल हुए तो आप और अभिभावकों दोनों को परेशानी होगी।
- बोर्ड परीक्षाओं या पढ़ाई के दौरान मिले अंक महज आपकी सक्रियता का प्रदर्शन करते हैं। बोर्ड परीक्षाओं के अंक महज पाठ्यक्रम आधारित होते हैं। उनसे आपकी प्रतिभा का ठीक ठीक आंकलन संभव नहीं होता। ऐसे में परीक्षाओं में मिले अंकों को अपने लिए चुनौती न मानें।
- हर व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता अलग-अलग होती है। हर कोई विशिष्ट प्रतिभा रखता है। पढ़ाई के दौरान अच्छे अंक लाने के लिए मेहनत की जानी चाहिए क्योंकि मेहनत को कोई विकल्प नहीं है।
- जो विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने जा रहे हैं उसके लिए सबसे पहले अपनी क्षमता का स्वयं आंकलन करें। डॉक्टर, इंजीनियर बनना न आसान काम है और न ही कठिन काम है। वास्तव में यह एक मन:स्थिति है। अगर आपकी रुचि है तो आप तभी इंजीनियर या डॉक्टर बन सकते हैं। मनोविज्ञानशाला में समय-समय पर अपनी अभिरुचि के आंकलन के कार्यशाला का आयोजन करना चाहिए।
- असफल होने पर खुद को धिक्कारना नहीं चाहिए उन कारणों का पता करना चाहिए जिससे असफलता मिली। धिक्कारने में खर्च करने वाली उर्जा को अपनी आलोचना में खर्च करना चाहिए। इससे खुद को तैयार करने के लिए सोचने का मौका मिलता है।
- डॉ. कमलेश तिवारी, वरिष्ठ परामर्शदाता एवं कॅरियर काउंसलर, मनोविज्ञान शाला इलाहाबाद।