यमुना उफान पर, बाढ़ का खतरा, हथिनी कुंड से छोड़ा पानी Aligarh News
यमुना में हरियाणा के हथिनी कुंड से 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गंगा में हरिद्वार बैराज से 3.12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मंगलवार रात तक पानी के अलीगढ़ पहुंचने की संभाव
अलीगढ़ (जेएनएन)। पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश से गंगा-यमुना में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। यमुना में हरियाणा के हथिनी कुंड से 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गंगा में हरिद्वार बैराज से 3.12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मंगलवार रात तक पानी के अलीगढ़ पहुंचने की संभावना है। प्रशासन सतर्क हो गया है। खैर के एसडीएम व सीओ ने टप्पल क्षेत्र में यमुना किनारे बसे गांवों महाराजगढ़, पीपरी व शेरपुर में मुनादी भी करा दी। कलक्ट्रेट में कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया गया है।
यमुना की स्थिति
यमुना में खतरे का निशान 200 मीटर पर है। सोमवार को यहां पानी 197 मीटर पर था। यह खतरे के निशान से तीन मीटर नीचे है। दो दिन पहले हरियाणा के हथनीकुंड से 8.28 लाख पानी छोड़ गया है। यमुना में जल स्तर बढऩे लगा है। प्रशासनिक अफसरों की मानें तो एक-दो दिन में पानी खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है। सभी विभागों को अलर्ट जारी कर दिया गया है। महाराजगढ़, पीपरी व शेरपुर के लोगों को गांव छोडऩे के लिए तैयार रहने के निर्देश दे दिए गए हैं। टप्पल मंडी में बाढ़ चौकी बना दी गई है।
गंगा में अभी नियंत्रित
गंगा में खतरे का निशान 178 मीट पर है। यहां 177 मीटर पर पानी है। यह खतरे के निशान से एक मीटर नीचे है, लेकिन रविवार को हरिद्वार बैराज से 3.12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। अगर आधा पानी भी यहां आता है तो फिर यहां भी खतरे के निशान को छू सकता है। हालांकि प्रशासन यहां स्थिति नियंत्रित होने का दावा कर रहा है।
महाराजगढ़, शेरपुर व पीपरी वालों को किया सावधान
जट्टारी में एसडीएम खैर पंकज कुमार व सीओ ने यमुना किनारे बसे गांवों का भ्रमण किया। घरबरा के माजरा महाराजगढ़, पीपरी व शेरपुर में मुनादी कराई गई। लोगों से कहा गया कि बाढ़ आने से पहले ही तैयारी कर लें। पशुओं के लिए चारे का इंतजाम कर लें। एसडीएम ने बताया कि हथिनी कुंड से छोड़ा गया पानी मंगलवार देर रात तक टप्पल पहुंच जाएगा। महाराजगढ़ व पखोदना में बाढ़ चौकी बनाई गई हैं। स्थायी बाढ़ चौकी टप्पल के थाने व मंडी में बनाई गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अफसर बाढ़ के समय ही आते हैं। उसके बाद कोई नहीं आता। कई बार अफसरों ने गांव को दूसरी जगह शिफ्ट करने का आश्वासन दिया है, लेकिन हुआ कुछ नहीं। हमें हर वर्ष बाढ़ का सामना करना पड़ता है। यमुना में इतना पानी 1978 में हथिनीकुंड से छोड़ा गया था।