Move to Jagran APP

World Turtle Day 2022 : गंगा नदी में बढ़ेगा कछुओं का कुनबा, हेचरी में रखे जाएंगे अंडे, नर्सरी में पलेंगे शिशु कछुए

World Turtle Day 2022 अलीगढ़ में गंगा के 17 किलोमीटर के दायरे में कछुआ संरक्षण केंद्र स्‍थापित किए जाएंगे। वन विभाग और सरकार ने गंगा नदी में कछुओं का कुनबा बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। प्रोजेक्‍ट में डब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूएफ का भी सहयोग लिया जाएगा।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 09:28 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 09:44 AM (IST)
World Turtle Day 2022 : गंगा नदी में बढ़ेगा कछुओं का कुनबा, हेचरी में रखे जाएंगे अंडे, नर्सरी में पलेंगे शिशु कछुए
विश्व कछुआ दिवस 2022 : अलीगढ़ में गंगा के किनारे बनाए जाएंगे कछुआ संरक्षण केंद्र।

विनोद भारती, अलीगढ़। वन विभाग और सरकार ने गंगा नदी में कछुओं का कुनबा बढ़ाने की कवायद शुरू की है। गंगा हरीतिमा अभियान के अंतर्गत अब गंगा के किनारों पर कछुआ संरक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे। दायरे में जनपद का 17 किलोमीटर लंबा गंगा क्षेत्र आएगा। यहां हेचरी (कछुओं के अंडे रखने के लिए) व नर्सरी (पालन पोषण के लिए) बनाई जाएंगी। प्रोजेक्ट में वर्ल्ड वाइड फंड फार नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) का भी सहयोग लिया जाएगा। बरसात के बाद हेचरी के लिए नए टापू चिह्नित किए जाएंगे। 

loksabha election banner

गंगा में दुर्लभ प्रजाति के कछुओं के होने की संभावना  

प्रभागीय निदेशक (वन) दिवाकर कुमार वशिष्ठ ने बताया कि गंगा नदी को स्वच्छ बनाने, जलीय जीवों के संरक्षण व आसपास के क्षेत्र को रमणीय बनाने के लिए सरकार ने गंगा हरीतिमा समेत कई योजनाएं शुरू की हैं। इसके अंतर्गत अनेक जनपदों में कछुआ संरक्षण केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। अलीगढ़ में भी वन विभाग ने केंद्र बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। करीब छह माह पूर्व वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया व राज्य वन विभाग की संयुक्त टीम ने बिजनौर से प्रयागराज तक डाल्फिन सर्वे किया। इस दौरान गंगा नदी में कछुओं की उपस्थिति पाई गई। संभावना है यहां कई दुर्लभ प्रजाति के कछुए भी हो सकते हैं।

कछुओं का शिकार, अंडे भी नष्ट

मादा कछुआ गंगा के किनारे रेतीली परत को खोदकर उसमें अंडे देती है। मादा कछुआ एक बार में 30 तक अंडे दे सकती है। अंडे देने के बाद उसे रेत-मिट्टी आदि से ढक देती है, ताकि वे सुरक्षित तो रहे हीं, गर्मी से बच्चों का जन्म हो सके। लेकिन, कई बार गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने से अंडे नष्ट हो जाते हैं तो कई बार जानवर भी उन्हें नष्ट कर देते हैं। गंगा नदी से कछुआ का शिकार भी खूब होता है। लेकिन कछुआ संरक्षण केंद्र बनने से ऐसा नहीं होगा।

ऐसे होगा संरक्षण

प्रभागीय निदेशक ने बताया कि कछुओं के अंडों को गड्डों से निकालकर हेचरी में सुरक्षित किया जाएगा। हेचरी इस तरह डिजाइन होती है कि पर्याप्त गर्मी रहे, ताकि अंंडों से बच्चे बाहर आ सकें। अंडे फूटने के बाद बच्चों को इकट्ठा करके नर्सरी में रखा जाएगा। नर्सरी में एक छोटा तालाब व उसके आसपास रेतीला इलाका बनाया जाता है, जिससे उन्हें गंगा का एहसास होता रहा। नर्सरी में उनके खाने-पीने का बंदोबस्त होता है। सात-आठ माह तक वे नर्सरी में पलते-बढ़ते हैं। इसके बाद उन्हें गंगा नदी में छोड़ दिया जाता है। इस तरह सालभर में गंगा में ही गंगा नदी के अंदर कछुओं का कुनबा कई गुना बढ़ जाएगा। कछुओं का जीवनकाल 300-400 वर्ष तक होता है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम को सर्वे के लिए पत्र लिख दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.