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महिलाओं अब तक सशक्तीकरण, लैंगिक न्याय व समानता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पायीं Aligarh news

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केजी बालाकृष्णन ने कहा कि भारत में पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं को सत्ता में 1/3 अनुपात में भागीदारी प्रदान की गई है।

By Parul RawatEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 10:01 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 10:01 PM (IST)
महिलाओं अब तक सशक्तीकरण, लैंगिक न्याय व समानता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पायीं Aligarh news

 अलीगढ़, [जेएनएन]। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि विभाग के डाक्टर अंबेडकर चेयर आॅफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च व भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय के डाक्टर अंबेडकर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में “भारत में महिला सशक्तीकरण तथा लैंगिक न्यायः समस्यायें एवं चुनौतियां“ विषय बुधवार को पर राष्ट्रीय वेबिनार हुई। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केजी बालाकृष्णन ने कहा कि भारत में पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं को सत्ता में 1/3 अनुपात में भागीदारी प्रदान की गई है। लेकिन आज भी विभिन्न प्रदेशों में महिलाओं को प्राप्त सत्ता की सहभागिता का फल उनके पति अथवा पिता भोग रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में महिलाओं के सशक्तीकरण, लैंगिक न्याय एवं समानता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

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महिलाओं के सामाजिक दर्जे में काफी अतंर

जस्टिस बालाकृष्णन ने कहा कि राजनीति, शिक्षा व अर्थव्यवस्था सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को सहभागिता देने व उनको समानता और न्याय के आधार पर पुरूषों के समकक्ष स्थापित करने के प्रति एक चहुमुखी नीति अपनाने की आवश्यकता हैै। एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि विकसित देशों व विकासशील देशों की महिलाओं के सामाजिक दर्जे में काफी अतंर है। समाज के सभी वर्गो को इस अतंर को पाटने का प्रयास करना होगा। महिलाओं के सशक्तीकरण और सामाजिक न्याय की प्राप्ति के लिए बहुत किया गया है।

डाक्टर अंबेडकर फाउंडेशन, भारत सरकार के निदेशक डाॅ. दिबेंद्र प्रसाद माझी ने कहा कि इस फाउंडेशन की स्थापना डाक्टर अंबेडकर के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए व उनके सामाजिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए की गयी है।एएमयू में डाक्टर अंबेडकर चेयर की स्थापना 1992 में की गई थी। इस केंद्र ने डॉक्टर अंबेडकर से संबंधित अध्ययन व शोध की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। जिनमें अंग्रेजी से उर्दू में रूपातंरण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस वेबिनार का उद्घाटन विधि विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर जहीरउद्दीन ने किया। प्रोफेसर मुहम्मद अशरफ, डॉ. मुहम्मद नासिर तकनीकी सत्रों के अध्यक्ष व सह अध्यक्ष थे। 

इस मौके पर एमजीएस विश्वविद्यालय बीकानेर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर वी तायल, जीडी गोयनका विश्वविद्यालय सोहना हरियाणा के सहकुलपति प्रोफेसर तबरेज अहमद, एएमयू महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रोफेसर अजरा मूसवी व जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विधि संकाय के अध्ष्ठिाता प्रोफेसर इकबाल हुसैन ने रिसोर्स पर्सन की भूमिका निभाई।


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