अलीगढ़ में बरसा रंग, उड़ा गुलाल, दोपहर बाद तक होली की मस्ती में डूबे रहे लोग
जिले में होलिका दहन के साथ ही होली पर्व शुरू हो गया। सेंटर प्वाइंट स्थित टीकाराम मंदिर में रात नौ बजे होलिका दहन किया गया। अबीर-गुलाल लगाकर लोगों ने एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दीं।
अलीगढ़ (जेएनएन)। आज ब्रज में होली रे रसिया जैसे गीतों की धुन पर नाचते और गुलाल व रंग उड़ाते युवाओं की टोली की मस्ती गुरुवार को दिनभर नजर आई। पूरे जिले में बुधवार की रात होलिका दहन के बाद से होली की धूम शुरू हो गई। गुरुवार की दोपहर तक रंग बरसा। इस दौरान एक दूसरे को गले लगा होली की शुभकामनाएं दी गईं।
रंग हुए सब सराबोर
होली के रंग में गुरुवार को पूरा शहर रंग उठा। पुराने शहर से लेकर नये शहर तक हर तरफ रंग ही रंग दिखाई दिया। दोपहर होते ही होली का उत्सव अपने सवाब पर था। पुराना शहर तो टेसू के फूलों के रंगों में डूब चुका था। इधर, रामघाट रोड पर किशनपुर तिराहे से लेकर मीनाक्षी पुल तक जमकर रंग चल रहा था। सासनी गेट, सुदामापुरी, विष्णुपुरी, नगला तिकोना, चंदनिया, नौरंगाबाद, छावनी, सासनीगेट, रघुवीरपुरी, मसूदाबाद आदि क्षेत्रों में लोग रंगों में डूबे हुए थे। बच्चे घरों की छतों से पिचकारी से रंगों की बौछार मार रहे थे। कुछ जगहों पर डीजे की धुन पर लोग थिरकना शुरू दिया। दोपहर बाद तक होली की मस्ती में सभी सराबोर हो गए।
हुरियारों ने मचाया हुड़दंग
बुधवार की दोपहर बाद से ही होली का रंग शहर में छाने लगा था, लेकिन गुरुवार को होली का रंग चारो ओर दिखाई दिया। हुरियारों ने जमकर रंग खेला और धमाल मचा दिया। शहर में सामाजिक संस्थाओं ने जहां रंगों के पर्व को धूमधाम से मनाया वहीं छुट्टी होने पर विद्यार्थियों ने जमकर धमाल मचाया। अब तो अबीर-गुलाल के रंगे हर चेहरे दिखाई देने लगे हैं।
खूब मचाया धमाल
जेसीआइ क्लब अलीगढ़ की टीम ने भी खूब धमाल मचाया। रामकुमार शर्मा, गौरव शर्मा ने सभी को होली की बधाई दी। राजा गार्डन में लाक्स एंड हार्डवेयर निर्यातक की ओर से होली उत्सव धूमधाम से मनाया गया। बीआर गार्डन में भी होली उत्सव में छात्र रंगों से सराबोर हो गए। उधर, सरकारी कार्यालयों में भी छुट्टी होने के बाद स्टाफ के साथ जमकर धमाल मचाया। सामाजिक संस्था कल्प सोसायटी, इनरव्हील क्लब ऑफ अलीगढ़ पहल आदि स्थानों पर भी होली मिलन उत्सव मनाया। कलक्टे्रट, नगर निगम, विकास भवन, एडीए, कृषि विभाग, पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड, जल निगम आदि में एक-दूसरे पर जमकर रंग लगाया गया।
यह है होला मोहल्ला का इतिहास
धर्म प्रचारक भूपिंदर सिंह ने कहा कि सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने होलगढ़ नामक स्थान पर पहली बार होला महल्ला मनाया। इस अवसर पर सिखों को शस्त्र चलाने में महारत हासिल करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद से होला महल्ला सिखों के लिए अहम पर्व बन गया। क्योंकि होली के दिन लोग एक-दूसरे पर कीचड़ फेंकते हैं, लड़ाई झगड़ा करते हैं। इसलिए इसे न मनाने का निर्णय लिया। होला महल्ला के दिन सिखों को दल बनाकर आपस में मनसूई (नकली) युद्ध करने की रियासत जारी की। एक दल किला होलगढ़ पर काबिज हो जाता था, दूसरा दल युद्ध करके उस किले को छुड़ाने की कोशिश करता था। इस तरह से जंगबाजी की युक्तियां तथा पैतरेबाजी सीखी जाती थी।