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बच्चों पर विंटर डायरिया का अटैक, ऐसे करें बचावAligarh News

कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इसका सबसे ज्यादा असर नवजात शिशुओं व अन्य बच्चों पर पड़ रहा है। सर्दी खांसी निमोनिया के बाद अब विंटर डायरिया ने भी सेहत पर अटैक शुरू कर दिया है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 01:47 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 04:41 PM (IST)
बच्चों पर विंटर डायरिया का अटैक, ऐसे करें बचावAligarh News

अलीगढ़ [जेएनएन]। कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इसका सबसे ज्यादा असर नवजात शिशुओं व अन्य बच्चों पर पड़ रहा है। सर्दी, खांसी, निमोनिया के बाद अब 'विंटर डायरिया' ने भी सेहत पर अटैक शुरू कर दिया है। कुछ दिनों में ही सरकारी व निजी डॉक्टरों के पास उल्टी-दस्त से ग्र्रस्त बच्चों की संख्या बढ़ गई है। रोटा वायरस भी इसी मौसम में हमला करता है। विशेषज्ञ माता-पिता को बचाव व उपचार के लिए टिप्स दे रहे हैं।

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विक्रम कॉलोनी स्थित किलकारी हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास मेहरोत्रा ने बताया कि विंटर डायरिया एक साल से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। यह इतना घातक है कि बच्चा तेजी से डीहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) में चला जाता है, जो कई बार जानलेवा साबित होता है। इसमें पानी जैसे दस्त होते हैं।

ज्यादा कारगर नहीं दवाएं

 डॉ. मेहरोत्रा के अनुसार विंटर डायरिया में एंटी डायरियल दवाओं का ज्यादा कार्य नहीं है। बल्कि, डॉक्टर की देखरेख में बच्चे को निर्जलीकरण (शरीर में पानी की कमी होना) से बचाना होता है। कई बार विंटर डायरिया में माताएं शिशु को स्तनपान कराना बंद कर गाय या डिब्बे का दूध देना शुरू कर देती हैं, जो गलत है।

पिलाएं मां का दूध: छह माह से कम आयु के शिशु को मां का दूध निरंतर देते रहें। छह माह से अधिक के शिशु को सूजी की खीर, दलिया, मूंग की दाल खिलाएं। जिंक व ओआरएस भी दें।

रोटा वायरस भी खतरनाक

डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि रोटा वायरस काफी खतरनाक होता है, उसमें बच्चे तेजी से निर्जलीकरण में चला जाता है। बीमार बच्चा घर पर रिकवर नहीं हो सकता। ऐसे में डायरिया होने पर बच्चे को तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं।

ये हैं डीहाइड्रेशन के लक्षण

- बच्चे का पेशाब न करना।

- आंखें गड्ढे में चली जाना।

- सिर का तालू बैठ जाना।

- होंठ पर पपड़ी जम जाना।

- शरीर निढाल हो जाना।

- त्वचा में खिंचाव।

- शरीर ठंड पडऩा।

- बच्चे का लगातार रोना।

- रोने के बावजूद आंसू न आना।

ये करें बचाव

- बच्चे को सर्दी से बचाएं।

- दस्ताने, मौजे, टोपी व गर्म कपड़े पहनाएं।

- मां भी ठंड से बचे।

- इस समय बच्चों को लेकर यात्रा से बचें। 

- बच्चे को बिस्तर पर पूरी गरमाहट मिले।

- यदि बच्चा अचानक रोने लगा हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।


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