अलीगढ़ में तीस महिलाओं ने क्यों त्याग दिया अन्न?, जानिए सच
बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है धरना।
अलीगढ़ : अखिल भारत आंबेडकर महासभा का आंदोलन कभी भी बड़ा रूप ले सकता है। पुलिस-प्रशासन की निरंकुशता को देखते हुए नगला मानसिंह की महिलाओं ने भी अन्न छोड़ दिया है। उधर, आमरण अनशन पर बैठ महासभा के प्रदेश सचिव माइकल डैन की भी तबीयत बिगड़ गई। है इसपर महासभा के कार्यकर्ता आक्रोशित हो उठे। कहा कि यदि प्रदेश सचिव को कुछ भी हुआ तो इसका खामियाजा पुलिस-प्रशासन को उठाना पड़ सकता है।
महासभा की ओर से आठ अगस्त से आदर्श बुद्ध विहार अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ी जाति को संवैधानिक अधिकार लागू करने के लिए प्रदेश सचिव सचिन माइकल डैन ने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। मांग पूरी नहीं हुई तो 16 अगस्त से आमरण अनशन शुरू कर दिया। अनशन के विरोध में क्षेत्र की 30 महिलाओं ने भी अपने-अपने घरों में अन्न का त्याग कर दिया है। महिलाओं ने भी 'जीत और मौत' का नारा दे दिया है। विजय विक्रम सिंह ने कहा कि आंदोलन के 10 दिन हो गए, प्रशासन ने कोई डॉक्टर नहीं भेजा है। इससे कार्यकर्ता व संगठन के लोगों में भारी गुस्सा है। यदि शीघ्र ही समस्याओं और मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो धरने पर बैठे लोगों का गुस्सा कभी भी सड़ पर फूट सकता है। महिलाओं द्वारा घर पर अन्न नहीं खाने पर यदि किसी की तबियत खराब होती है तो धरने पर मौजूद लोगों की नाराजगी बढ़ सकती है। इसका खामियाजा प्रशासन को भुगतना पड़ सकता है। धरने पर सीपी निमेष, धम्म प्रियपंत, गोपी चंद बौद्ध, इच्छा पाल सिंह, राजेश, मोहित, कामेश्वरी बौद्ध गुड्डो बौद्ध, जयमाला, प्रज्ञा, गुंजन गौतम आदि मौजूद रहे।