पर्युषण पर्व:जहां कुछ भी नहीं मेरा, वहां है आकिंचन्य , महिलाओं ने घरों पर की आरती Aligarh News
जैन मंदिरों में श्रीजी की अभिषेक हुआ शाम को जैन समाज की महिलाओं ने आरती कीं। मंगलवार को दस लक्षण पर्व की शृंखला में उत्तम ब्रह्मïचर्य के साथ पर्व विराजमान होंगे।
अलीगढ़ जेएनएन: पर्युषण पर्व के नौवें दिन सोमवार को उत्तम आकिंचन्य पर्व मनाया गया। जैन मंदिरों में श्रीजी की अभिषेक हुआ, शाम को जैन समाज की महिलाओं ने आरती कीं। मंगलवार को दस लक्षण पर्व की शृंखला में उत्तम ब्रह्मïचर्य के साथ पर्व विराजमान होंगे। महिलाएं व्रत रखेंगी, जिसमें तेला व्रत (निर्जला व्रत) शामिल है। उत्सव नहीं होगा।
छिपैटी जैन स्ट्रीट स्थित जैन मंदिर के पंडित अजय कुमार जैन ने कहा कि जब यह अहसास होने लगे कि यहां मेरा कुछ भी नहीं है, तब यह आकिंचन्य धर्म प्रकट होता है। जहां कुछ भी मेरा नहीं, वहां अङ्क्षकचन्य। विश्व के किसी भी पदार्थ से आकिंचन्य भी लगाव न रहना आकिंचन्य धर्म है। परिग्रह को छोड़ देने वाले आङ्क्षकचन्य धर्म के धारी कहलाते हैं। धर्म का संबंध केवल अपने एकत्व से होता है। अकेलेपन से होता है।
उत्तम आकिंचन्य धर्म पर गंगा में सागर जैसी युक्ति से धर्म का प्रभावना करें। जैन समाज उत्तम आकिंचन्य धर्म को ग्रहण करने की शपथ लेता है। मैंने भी यही शपथ ली है। समाज को यह संदेश मजबूती प्रदान करता है।
रश्मि जैन, श्रद्धालु
दसलक्षण पर्व पर समाज के लोगों ने घर पर रहकर श्रीजी व 24 तीर्थांकर भगवान की स्तुति की। चुनिंदा लोगों ने मंदिरों में जाकर श्रीजी का अभिषेक किया। घरों पर मिलजुलकर आरती का आयोजन हुआ। अनुशासन देखा गया।
नीलिमा जैन, श्रद्धालु
दो साल से तेला व्रत (तीन दिन तक निर्जला व्रत ) रखती आ रही हूं। पिछले सालों तक इस दिन उत्सव मनाया जाता था। इस बार उत्सव नहीं मनाया जा रहा है। घर पर ही भजन पाठन होगा।
अश्वरी जैन, श्रद्धालु