आखिर कहां गए अलीगढ़ के 13 बच्चे?
जिले से गायब बच्चों का पुलिस पता नहीं लगा पा रही है। बच्चों के इंतजार में परिजन बेहाल हैं।
रिकूं शर्मा, अलीगढ़: कलेजे का टुकड़ा कुछ देर के लिए भी आंखों से ओझल हो जाए तो उस मां का क्या हाल होता है, यह वही समझ सकती है। वहीं, आंखों के तारे के गायब हो जाने का दर्द उनके पिता व परिजन ही बता सकते हैं। शहर में बीते पांच माह में 27 बच्चे गायब हो गए, जिनमें से 12 ही मिल सके हैं। इस साल के 13 व पिछले साल अक्टूबर 2017 से गायब चल रहे 26 बच्चों समेत कुल 39 बच्चे अब भी लापता हैं। इनमें दो परिवार ऐसे भी बदनसीब रहे जिन्हें उनके कलेजे के टुकड़े तो नहीं मिले उनकी हत्या कर दिए जाने की खबर जरूर मिल गई। थाने में दर्ज गुमशुदगी फाइलों में दफन हो रही है।
केस-1 : खैर क्षेत्र के उसरम गांव से बीती नौ फरवरी को नेवी कर्मी सोहनलाल के गायब ढाई साल के मासूम कनिष्क को पुलिस गुमशुदगी दर्ज होने के बाद भी नहीं खोज पाई। 10 दिन बाद उसका शव गांव की ही पोखर में मिला। उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई। केस-2 : क्वार्सी के गोविंद नगर के बलवीर सिंह का बेटा आकाश(15) 22 मई को गायब हो गया। थाने में गुमशुदगी भी दर्ज कराई लेकिन शव जवां क्षेत्र के छेरत में मिला। आकाश की हत्या कर दी गई।
केस-3 : बन्नादेवी के सारसौल में रहने वाली महिला सुनीता के पति की दो साल पहले मौत हो चुकी है। बीते 12 दिसंबर 2017 को इकलौता बेटा जितेंद्र (08) खेलते हुए गायब हो गया। पांच दिन बाद बच्चे का शव ऊदला नाले में पड़ा मिला। चार माह बाद भी नहीं मिला लाड़ला: दुबे का पड़ाव के मजदूरी करने वाले अशोक के तीन बच्चों में सबसे बड़ा बेटा रोहन (12) कक्षा छह का छात्र था। बीती 30 जनवरी से लापता है। परिजन बेटे की तलाश में भाग-दौड़ कर थक चुकें है। मां रजनी की आंखें इंतजार में पथरा चुकी हैं।
ये भी हैं गायब: अतरौली के सूरतगढ़ का मनोज 15 पुत्र जय सिंह बीते 20 दिसंबर 2017 से लापता है। फिरदौस नगर के मोहम्मद सत्तार का बेटा मोहम्मद इसरार (16) बीती दो जनवरी 2018 से, किशनपुर के दुर्गा प्रसाद का बेटा आकाश सैनी (15) बीती आठ फरवरी से, साईं विहार, सारसौल के मनमोहन का बेटा दीपांशू (20) 13 फरवरी से कोचिंग की कहकर निकला था, वापस नहीं आया है। गायब बच्चे तलाश रही चाइल्ड लाइन : जिले में लापता व भटकते हुए मिलने वाले बच्चों को उनके अपनों तक पहुंचाने के काम में एनजीओ के रूप में काम कर रही उड़ान सोसायटी व चाइल्ड लाइन के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र मिश्रा तथा उनकी पूरी टीम जुटी हुई है। वर्ष 2015 से लेकर अब तक सोसायटी करीब 300 से भी अधिक बच्चों को तलाश कर उनके घरों तक पहुंचाया है। ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड : देश में हर दिन लापता हो रहे बच्चों को ढूंढ़ने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार ने ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड नाम से एक वेब पोर्टल बना रखा है। इनके साथ मिलकर पुलिस गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलाने के अभियान में सहयोगी की भूमिका निभा रही है। प्रदेश भर में ऑपरेशन स्माइल व ऑपरेशन मुस्कान में भी खोये हुए 1907 बच्चों में से 966 को बीते साल उनके परिजनों को मिलाया गया है।
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थाना, लापता बच्चे,बरामद, शेष
सिविल लाइन,2,1,1
बन्नादेवी,1,00,1
क्वार्सी,3,1,2
गांधीपार्क,2,1,1
कोतवाली,2,00,2
सासनीगेट,1,00,1
खैर,1,00,1
अतरौली,2,00,2
जवां,1,00,1
(पुलिस आंकड़े जनवरी से 24 मई 2018 तक)
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पीड़ितों की रिपोर्ट दर्ज करने में पुलिस कोई कोताही नहीं बरतती। ऐसे जितने भी मामले हैं उनमें पुलिस स्तर से जांच की जा रही है। उनकी तलाश के लिए पर्चे, समाचार पत्र, टीवी चैनल, रेडियो आदि के जरिये डाटा बेस के आधार पर तलाश किया जाता है। आपरेशन स्माइल भी इसी अभियान का हिस्सा है।
आशुतोष द्विवेदी, एसपी क्राइम