आखिर क्या था? जिसने हजारों लोगों की ली जान, बदल दी सबकी दिनचर्या Aligarh news
कोरोना संक्रमण की पहली लहर हो या दूसरी लहर दोनों में ही हजारों लोगों की जानें गईं। लोग घरों में कैद हो गए। बाहर आने-जाने में पाबंदियां मुंह पर मास्क हाथों में सैनिटाइजर की शीशी कहीं जाना भी तो शारीरिक दूरी के नियम का पालन।
अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना संक्रमण की पहली लहर हो या दूसरी लहर दोनों में ही हजारों लोगों की जानें गईं। लोग घरों में कैद हो गए। बाहर आने-जाने में पाबंदियां, मुंह पर मास्क, हाथों में सैनिटाइजर की शीशी, कहीं जाना भी तो शारीरिक दूरी के नियम का पालन। लंबे समय तक पढ़ाई का बंद रहना, विद्यार्थियों को बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में प्रमोट कर देना। इन सबके पीछे मुख्य कारण क्या था? किस कारण से लोगों की दिनचर्या यहां तक की जीवन शैली तक बदल गई। नियम-संयम से रहते हुए घर पर रहकर ही काम निपटाए गए। इन सारी बातों के बारे में बड़ों को तो जानकारी है लेकिन छोटी उम्र के बच्चों को अभी इसके बारे में विस्तार से जानकारी नहीं है। ये अब उनको पढ़ाई के साथ बताया जाएगा।
कोरोना से बच्चे अनभिज्ञ
कोविड-19 वायरस के प्रकोप से लेकर इसके घातक रूप के बारे में बड़ों को तो जानकारी है लेकिन बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को इसकी जानकारी कम ही है। बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण व इससे बचाव के प्रति जानकारी का अभाव भी काफी दिक्कतें खड़ी करता है। कई म्यूटेंट कर चुका वायरस अभी लंबे समय तक जीवित रहेगा। कोराेना वैक्सीनेशन के जरिए ही इस वायरस को आम बीमारी में तब्दील किया जा सकता है। इसलिए इसके प्रकोप व इससे बचने के उपायों के बारे में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को जानकारी देने की योजना बनाई गई है। हालांकि ये व्यवस्था अभी कक्षा छह से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए की जा रही है। क्योंकि इनकी उम्र व समझ दोनों ही ऐसी चीजों को समझने के लिए काफी होती है। एक से पांच तक के बच्चों को इससे दूर रखा गया है। नई व्यवस्था के तहत नए सत्र से जो कक्षा छह से आठवीं की किताबें छपकर आएंगी उनके पहले पन्ने पर कोरोना वायरस के प्रकोप व उससे बचने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। किताब खोलते ही पहला पन्ना विद्यार्थी कोरोना वायरस के बारे में पढ़कर पलटाएंगे। इस वायरस की वजह से हुए बदलावों व सुरक्षा उपायों को अपनाने के बारे में भी लिखा जाएगा। इसको पढ़कर बच्चे अपने स्वजन को भी इस संबंध में जागरूक कर सकते हैं। इसलिए शासनस्तर से ये फैसला किया गया है।
इनका कहना है
बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडेय ने कहा कि शासनस्तर से ऐसी व्यवस्था करने की जानकारी तो हुई है। मगर ये किताबें कब से आनी हैं इस बारे में स्पष्ट आदेश आने हैं। शासन के जो भी आदेश होंगे उनका पालन किया जाएगा। किताबें आने पर उनका वितरण कराया जाएगा।