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Water Conservation : पुरानी व्यवस्थाओं से ही खड़ी की जल संचयन की नई इबारत Aligarh News

प्रधानाचार्य शीलेंद्र यादव ने बताया कि कालेज में हाईस्कूल ब्लाक जूनियर ब्लाक कक्षा नौवीं का ब्लाक प्रशासनिक ब्लाक व इंटरमीडिएट ब्लाक बने हुए हैं। लगभग हर ब्लाक में पुराने हैंडपंप व ट्यूबवेल खराब पड़े थे। इनमें पड़े पाइप निकलवाकर उसके ऊपर फिल्टर लगवाए।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 10:42 AM (IST)
पुराने हैंडपंप व ट्यूबवेल खराब पड़े थे। इनमें पड़े पाइप निकलवाकर उसके ऊपर फिल्टर लगवाए।
अलीगढ़, जेएनएन। अगर सच्चे मन व लगन से किसी भी संकल्प को पूरा करने के लिए कदम बढ़ाया जाए तो तस्वीर बदल जाती है। जब बात जल संरक्षण जैसे प्रमुख व गंभीर मुद्दे की हो तो सभी का साथ आना बहुत जरूरी होता है। बारिश के पानी को धरती के नीचे पहुंचाने के लिए नए साजो-सामान या उपकरणों की ही जरूरत नहीं होती है। मजबूत इच्छाशक्ति से भी ये काम कम लागत में किया जा सकता है। जिले के माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों ने पुरानी व्यवस्थाओं में ही जल संचयन की नई इबारत लिखी है। इसकी एक बानगी नौरंगीलाल राजकीय इंटर कालेज में देखने को मिलती है। करीब 15 एकड़ में बने कालेज में पांच ब्लाक बने हैं, हर ब्लाक में एक-एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार कर बारिश के पानी को जमीन के अंदर भेजा जाता है। कूड़े-कचरे या घास-फूस के साथ नहीं बल्कि साफ पानी जमीन के नीचे जाता है।
बरसात का पानी छनकर जमीन के नीचे जाता है
प्रधानाचार्य शीलेंद्र यादव ने बताया कि कालेज में हाईस्कूल ब्लाक, जूनियर ब्लाक, कक्षा नौवीं का ब्लाक, प्रशासनिक ब्लाक व इंटरमीडिएट ब्लाक बने हुए हैं। लगभग हर ब्लाक में पुराने हैंडपंप व ट्यूबवेल खराब पड़े थे। इनमें पड़े पाइप निकलवाकर उसके ऊपर फिल्टर लगवाए। परिसर के पानी को वहां तक लाने के लिए पाइप लगवाए। अब बारिश का सारा पानी छनकर जमीन के नीचे 150 से 200 फिट नीचे तक जाता है। इंटरमीडिएट ब्लाक में बने बड़े रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में छत का पानी जमीन के नीचे जाता है। बताया कि बड़े कुंड तो नहीं मगर छोटी-छोटी कुंडियां बनवाकर तैयार कराई हैं। इनमें प्रशासनिक ब्लाक का पूरा बारिश का पानी जमीन के नीचे छनकर जाता है। पहले के समय में बारिश होने पर जलभराव इतना होता था कि कालेज में छह से सात दिन का अवकाश घोषित करना पड़ता था। मगर अब कहीं पानी नहीं भरता है। वहीं दूसरी ओर अग्रसेन इंटर कालेज हरदुआगंज के प्रधानाचार्य डा. शंभू दयाल रावत ने बताया कि कालेज में पांच से छह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार कराए हैं। पूरे कालेज का पानी जमीन के नीचे छनकर जाता है। इसके अलावा विद्यार्थी जिन नलों पर पानी पीते हैं या अपनी बोतल का पानी पलटाते हैं, वहां गिरने वाला पानी भी जमीन के अंदर ही भेजा जाता है। उन्होंने मंगलवार को जल संरक्षण विषय पर एनसीसी कैडेट्स को शपथ भी दिलाई। जागरूक करते हुए कहा कि जितना पानी उपयोग करना हो उतना ही लेना चाहिए।
माध्यमिक विभाग आया आगे

जिले में माध्यमिक शिक्षा परिषद के 94 एडेड, 35 राजकीय व करीब 625 वित्तविहीन कालेज हैं। इन सभी में जहां संभव हो सके वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए अफसरों ने पहल कर दी है। सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को पत्र जारी किया जा रहा है कि अपने-अपने संस्थान में बारिश से पहले रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार कर लिया जाए। निरीक्षण में इसकी व्यवस्था भी देखी जाएगी।

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हर माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य को निर्देश जारी किया जा रहा है कि बारिश से पहले अनिवार्य रूप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा लिया जाए। निरीक्षण में इसकी भी पड़ताल होगी। जहां संभावना है वहां हर विद्यालय में ये सिस्टम लगवाया जाएगा।

डा. धर्मेंद्र कुमार शर्मा, डीआइओएस


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