War to Corona virus : जयपुर से चले थे 39 घंटे पहले, 72 किलोमीटर चले पैदल, ग्रामीणों ने कराया भोजन Aligarh News
दूर दराज से अपने घर को लौट रहे मजदूरों में कोरोना वायरस को हराने के लिए उत्साह बरकरार है। ट्रेन व बस न मिलने पर उनका हौंसला बरकरार है।
अलीगढ़ [जेएनएन]: कोरोना वायरस को लेकर लॉक डाउन हो जाने और ट्रेनों व रोडवेज बसों के साथ ही सड़क पर सवारी वाहनों का संचालन बंद होने से लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन दूर दराज से अपने घर को लौट रहे मजदूरों में कोरोना वायरस को हराने के लिए उत्साह बरकरार है। ट्रेन व बस न मिलने पर उनका हौंसला बरकरार है। भूखे-प्यासे रहकर पैदल और जुगाड़ से यात्रा कर रहे हैं।
यह हैं हालात
अलीगढ़ में ट्रेनें न आने से रेलवे स्टेशन, बसें न चलने से गांधीपार्क व सेटलाइट रोडवेज बस स्टैंड पर सन्नाटा पसरा हुआ है। खासकर राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश आदि शहरों से आने वाले नौकरीपेशा व मजदूरों को घरों तक पहुंचने को मीलों का सफर पैदल ही तय करना पड़ रहा है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन के स्तर से कोई इंतजाम नहीं किए हैं, जिससे उन्हें पैदल ही अपनी मंजिल तय करनी पड़ रही है।
जयपुर में करते हैं नौकरी
मुरादाबाद के चंदौसी क्षेत्र के गांव जौरई निवासी राजीव, आकाश, वीरेश यादव, विनय, राजेश, राकेश आदि एक जत्थे के रूप में जीटी रोड पर नुमाईश मैदान के सामने से गुजर रहे थे। इस प्रतिनिधि ने रोककर पूछा कि कहां जा रहे हो? पहले तो वे पूछताछ के डर से सहम गए। जब उन्हें खुद का परिचय दिया तो उन्होंने बताया कि सभी लोग जयपुर की एक कंपनी में बैल्डिंग का काम करते हैं। लॉक डाउन के चलते काम-काज बंद कर दिया गया है और वहां से उन्हें घर जाने को बोल दिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले 36 घंटे से वे मुरादाबाद घर तक जाने को निकले हैं। आने-जाने को कहीं वाहन नहीं मिल रहे हैं। किसी तरह से जुगाड़ कर वह एक ट्रक में बैठकर दो-दो सौ रुपये देकर सोमवार रात नौ बजे आगरा फतेहपुर सीकरी तक आ गए। जबकि ट्रेन से जयपुर से मुरादाबाद तक 130 रुपया किराया लगता है।
ग्रामीणों ने कराया भोजन
फिर वाहन न मिलने पर पैदल ही चल पड़े। करीब 72 किलोमीटर पैदल चले। इस दौरान रास्ते में उन्हें ग्रामीणों ने भोजन कराया। पैदल यात्रा के दौरान मैजिक टेंपो मिला, जिससे वे सादाबाद तक आ गए। यहां से उन्हें एक आयशर कैंटर गाड़ी मिली जिसने उसे अलीगढ़ हाईवे पर उतार दिया। यहां कोई वाहन न मिला तो थककर कंधे पर सामान लादकर पैदल ही चल पड़े घर की ओर। सभी का कहना था कि सरकार ने लॉक डाउन तो कर दिया लेकिन उन्हें घर तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की है, जिससे उन्हें वाहनों के लिए भटकना पड़ रहा है। घर वाले भी हाल-चाल जानने को परेशान हैं। मोबाइल फोन पर ही उन्हें जानकारी दे रहे हैं।
जगह-जगह बतानी पड़ रही पहचान
कुछ इसी तरह की पीड़ा रामपुर के बड़ा बाजार निवासी अनेक सिंह, रामबाबू, बनवारी ने सुनाई। उन्होंने बताया कि घर तक पहुंचने के लिए उन्हें खूब पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। पुलिस व प्रशासनिक अफसरों की रोक-टोक के साथ ही उन्हें अपनी पहचान भी बतानी पड़ रही है, तब ही घर की ओर जाने दिया जा रहा है।