Move to Jagran APP

Water Conservation: खेतों में लिखी बूंद-बूंद सहेजने की इबारत Aligarh News

जल का महत्व क्या है ये किसान से बेहतर कोई नहीं बता सकता। पसीना बहाकर खेतों में उगाई गईं फसलें जल की कमी से ही सूखती हैं। बुंदेलखंड की कृषि भूमि इसकी गवाह है यहां खेती वर्षा जल पर आधारित है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 10:28 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 10:28 AM (IST)
जल का महत्व क्या है, ये किसान से बेहतर कोई नहीं बता सकता।

अलीगढ़, लोकेश शर्मा। जल का महत्व क्या है, ये किसान से बेहतर कोई नहीं बता सकता। पसीना बहाकर खेतों में उगाई गईं फसलें जल की कमी से ही सूखती हैं। बुंदेलखंड की कृषि भूमि इसकी गवाह है, यहां खेती वर्षा जल पर आधारित है। भूगर्भ जल इतना नहीं है फसलों की मांग पूरी कर सके। स्थिति अलीगढ़ में भी बिगड़ रही है। 206 गांवों जल संकट से जूझ रहे हैं। 275895 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई नलकूपों पर निर्भर है। भूगर्भ से सिंचाई के लिए कितना जल हर साल निकाला जाता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि एक हेक्टेयर धान की फसल के लिए 30 से 35 लाख लीटर पानी चाहिए। जनपद में दो लाख हेक्टेयर से अधिक धान का रकबा है। वहीं, प्रति हेक्टेयर गेहूं की सिंचाई के लिए 25 से 30 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। किसान भी ये बात अब समझ रहे हैं। यही वजह है कि जागरुक किसान सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) प्रणाली अपना रहे हैं। ऐसे 360 किसान हैं, जिनके खेतों में यही प्रणाली लगी है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि इस प्रणाली से 60 फीसद पानी की बचत होती है।  

loksabha election banner

कारगर है बूंद-बूंद सिंचाई

सिंचाई के नए संसाधन जल संरक्षण के लिए कारगर हैं। सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) प्रणाली से तहत दो तरह से सिंचाई होती है। पहली ड्रिप इरिगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई) व दूसरी माइक्रो स्प्रिंकल (सूक्ष्म फव्वारा) प्रणाली। बीते वर्ष 211 किसानों ने अपने खेतों में ड्रिप इरिगेशन व माइक्रो स्प्रिंकल सिस्टम लगवाए थे। इस साल अब तक 149 अन्य किसान ये सिस्टम लगवा कर 262.40 हेक्टेयर एरिया में सिंचाई कर रहे हैं। कुल 581.55 हेक्टेयर एरिया में सिंचाई इसी प्रणाली से हो रही है। किसानों की यही जागरुकता आने वाले दिनों में भूगर्भ जल स्तर में सुधार लाएगी। 2019-20 में सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत 240.55 लाख रुपये की कार्ययोजना बनाई गई थी। इसमें ड्रिप इरिगेशन में 242 हेक्टेयर व माइक्रो स्प्रिंकल में 217 हेक्टेयर कुल 459 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई का लक्ष्य मिला था। इसके सापेक्ष ड्रिप में 155.70 हेक्टेयर व स्प्रिंलर में 163.40 हेक्टेयर कुल 319.15 हेक्टेयर का लक्ष्य तय कर 211 किसानों का लाभांवित किया। 

448 हेक्टेयर का मिला नया लक्ष्य

जिला उद्यान अधिकारी एनके सहानिया ने बताया कि 2020-21 के लिए नया लक्ष्य मिला है। योजना के तहत लघु, सीमांत व प्रगतिशील किसानों को वरीयता दी जाएगी। ऐसे विकास खंडों का चयन किया जाएगा जो अतिदोहित व क्रिटीकल की श्रेणी में आते हैं। इगलास में अधिक कार्य होना है। वर्ष 2020-21 में प्राप्त लक्ष्य के तहत ड्रिप में 287.0 हेक्टेयर व स्प्रिंकल में 161.0 हेक्टेयर कुल 448 हेक्टेयर एरिया में सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम लगाए जाने हैं। इसमें 272.18 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। अब तक 149 किसानों के 262.40 हेक्टेयर खेत में ड्रिप व स्प्रिंकल सिस्टम लगा दिए गए हैं। डीबीटी के जरिए 2.54 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। योजना के तहत लघु व सीमांत श्रेणी के किसानों को 90 फीसद व सामान्य श्रेणी के किसानों को 80 फीसद अनुदान डीबीटी के माध्यम से दिया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.