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UP Election 2022: जातिवाद के इर्द गिर्द घूम रही सियासत की सुई, जानें विस्‍तार से

UP Vidhan Sabha Election 2022 पांच साल में बेहतर कानून व्यवस्था पर लोग सरकार की तारीफ तो करते हैं लेकिन छुट्टा गोवंशीय पर सवाल करने से भी नहीं चूकते। इस पर चर्चा और बहस कई जगह नजर होती हुई दिखी। लोगों ने खुलकर बात की।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 09:51 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 09:51 AM (IST)
UP Election 2022: जातिवाद के इर्द गिर्द घूम रही सियासत की सुई, जानें विस्‍तार से
UP Vidhan Sabha Election 2022: छुट्टा गोवंशीय पर सवाल करने से भी नहीं चूकते।

अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। Uttar Pradesh Election 2022: सुबह के नौ बजे हैं। हल्का कोहरा और ठंडी हवा के बीच सियासी गर्माहट हर तरफ है। बादल में छिपे सूरज की तरह मतदाताओं के मन का भेद लेना फिलहाल आसान नहीं। स्थानीय सियासी मुद्दे ठंडे पड़े हैं। न कोई झंडा न कोई बैनर। कासगंज जिले के सीमा से सटे अगसौली (सिकंदराराऊ) से वाजिदपुर, तेहरामोड, पिलखना होते हुए अलीगढ़ तक के 60 किमी के चुनावी सफर में मुद्दों की सुई जातिवाद के इर्द गिर्द घूमती नजर आई। जहां जिस जाति का बाहुल्य है, पलड़ा भी उस पार्टी व प्रत्याशी का ही भारी है। पांच साल में बेहतर कानून व्यवस्था पर लोग सरकार की तारीफ तो करते हैं, लेकिन छुट्टा गोवंशीय पर सवाल करने से भी नहीं चूकते। इस पर चर्चा और बहस कई जगह नजर आई, जिसके अंत में लोगों का रुख सजातीय प्रत्याशी व पार्टी की तरफ ही ज्यादा झुका दिखा।

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तीन जिलों से निकलते हैं रास्‍ते

सिकंदराराऊ के अगसौली चौराहे से कासगंज, हाथरस, एटा व अलीगढ़ के लिए अलग-अलग रास्ते निकलते हैं। विकास का रास्ता कैसे तय होगा? चौराहे पर 35 साल से टिक्की चाट की ढकेल लगाने वाले विनोद का यह सवाल गंभीर था। उनका कहना था कि सरकार ने कुछ काम तो अच्छे किए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। पास ही स्थित पंडित जी हलवाई की दुकान पर लगी चौपाल में बुजुर्ग दयाराम छुट्टा पशुओं से परेशान दिखे। बोले, या सरकार में गाय व सांड़ ने बहुत परेशान किया है। सरकार पहले इनकौ इंतजाम करंै। तभी सत्यवीर यादव कानून व्यवस्था का जिक्र कर लगे। भïट्टी पर दूध की कढ़ाई चढ़ाते दुकान के मालिक पंडित जी बोले, हर काम के लिए योगी-मोदी नहीं आएंगे। ऐसे बहुत से काम हैं, जिन्हें प्रधान व विधायक ही निपटा सकते हैं। यहां से कुछ आगे पचों गांव के बाद रायपुर मोड़ पर चुनावी चर्चा में किसान आराम ङ्क्षसह की समस्या छुट्टा गोवंशीय ही थी तो गांव भटीकरा में कल्याण दास माहेश्वरी सरकार के कामों को गिनाते दिखे। लेकिन, डंडेसरी गांव में नेताओं के न आने का जिक्र आते ही किसान योगेश पुंढीर नाराज दिखे। बोले, कई साल से हिचकोले खाती सड़क विधायक और सांसद नहीं बनवा पाए। कमल के चक्कर में ही जीत जाते हैं। कुछ आगे गांव सुजावलपुर गांव में युवा रामू पुंढीर तो साफ बोले, आएंगे तो योगी ही। अब करीब पौने दस बज गए।

इस बार सोचकर देंगे वोट

हल्की धूप के बीच सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र की सीमा के अंतिम कस्बा वाजिदपुर पहुंचते ही कुछ युवा चुनावी चर्चा में जुटे दिखे। इनमें शामिल गांव लिहा के राजीव सिंह का कहना था कि सरकार ने बहुत कुछ किया है, अब हमारी बारी है। कस्बे से बाहर निकलते ही अलीगढ़ जिले की छर्रा विधानसभा क्षेत्र के पहले गांव भदरोई रामनरेश बघेल बात शुरू करते ही बोले, बहुत बार से भाजपा को वोट है। इस बार सोचेंगे।

दो-तीन दिन पहले पतौ लगैगौ

हंसगढ़ी व तेहरामोड़ पर भी चुनावी चर्चा कम न थी। एक परचून की दुकान पर सामान खरीद रहे प्रेमप्रताप ङ्क्षसह कहते हैं, 'अभी चुनाव में कई दिन हैं। क्षेत्र में कमल, हाथी व साइकिल की खूब चर्चा है। असली माहौल तो वोट पड़वे से दो तीन-दिन पहले ही पतौ लगैगौ। करीब दस किलोमीटर दूर पिलखना चौराहे पर शान मियां की अपेक्षाएं विकास कार्यों की दिखीं। बोले, मुफ्त राशन से काम नाय चलैगो, सरकार को रोजगार भी देने पड़ेंगे। कुछ ही आगे सड़क किनारे अमरूद बेच रहे गुड्डू का कहना था कि जनता बहुत परेशान हैं। सब बदलाव ही चाहते हैं।

शहर में मिलाजुला असर

पिलखना से करीब आठ किलोमीटर चलने पर पङ्क्षरदों के उड़ते झुंड से महसूस हो गया कि अब शेखाझील पास ही है। वहां किसान रामप्रताप ङ्क्षसह का कहना था कि सरकार ने पांच साल में जितना किया है, उतना दशकों में नहीं हुआ। इसके बाद अलीगढ़ शहर में प्रवेश करने तक सभी प्रत्याशी व पार्टियों का मिलाजुला असर दिखा। मतदाताओं का रुझान मुद्दों से ज्यादा प्रत्याशियों की जातियों की तरफ दिखता है।


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