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क्रांतिकारियों अशफाक उल्‍ला व रामप्रसद बिस्‍मिल को दी श्रद्धांजलि, कहा कुछ ऐसा

इगलास परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में काकोरी कांड के प्रमुख क्रांतिकारियों शहीद अशफाक उल्ला खां शहीद पं. रामप्रसाद बिस्मिल व शहीद ठाकुर रोशन सिंह का शहीद दिवस मनाया गया। ग्रामीण युवाओं ने शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 19 Dec 2021 05:50 PM (IST)Updated: Sun, 19 Dec 2021 05:50 PM (IST)
क्रांतिकारियों  अशफाक उल्‍ला व रामप्रसद बिस्‍मिल को दी श्रद्धांजलि, कहा कुछ ऐसा
ग्रामीण युवाओं ने शहीदों के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। इगलास परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में काकोरी कांड के प्रमुख क्रांतिकारियों शहीद अशफाक उल्ला खां, शहीद पं. रामप्रसाद बिस्मिल व शहीद ठाकुर रोशन सिंह का शहीद दिवस मनाया गया। ग्रामीण युवाओं ने शहीदों के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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दोनों में बचपन से थी मि

संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने तीनों वीर शहीदों की सविस्तार जीवनी सुनाते हुए कहा कि बिस्मिल महान क्रांतिकारी, वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक, शायर, कवि, दृढ़ संकल्पवान व भारत माँ के सच्चे सपूत थे। सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में हैं। देखना है जोर कितना, बाजु-ए-कातिल में है? कवि और शायर राम प्रसाद बिस्मिल की ये पंक्तियाँ बतातीं हैं कि उनके दिल में अंग्रेजों के प्रति कितनी आग थी। शहीद अशफाक उल्ला खां, पं. रामप्रसाद जी के बचपन के मित्र थे। अश्फाक उल्ला खां देश भक्ति को ही सबसे बड़ी इबादत मानते थे। उन्होने फांसी से कुछ घंटे पहले वतन की मिट्टी इबादत में ये लाइन लिखी थीं..."कुछ आरजू नहीं है, है आरजू तो बस यह, रख दे कोई जरा सी खाके वतन कफन में!!"

ठाकुर रोशन सिंह भी जिला शाहजहांपुर के रहने वाले थे इन्होंने गांव-गांव जाकर आंदोलन के लिए युवाओं को जागरूक किया था। जेल से फांसी के तख्ते तक बराबर उनका आचरण एक निर्भीक पुरुष की भांति ही रहा था। अपने आखिरी पत्र में आजादी को धर्मयुद्ध बताते हुए लिखा था .... "जिंदगी जिंदादिली को जान-ए-रोशन, वरना कितने मरे और पैदा होते जाते हैं। और गीता को हाथ में लिए वंदे मातरम् का जय घोष करते हुए मुस्कराते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया।

काकोरी कांड को सफल बनाने में पं. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह समेत कुल दस क्रांतिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान था। 9 अगस्त, 1925 को काकोरी स्टेशन के पास रेलगाड़ी रोककर उनके साथियों ने गाडी में मौजूद सरकारी खजाना लूट लिया। काकोरी काण्ड के बाद पुलिस ने सबको गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा दायर किया और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह एक साथ चार व्यक्तियों को फाँसी की सजा सुनाई गयी।

शहीद रामप्रसाद बिस्मिल जी को गोरखपुर जेल में, अशफाक उल्ला खां जी को फैजाबाद जेल में तथा क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद जेल में 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी।

देश की आजादी में काकोरी कांड के शहीदों का अविस्मरणीय योगदान है।

ये रहे मौजूद

इस अवसर पर विवेक चौधरी, नरेंद्र ठैनुआं, रनवीर सिंह, चित्तर सिंह,सुरजीत कश्यप, डब्बू शर्मा, आकाश, डिगम्बर सिंह चौधरी, बबलू, गौरव चौधरी,रिन्कू, सौनू वार्ष्णेय, रामकुमार सिंह, समरजीत सिंह, अमित ठैनुआं, अमरजीत सिंह, किसनवीर सिंह, सलमान आदि मौजूद रहे।


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