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अलीगढ़ में अब रविवार को इलाज की भी छुटटी, मरीजों के लिए बढ़ती परेशानी/Aligarh News

एक तरफ सरकार आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं चलाकर आम आदमी के स्वास्थ्य की गारंटी ले रही है दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में अपनी ही सरकार चल रही है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 10:39 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 02:00 PM (IST)
अलीगढ़ में अब रविवार को इलाज की भी छुटटी, मरीजों के लिए बढ़ती परेशानी/Aligarh News

अलीगढ़(जेएननए) : एक तरफ सरकार आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं चलाकर आम आदमी के स्वास्थ्य की गारंटी ले रही है, दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में अपनी ही सरकार चल रही है। ओपीडी के बाद व रविवार समेत अन्य अवकाश में तो यहां ऐसे लगता है, जैसे इलाज की भी छुïट्टी रहती है। शनिवार को ओपीडी के बाद फ्रैक्चर या अन्य गंभीर बीमारी का मरीज आ जाए तो एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, खून, बलगम की जांच सोमवार को ही हो पाती हैं।  

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स्‍टाफ के नाम पर सिर्फ नर्स

दैनिक जागरण टीम ने रविवार को दोपहर करीब एक बजे जिला अस्पताल में पहुंचकर इलाज का सच परखा। बच्चा वार्ड में 40 से ज्यादा मरीज भर्ती पाए गए। बिजली न होने के कारण कुछ तीमारदार बच्चों को गोद में लेकर बरामदे व बाहर पेड़ों के नीचे आ गए थे। कुछ हाथ के पंखे से हवा ले रहे थे। ज्यादातर तीमारदारों ने डॉक्टर के चेकअप करने को नहीं आने की बात बताई। कई बच्चे तबीयत नाजुक होने के कारण कराहते मिले। उनकी देखरेख व इलाज के लिए स्टाफ नर्स ही जुटी मिलीं। 

नहीं आते डॉक्‍टर

वार्ड सात में डायरिया व अन्य बीमारियों के मरीज भर्ती मिले। यहां भी मरीज से हलकान नजर आए और डॉक्टर के न आने की बात बताई। उन्होंने स्टाफ का हवाला देते हुए कहा कि रविवार को डॉक्टर नहीं आते। शाम को जाएं तो ठीक, अन्यथा सोमवार को सुबह ही आएंगे।

 नहीं होतीं जांच 

जिन सरकारी अस्पतालों में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी, खून की जांच, सीटी स्कैन जैसी सुविधाएं हैं, उनका लाभ मरीजों को दोपहर 11-12 बजे तक ही मिल पाता है। ओपीडी के बाद व अवकाश के दिनों में तमाम मरीज जांच की वजह से रेफर कर दिए जाते हैं। 

परेशान मरीज

हाथी वाला पुल के पास रहने वाले इकबाल ने बताया कि उनकी 10 साल बेटी को टाइफाइड हो गया है। दोपहर हो गई है, पता नहीं डॉक्टर साहब कब आएंगे? स्टाफ कह रहा कि वे आए थे। लेकिन, दिखे नहीं। वहीं जमालपुर के लाड़ो का चार वर्षीय नाती को पांच दिन पहले भर्ती कराया था। खून चढ़ा दिया गया है, मगर कुछ बोल नहीं रहा। आज डॉक्टर साहब वार्ड में नहीं आए। इसी तरह कई मरीज हैं जो  काफी परेशान हैं लेकिन, उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं।       


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