Move to Jagran APP

call of time : है कोई ‘मर्द’, जो करा सके नसबंदी Aligarh news

बढ़ती जनसंख्या व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लेने के लिए सरकार व स्वास्थ्य विभाग का परिवार नियोजन पर जोर है। इसके लिए स्वैच्छिक नसबंदी कार्यक्रम भी चल रहा है लेकिन इसके लिए पुरुष आगे नहीं आ रहे। नसंबदी के नाम पर महिलाओं को ही आगे किया जा रहा है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 09:04 AM (IST)
बढ़ती जनसंख्या व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी के लिए सरकार व स्वास्थ्य विभाग का परिवार नियोजन पर जोर है।

अलीगढ़, जेएनएन ।  बढ़ती जनसंख्या व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लेने के लिए सरकार व स्वास्थ्य विभाग का परिवार नियोजन पर जोर है। इसके लिए स्वैच्छिक नसबंदी कार्यक्रम भी चल रहा है, लेकिन इसके लिए पुरुष आगे नहीं आ रहे। नसंबदी के नाम पर महिलाओं को ही आगे किया जा रहा है। नतीजतन, महिलाओं के मुकाबले नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या नगण्य हो गई है। इस साल एक भी पुरुष ने नसबंदी नहीं कराई है। जबकि, 4530 महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं। पुरुषों को समझाने के लिए कोई युक्ति काम नहीं आ रही। लिहाजा, विभाग का जोर केवल जागरूकता पर ही है।

loksabha election banner

पुरुष नसबंदी में टाप पर था जनपद

जनपद में पुरुष नसबंदी की स्थित आज भले ही खराब हो, लेकिन आठ साल पूर्व यही जनपद पुरुष नसबंदी में टाप पर था। 2012-13 के आंकड़े बताते हैं कि तब जनपद के पुरुषों ने प्रदेश के सभी जनपदों को पछाड़ दिया था। रिकार्ड 729 पुरुषों ने नसबंदी कराई थी। इसके बाद से यह संख्या घटती गई। वर्ष 2018-19 की बात करें तो 4268 महिलाओं के सापेक्ष 52 पुरुषों ने नसबंदी कराई थी। वर्ष 2019-20 में 1500 महिलाअों के सापेक्ष मात्र छह पुरुषों ने नसबंदी कराई। वहीं, इस बार यह संख्या शून्य है।

प्रोत्साहन राशि भी न लुभा पाई

नसबंदी के लिए प्रत्येक महिला को दो हजार रुपये व प्रमोटर (आशा आदि) को 300 रुपये दिए जाने का प्रावधान है। वहीं, पुरुषों के लिए चार हजार रुपये नसबंदी के 15 दिन के भीतर दिए जाते हैं। 400 रुपये प्रमोटर के लिए भी हैं। फिर भी यह धनराशि पुरुषों को लुभा नहीं पा रही।

सरकार की कवायद

पिछले साल जनपद में नसबंदी कार्यक्रम नवंबर में शुरू हो पाया। पहले चरण में दंपती संपर्क अभियान चलाकर परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए नए प्रयोग करने के दावे हुए। दूसरे चरण में इच्छुक पुरुषों को नसबंदी की सेवा प्रदान करने की योजना बनाई गई। प्रत्येक शहरी क्षेत्र की अर्बन पीएससी व ग्रामीण क्षेत्र के सीएचसी व पीएचसी के सभी बीपीएम और बीसीपीएम को दो पुरुष नसबंदी व प्रत्येक एएनएम और आशा संगिनी को एक पुरुष नसबंदी का लक्ष्य दिया है, लेकिन मात्र छह पुरुष ही सामने आए। अब प्रत्येक सोमवार को खुशहाल परिवार दिवस के जरिए भी पुरुषों को जागरूक करने पर जोर है।

इनका कहना है

नसबंदी को लेकर पुरुष जागरूक नहीं हैं। उनमें नसबंदी से शारीरिक कमजोरी होने तथा अन्य भ्रांतियां हैं। इसलिए वे महिलाओं को आगे कर देते हैं और खुद अपनी हिचक नहीं तोड़ रहे। विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है।

- डा. बीपीएस कल्याणी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.