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हजारों गर्भवतियों का मुफ्त इलाज कर उनके आंगन में आशा ला चुकी हैं खुशहाली aligarh news

डॉक्टरी पेशा प्रोफेशनल हो गया है जिसमें पैसा कमाने की होड़ चल पड़ी है। ऐसे में सेवाभाव से मरीजों की नब्ज पकडऩे वाले डॉक्टर विरले ही हो सकते हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 12:13 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 06:28 PM (IST)
हजारों गर्भवतियों का मुफ्त इलाज कर उनके आंगन में आशा ला चुकी हैं खुशहाली aligarh news
हजारों गर्भवतियों का मुफ्त इलाज कर उनके आंगन में आशा ला चुकी हैं खुशहाली aligarh news

विनोद भारती, अलीगढ़ ।  डॉक्टरी पेशा प्रोफेशनल हो गया है, जिसमें पैसा कमाने की होड़ चल पड़ी है। ऐसे में सेवाभाव से मरीजों की नब्ज पकडऩे वाले डॉक्टर विरले ही हो सकते हैं। शहर की वरिष्ठ स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा राठी इन विरले चिकित्सकों में शुमार हैं। पैसे के अभाव में इलाज न करा पाने वाली महिलाओं को देखते ही उनकी ममता तड़प उठती है। हजारों गर्भवतियों का मुफ्त इलाज कर उनके आंगन में खुशहाली ला चुकी हैं। 64 साल की उम्र में मलिन बस्ती के सरकारी अस्पताल में पहुंचकर गरीब महिलाओं का इलाज करती हैं। मृत्यु उपरांत आंखें व देहदान का संकल्प भी ले चुकी हैं।

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नागपुर से अलीगढ़ 

मूलत:नागपुर की रहने वाली डॉ. आशा राठी ने वहीं के गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। 1978 में डॉ. जीएम राठी से शादी की। उनके पति ने सेवाग्राम मेडिकल कालेज वर्धा से एमबीबीएस किया है। शादी के बाद डॉ. राठी अलीगढ़ आ गई। पति के साथ जयगंज में क्लीनिक खोला। यहां कमल कुमार चैरिटेबल ट्रस्ट के बैनरतले मरीजों का मुफ्त इलाज शुरू किया। तीन साल तक यही चला। 1983 में राठी हॉस्पिटल खोला।

देहदान का संकल्प

डॉ. राठी ने बताया कि मेडिकल की डिग्र्री तो मिल गई, मगर पढ़ाई के दौरान परीक्षण के लिए मृत शरीर नहीं मिला। यह दुख साथ पढऩे वाली दोस्त के साथ साझा किया तो उसने मजाक  बनाया। ये बात उन्हें अखर गई, तभी देहदान का संकल्प ले लिया। 2011 में उन्होंने जेएन मेडिकल कॉलेज में देहदान की प्रक्रिया पूरी की। फिर नेत्रदान का संकल्प भी लिया।

मोदी की बात से प्रभावित 

डॉ. आशा ने बताया कि 22 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में मातृृ-शिशु मृत्यु दर पर चिंता जताते हुए चिकित्सकों से माह में एक बार मुफ्त सेवाएं देने का आह्वïान किया। मैंने अगले माह से ही हॉस्पिटल में शिविर शुरू कर दिए। हर माह की नौ तारीख को गर्भवतियों को परामर्श के साथ अल्ट्रासाउंड, ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर की मुफ्त जांच की जाती है। सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए हॉस्पिटल में ही जन औषधि केंद्र खोला है। यहां से भी दवा लेने में असमर्थ मरीजों को मुफ्त दवा दी जाती हैं। बिना भेदभाव के 4000 से ज्यादा गर्भवतियों का मुफ्त इलाज हो चुका है। तमाम परिवारों में किलकारियां गूंजी हैं। इसी दिन डॉ. राठी पुष्पविहार स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर वहां एक से डेढ़ घंटे तक गर्भवतियों का इलाज करती हैं।

सेनेटरी पैड बैंक 

डॉ. राठी कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़ी हैं। हॉस्पिटल में जेसी साइन व माहेश्वरी महिला मंडल के सहयोग से सेनेटरी पेड बैंक का संचालन होता है। यहां महिलाओं को मात्र पांच रुपये में सेनेटरी पेड उपलब्ध कराए जाते हैं। माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के बारे में भी जागरूक किया जाता है।

हेल्थ एजुकेशन पर जोर

वे बीमारियों का इलाज ही नहीं, उनकी रोकथाम के लिए जागरूकता पर भी काम कर रही हैं। हेल्थ एजुकेशन पर उनका जोर है, इसके लिए स्कूल, कॉलेज व अन्य कार्यक्रमों में जाकर जानकारी भी देती हैं।

पति का भरपूर साथ 

डॉ. आशा बताती हैं कि इस काम में पति का पूरा साथ मिला। उन्होंने भी सालों तक गांवों में जाकर गरीबों को मुफ्त सेवाएं दीं। उन्होंने हर कार्य में साथ दिया। उनके प्रयास से हम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक 950 युवक-युवतियों को वार्ड अटेंडेंड, सिस्टर आदि का मुफ्त प्रशिक्षण दे चुके हैं। उनकी दो बेटियां भी डॉक्टर हैं, वे भी सहयोग करती हैं। सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल का कहना है कि हर माह गर्भवतियों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य शिविर व अर्बन पीएचसी पर जाकर गरीब मरीजों को समय देना सराहनीय कदम है। चिकित्सकों में ऐसी सेवा भावना होनी चाहिए। 


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