Move to Jagran APP

ये नेताजी तो बड़े सियासी निकले, पहले अपने मकान को क्वासंटाइन के लिए देने को कहा, फिर मुकर गए

कोरोना महामारी के दौर में पंजे वाली पार्टी के कई नेता खूब सक्रिय हैं। कुछ मदद कर रहे कुछ जनता को जागरूक तो कुछ बंदोबस्त पर नजर रखे हुए हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 03:46 PM (IST)
ये नेताजी तो बड़े सियासी निकले, पहले अपने मकान को क्वासंटाइन के लिए देने को कहा, फिर मुकर गए
ये नेताजी तो बड़े सियासी निकले, पहले अपने मकान को क्वासंटाइन के लिए देने को कहा, फिर मुकर गए

 विनोद भारती, अलीगढ़। हरिवंश राय बच्चन की ओज कविता से सियासी मंच पर हुंकार से जनता में जोश भरने वाले एक नेताजी का कोई सानी नहीं। सियासी हनक भी खूब है। सियासी लोगों की बातें कितनी सियासी होती हैं, यह नेताजी ने साबित करके दिखा दिया। स्वयं को सियासी मैदान का सबसे बड़ा 'वीरÓ और जनता का हमदर्द बताने वाले नेताजी ने कोरोना महामारी से लडऩे के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता जताई। सीना तानते हुए अपने 'हाउसÓ को क्वारंटाइन सेंटर के लिए प्रशासन को देने की घोषणा कर डाली। क्षेत्र में खूब वाह-वाह हुई। हर कोई 'नेताजीÓ की पहल की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए दिखाई दिया, मगर पिछले दिनों अधिकारी 'हाउसÓ का जायजा लेने पहुंचे तो दरवाजे बंद मिले। 'नेताजीÓ से संपर्क साधा तो दो टूक जवाब मिला-अब 'हाउसÓ नहीं मिलेगा। अधिकारी सन्न। 'अपना सा मुंहÓ लेकर लौट आए। रास्ते भर कोसते हुए यही कहते रहे 'नेताजीÓ तो बड़े सियासी निकले।

loksabha election banner

जनता को भूले नेताजी

लॉकडाउन में जरूरतमंदों तक खाद्यान्न या भोजन पहुंचाने के लिए प्रशासन कोई कसर नहीं छोड़ रहा। हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से हजारों लोगों के घरों पर सामान पहुंचाया जा चुका है। सरकार ने भी वृद्ध, विधवा व अन्य गरीबों के खातों में पैसा पहुंचा दिया है। मुफ्त गैस भी मिलेगी। सांसद व विधायकों ने अपनी निधि से लाखों रुपया प्रशासन को दे दिया है। सत्ताधारी पार्टी ही नहीं, अन्य नेता भी मदद को आगे आए हैं। मगर, नीले झंडे वाली पार्टी के वरिष्ठ नेता गायब हैं, जबकि जनता उनकी राह देखती रहती है। हर सुख-दुख में साथ खड़े होने का वादा करने वाले पूर्व प्रत्याशियों का भी कोई अता-पता नहीं। वो तो भला हो 'नोएडाÓ में रहने वाले नेताजी का, जिन्होंने जनता के लिए प्रशासन को 20 लाख रुपये देकर पार्टी की लाज बचा ली। जबकि, समर्थक अपने नेताओं को ही कोस रहे हैं, जो मदद को आगे नहीं आए।

इस विभाग पर नजर रखिए सरकार

महामारी के बढ़ते प्रकोप से आम आदमी ही नहीं, डर उन्हें भी है, जिन पर संदिग्ध, संक्रमित या सामान्य मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी है। जिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी पर फीवर क्लीनिक या ओपीडी चला रहे डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ तक को मास्क, ग्लब्स या सैनिटाइजर नहीं दिए गए हैं। विदेश से आए संदिग्ध लोगों की घर-घर जाकर जांच करने के लिए 25 सदस्यीय टास्क फोर्स गठित की गई है। इसके सदस्यों को भी मास्क, ग्लब्स या सैनिटाइजर नहीं दिए गए। यही कार्य ग्र्रामीण क्षेत्रों में आशा कर्मियों को दिया गया है। वे भी मास्क व सैनिटाइजर मांग रहीं हैं। जबकि, अधिकारी केवल कोरोना अस्पताल के अलावा किसी स्टाफ के लिए मास्क, ग्लब्स व सैनिटाइजर को जरूरी नहीं मान रहे। सवाल ये है कि लाखों रुपये का बजट व जन प्रतिनिधियों से मिली निधि का स्वास्थ्य विभाग कहां इस्तेमाल करेगा? पूर्व के घपले-घोटालों को देखते हुए पारदर्शिता जरूरी है।

छोटे मियां आगे, बड़े मियां पीछे

कोरोना महामारी के दौर में पंजे वाली पार्टी के कई नेता खूब सक्रिय हैं। कुछ मदद कर रहे, कुछ जनता को जागरूक, तो कुछ बंदोबस्त पर नजर रखे हुए हैं। यहां भी छोटे मियां और बड़े मियां के बीच जनता से जुडऩे की होड़ मची है। छोटे मियां मास्क व जरूरत का सामान लेकर विशेष समुदाय की बस्तियों में ज्यादा घूम रहे हैं। दरअसल, वे और उनके समर्थक ऐसे कदम उठाकर जनता का सच्चा हमदर्द साबित करने का सबसे अच्छा मौका मान रहे हैं। वहीं, बड़े मियां का जनता को अपनी जेब से खैरात बांटने में कभी यकीन नहीं रहा, भले ही कोई भी परिस्थिति हो। वे केवल अपनी लच्छेदार बातों से ही जनता के जख्मों को सहलाते हैं। मदद का हाथ शायद ही कभी बढ़ाया हो। इंजीनियर साहब भी इस महामारी में समस्याएं उठाकर सियासी जमीन तैयार करने में लगे हैं। हालांकि, पार्टी ने इन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.