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अलीगढ़ में एक ऐसा भी इलाका है, जहां खिलाड़ी हैैं पर खेल सुविधाएं नहीं

खेलों को बढ़वा देने के लिए ढिढ़ोरा तो जिले में भी पीटा जाता है। वास्तविकता कुछ और ही है। इगलास क्षेत्र की प्रतिमाएं खेत की मिट्टी व पगड़डियों पर निर्भर हैं। तहसील स्तर पर स्टेडियम या मिनी स्टेडियम बने तो प्रतिभाओं में निखार आए।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 11:53 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 11:53 AM (IST)
अलीगढ़ में एक ऐसा भी इलाका है,  जहां खिलाड़ी हैैं पर खेल सुविधाएं नहीं
खेलों को बढ़वा देने के लिए ढिढ़ोरा तो जिले में भी पीटा जाता है।

अलीगढ़, योगेश कौशिक। खेलों में पदक के लिए कड़े अभ्यास की जरूरत है। यह बात बड़े खिलाडिय़ों व कोचों से सुनी तो जाती हैैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में खेल के क्या सुविधाएं? इसकी पड़ताल हैरान करने वाली होती है। जिले का नाम चमकाने वाले कई अच्छे खिलाड़ी कस्बा इगलास से हैैं। कुछ मुकाम पाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैैं। इन्हें न तो स्टेडियम की सुविधा मिल पाई है और न कोच का सहयोग। 

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यह हैंं मौजूद  हाल 

केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा खेलों को बढ़वा देने के लिए ढिढ़ोरा तो जिले में भी पीटा जाता है। लेकिन धरातल पर वास्तविकता कुछ और ही है। इगलास क्षेत्र की प्रतिमाएं  खेत की मिट्टी व पगड़डियों पर निर्भर हैं।  तहसील स्तर पर स्टेडियम या मिनी स्टेडियम बने तो प्रतिभाओं में निखार आए। यहां खिलाडिय़ों  को खेतों की पगड़डियों पर दौड़ते हुए देखा जा सकता है। कबड्डी व अन्य खेलों के लिए भी खिलाड़ी मिट्टी में अभ्यास करते हैं। 

यह है खासियत 

इगलास तहसील क्षेत्र खेल प्रतिभाओं का धनी है। यहां सबसे ज्यादा खिलाड़ी एथलेटिक्स के हैं, क्रिकेटर भी कमी नहीं है। खेत की पगड़डियों पर सपनों की उड़ान लेकर दौड़ लगाने वाले खिलाडिय़ों ने अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है। गांव कैमथल निवासी स्व. पालेंद्र चौधरी ने एशियन यूथ गेम में गोल्ड मेडल लाकर देश का गौरव बढ़ाया था। गांव करहला निवासी अमित चौधरी ने राष्ट्रीय स्तर पर कई गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं। क्षेत्र में ऐसे बहुत से खिलाड़ी हैं जो राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर तक पहुंचे हैं। इगलास तहसील से बड़ी संख्या में युवा सेना व पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सुबह-सांय युवाओं को भर्ती की तैयारी करने के लिए सड़क पर व पगड़डियों पर दौड़ते हुए देखा जा सकता है। लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में तमाम प्रतिभाओं का भविष्य अंधेरे में है।

नहीं हो पाता अभ्यास

क्षेत्र में तमाम प्रतिभाएं है जो देश का नाम रोशन करने का सपना सजोए हैं। लेकिन इन्हें प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा। स्टेडियम न होने से उनका अभ्यास नहीं हो पता। ऐसी स्थित में खिलाड़ी अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जिला स्तर पर है स्टेडियम

ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं के आगे संसाधनों के साथ आॢथक हालात भी आड़े आते हैं। जिला स्तर पर स्टेडियम है। लेकिन खिलाड़ी वहां रोज अभ्यास के लिए आने जाने का खर्चा नहीं उठा पाते। 

बन सकता है स्टेडियम

नगर में कई स्थान हैं जहां शासकीय भूमि खाली पड़ी है। उस भूमि का कोई उपयोग नहीं किया जा रहा। प्रतिभाओं को संवारने के लिए स्टेडियम बनाकर भूमि का उपयोग किया जा सकता है। क्षेत्र की 74 ग्राम पंचायतों में छोटे-बड़े मिलाकर 108 खेल के मैदान हैं। यह मैदान सिर्फ कागजों में दर्ज हैं। लेकिन वहां कोई विकास नहीं कराया गया। 

स्टेडियम बने तो बात बने 

एथलेटिक कोच विवेक चौधरी का कहना है कि तहसील क्षेत्र के खिलाडिय़ों ने सुविधाओं के अभाव में भी देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है। क्रिकेट कोच मेघराज सिंह का कहना है कि नगर व ग्रामीण क्षेत्र से राष्ट्रीय स्तर तक के खिलाड़ी निकल सकते हैं। किंतु प्रशिक्षण, संसाधन के अभाव में इन खिलाडिय़ों को अवसर नहीं मिल पाता है।  परोपकार सामाजिक सेवा संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी का कहना है कि क्षेत्र में स्टेडियम की मांग बहुत समय से चल रही है। लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। हम मनोज ठेनुआं आदि के साथ क्षेत्र में बड़े स्तर पर स्टेडियम की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं।


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