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Tender Scam : घोटाले में दोषी पाए गए तत्कालीन सीएमओ डा. एमएल अग्रवाल Aligarh News

स्वास्थ्य विभाग के बहुचर्चित नौ करोड़ के टेंडर घोटाले में फंसे तत्कालीन सीएमओ डा. एमएल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। निदेशक ( चिकित्सा उपचार) की जांच में वे आंशिक रूप से दोषी पाए गए है। रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 07:17 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 07:17 AM (IST)
तत्कालीन सीएमओ डा. एमएल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग के बहुचर्चित नौ करोड़ के टेंडर घोटाले में फंसे तत्कालीन सीएमओ डा. एमएल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। निदेशक ( चिकित्सा उपचार) की जांच में वे आंशिक रूप से दोषी पाए गए है। रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। प्रमुख सचिव (चिकित्सा अनुभाग) वी हेकाली झिमोमी ने एटा में वरिष्ठ परामर्शदाता डा. अग्रवाल को 15 दिन में अपना जवाब शासन में उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। जवाब न मिलने पर गुण-दोष के आधार पर अग्रिम कार्यवाही की चेतावनी दी गई है। 
यह है मामला
वित्त वर्ष 2018-19 में दीनदयाल अस्पताल को उच्चीकृत करने के लिए 5.40 करोड़ व अतरौली के 100 शैय्या अस्पताल के लिए 4.70 करोड़ रुपये का अलग-अलग बजट मिला। 21 फरवरी 2019 को दीनदयाल की सीएमएस डॉ. याचना शर्मा ने दोनों अस्पतालों का संयुक्त टेंडर निकाल दिया, जो नियमों के खिलाफ था। टेंडर में ऐसी शर्तें रखी दीं, जिसे कोई पूरा नहीं कर पाया। जिसका लाभ अधिकारियों की चहेती फर्मों को मिला। 
डीएम की जांच में भी दोषी 
दैनिक जागरण में घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद डीएम ने तीन सदस्यीय कमेटी से जांच कराई। इसमें भी तत्कालीन सीएमओ डा. एमएल अग्रवाल, दीनदयाल अस्पताल की तत्कालीन सीएमएस डा. याचना शर्मा व जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनुपम भास्कर समेत कई कर्मियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया। शासन को भी रिपोर्ट भेजी, मगर कई माह तक मामला दबा रहा। कोल विधायक के सक्रिय होने पर शासन ने कदाचार के दोष में डा. एमएल अग्रवाल का जनपद एटा में वरिष्ठ परामर्शदाता व डा. याचना शर्मा का जनपद मैनपुरी में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद तबादला कर दिया गया। 
प्रमुख सचिव ने कराई जांच 
18 नवंबर 2019 को प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने तीनों अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए निदेशक (चिकित्सा उपचार) को जांचाधिकारी नियुक्त किया। हैरत की बात ये है कि सालभर से यह जांच रिपोर्. लंबित थी। विगत अक्टूबर 2020 में फिर से फाइलों पर चढ़ी गर्द साफ हुई। चार जनवरी को निदेशक की रिपोर्. सामने आई। सबसे पहले डा. भास्कर से तलब किया गया। वहीं रिपोर्. में डा. अग्रवाल पर अनुशासनात्मक कार्यवाही में लगे आरोपों को आशंकि रूप से सही पाया गया है। उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक(अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम -9(4) अंतर्गत डा. अग्रवाल से जवाब प्रस्तुत करने निर्देश दिए हैं। 
एडी हेल्थ ने दिखाई मेरबानी 
ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद को शासन से ऊपर समझते हैं। एक तरफ प्रमुख सचिव ने तत्कालीन सीएमअो को दोषी मानते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है, वहीं दूसरी तरफ नवागत एडी हेल्थ डा. एसके उपाध्याय ने चार्ज लेते ही डा. अग्रवाल पर मेहबरानी दिखाते हुए उन्हें संयुक्त निदेशक का अतिरिक्त चार्ज सौंप दिया। यह निर्णय सवालों के घेरे में है।

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