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गंगा से निकली मिट्टी माफिया पचा गए, जांच में चेहरे उजागर हुए तो पर्दा डालने की कोशिश

गंगा से निकली मिट्टी खनन माफिया पचा गए। जांच में चेहरे उजागर हुए तो पर्दा डालने के लिए बड़े-बड़े जुट गए। विभागीय अफसरों ने चुप्पी साध ली पुलिस भी मौन है। जांच रिपोर्ट और तहरीर कहां गईं? इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैंया देना नहीं चाहते।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:00 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:00 PM (IST)
गंगा से निकली मिट्टी माफिया पचा गए,  जांच में चेहरे उजागर हुए तो पर्दा डालने की कोशिश
अलीगढ़ से गंगा और यमुना दोनों ही नदियां निकलती हैं।

लोकेश शर्मा,  अलीगढ़ : गंगा से निकली मिट्टी खनन माफिया पचा गए। जांच में चेहरे उजागर हुए तो पर्दा डालने के लिए बड़े-बड़े जुट गए। विभागीय अफसरों ने चुप्पी साध ली, पुलिस भी मौन है। जांच रिपोर्ट और तहरीर कहां गईं? इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैं,या देना नहीं चाहते। जन सूचना अधिकार (आरटीआइ) का आवेदन भी जवाब का इंतजार कर रहा है। 

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यह था मामला 

हरदुआगंज क्षेत्र का यह मामला 2019 का है। मुख्य गंग नहर की सफाई कर मिट्टी (सिल्ट) निकाली गई थी, जो किनारों पर ही छोड़ दी गई। नियमानुसार इस मिट्टी की नीलामी होनी थी, लेकिन इससे पहले ही माफिया ने करोड़ों की मिट्टी का सौदा कर दिया। कुछ ही दिनों में डेढ़ किमी तक मिट्टी उठा ली गई। मामला इसी साल 21 जनवरी को तब उजागर हुआ, जब मुख्य गंग नहर पर बरौठा पुल की पटरी पर जिलेदार तृतीय कुंवरपाल ङ्क्षसह भंवर ने निरीक्षण किया। नहर से निकली मिट्टी गायब थी, वाहनों के टायरों के निशान साफ नजर आ रहे थे। कोई टेंडर हुआ नहीं था, न नीलामी की सूचना थी। समझते देर न लगी कि प्रकरण मिट्टी चोरी का है।

यह हुआ 

मामला गर्माया तो सींचपाल शाहपुर सिद्धार्थ गौतम ने अज्ञात के विरुद्ध तहरीर दे दी। पुलिस ने जांच की तो 27 दिसंबर, 19 का एक अनुमति पत्र मिला, जो अधिशासी अभियंता अलीगढ़ खंड गंग नहर कार्यालय से जारी था। इसमें गांव सिकंदरपुर व इटावली के निकट नहर की पटरी पर मिट्टी पड़े होने का हवाला देकर जनहित में मिट्टी उठान की अनुमति दी गई थी, लेकिन विभागीय अफसरों ने पत्र को फर्जी बता दिया। जांच अधिशासी अभियंता को दी गई। तीन हफ्ते चली जांच में खामियां मिलीं। कार्रवाई के लिए रिपोर्ट अधीक्षण अभियंता को भेज दी, मगर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। तहरीर पर भी कुछ नहीं हुआ। थाना प्रभारी रितेश ने इतना ही कहा कि जानकारी कर रहे हैं। 

दूसरे पत्र ने उलझाया

हरदुआगंज थाने में अवर अभियंता उपखंड तृतीय यतेंद्र प्रताप ङ्क्षसह के एक और पत्र ने पुलिस को उलझा दिया था। पत्र में कहा गया कि सिकंदरपुर व इटावली सीमा में खेती को रास्ता देने के लिए मिट्टी उठाने की संस्तुति की गई थी, लेकिन बरौठा से सिकंदरपुर के मध्य मिट्टी उठाने की अनुमति नहीं दी। ऐसा हुआ तो कार्रवाई की जाए। मुफ्त में मिट्टी उठाने की संस्तुति कैसे की, वह ये स्पष्ट न कर सके। इसी सवालों का जवाब जानने के लिए विपिन चौधरी ने आरटीआइ से जानकारी मांगी है। पवन कुमार, अधिशासी अभियंता गंग नहर का कहना है कि मामले की जांच मैंने ही की थी। जांच के दौरान अनियमिताएं पाई गईं। रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेज दी, आगे क्या हुआ जानकारी नहीं है।


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