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कोरोना की दूसरी लहर से फिर थमी उद्योगों की रफ्तार Aligarh news

पीतल 450 रुपया प्रतिकिलो व फ्रेस आयरन सीट 100 रुपये प्रतिकिलो रिकार्ड कीमत पर पहुंच चुकी हैं। जिन उद्यमी व निर्यातकों ने छह माह पहले आर्ड बुक किए हैं उन्हें बाजार में अपनी साख बचाने के लिए घाटे में आर्डर पूरे करने पड़ रहे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 09:34 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 09:34 AM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर से फिर थमी उद्योगों की रफ्तार Aligarh news
कोरोना की दूसरी लहर ने उद्योगों की रफ्तार ही थाम दी है।

अलीगढ़, जेएनएन।  कोरोना की दूसरी लहर ने उद्योगों की रफ्तार ही थाम दी है। देश के महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिमी बंगाल सहित कई अन्य राज्यों में जनता कर्फ्यू या लाकडाउन लगा हुआ। प्रदेश सरकार ने उद्योगों के संचालन पर भले ही रोक न लगाई हो, मगर उद्यमियों ने 80 फीसद फैक्ट्रियों को स्वेच्छा से लाकडाउन कर रखा है। जो इक्का-दुक्का जो एक्सपोर्ट यूनिटें चल भी रही है, वह ताला, हार्डवेयर, आर्टवेयर, आटो मोबाइल्स के कलपुर्जे व अन्य उत्पादन की फैक्ट्रियाें के मालिक व प्रबंधन कच्चे माल की कीमतों में लगी आग से परेशान हैं। पीतल 450 रुपया प्रतिकिलो व फ्रेस आयरन सीट 100 रुपये प्रतिकिलो रिकार्ड कीमत पर पहुंच चुकी हैं। जिन उद्यमी व निर्यातकों ने छह माह पहले आर्ड बुक किए हैं, उन्हें बाजार में अपनी साख बचाने के लिए घाटे में आर्डर पूरे करने पड़ रहे हैं। लागत मूल्य लगातार बढ़ता जा रहा है। उत्पादन की कीमत पुरानी ही है।

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ताला व हार्डवेयर का बड़ा कारोबार है अलीगढ़़ में  

अलीगढ़ में ताला व हार्डवेयर का बड़ा कारोबार है। इसके अलावा पीतल की मूर्ति, आयरन की बिजली फिटिंग्स उत्पादन, हेंड व इलैक्ट्रिक पावर प्रेस, मोबाइल टावर के पुर्जे, नट बोल्ट, वासिंग मशीन, साइलेंस जनरेटर, कार व दो पहिया वाहनों के कंपनियों के लाक्स सहित अन्य अलीगढ़ उत्पादनों व रा मेटेरियल मिलाकर 32 हजार करोड़ रुपये सालाना कारोबार है। एक्सपोर्ट यूनिटों के संचालक रा मेटेरियल के दामों में लगी आग से परेशान हैं। पिछले साल टाटा व जिंदल कंपनियों की आयरन सीट 45 रुपये प्रति किलो थी। मंगलवार को आयरन सीट का भाव 100 रुपया प्रतिकिलो से पार हो चुका है। आटो कंपनियों में यूज की गई आयरन स्क्रेप 22 रुपये से बढ़कर 45 रुपये हो गई है। पीतल के भाव पिछले साल 280 रुपये प्रति किलो थे, जो कि अब 450 रुपये प्रतिकिलो बिक रही है। इसका सीधा भारी असर उत्पादन लागत पर पड़ा है।  

100 रुपये प्रतिकिलो के दाम में सटर व डोर व पैड लाक फुटकर व्यापारी को बिकता था बाजार में, उसकी लागत तो बढ़ गई पर बिक्री मूल्य वही है। इसके चलते कारोबारियों ने काम रोक दिया है। 

ताला-हार्डवेयर, आर्टवेयर के कच्चे माल भाव 

धातु का नाम, अप्रैल, मई

तांबा, 640, 800

पीतल, 410, 450

निकिल, 1200, 1325 

जस्ता, 215, 240

एल्युमीनियम, 160, 200 

सीसी, 150, 175

टाटा की आयरन सीट, 90, 100 

जीपी सीट (कूलर वाली) 95, 105

मेल्टिंग स्क्रेप, 40, 45 

गेलोनाइज्ड सीट, 90, 100

नोट : धातु के दाम प्रतिकिलो रुपये में

इनका कहना है

ताला-हार्डवेयर में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के चलते बढ़ रही हैं। कोरोना संकट से चीन पूरी तरह उभर चुका है। इस देश में फैक्ट्रियां बड़ी उत्पाद क्षमता के साथ चल रही हैं। दुनियाभर कच्चा माल व देश से ब्रांडेड आयरन फ्रेस सीट आयात कर रहा है। इस लिए दाम बढ़े हुए हैं। 

- धनजीत वाड्रा, उद्योगपति

जिले की अधिकांश फैक्ट्रियां बंद हैं। देश के अन्य राज्यों में भी कमोवेश यहीं हालात हैं। आयरन की हर प्रकार की सीट पर दाम लगातार बढ़ रहे हैं। टाटा व जिंदल जैसी कंपनियां बढ़े भाव के कारण बताने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार ने कीमतों को काबू में नहीं किया तो उद्योग ही उजड़ जाएंगे।

- विष्णु भैया, थोक आयरन सीट कारोबारी

मेरी ताला व हार्डवेयर की एक्सपोर्ट यूनिट है। इस समय बंद चल रही है। निर्यताकों के आर्डर भी हैं। कोरोना के जब बादल छटेंगे,तब फैक्ट्री का संचालन शुरू होगा। कच्चे माल की हर रोज कीमतें बढ़ रही हैं। समझ में नहीं आ रहा, आर्डर कैसे दिए जाएंगे। छह माह पहले बुक आर्डर लंबित चल रहे हैं। सरकार कीमतों को नियंत्रण में करे।

- नीरज अग्रवाल, ताला-हार्डवेयर निर्माता


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