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Aligarh news : कम उम्र के लोगों में बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा, इससे बचने को स्‍वस्‍थ खानपान व व्‍यायाम जरूरी

Aligarh news डायबिटीज अब कम उम्र के लोगों को भी अपनेे चपेट में ले रही है। इससे बचने के लिए बच्‍चों को खेल के लिए प्रेरित करें व स्‍वस्‍थ खानदान पर ध्‍यान देना चाहिए। डॉ ऐश्वर्या कृष्णमूर्ति ने इससे बचने के उपाय बताए।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 15 Nov 2022 12:34 PM (IST)Updated: Tue, 15 Nov 2022 12:47 PM (IST)
मैक्स अस्पताल, वैशाली की एंडोक्रिनोलॉजी एंड डायबिटीज की सलाहकार डॉ ऐश्वर्या कृष्णमूर्ति ।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Aligarh news : अक्षय सिंह (बदला हुआ नाम) कक्षा 8 में पढ़ता है और स्कूल की क्रिकेट टीम में भी है, साथ ही शतरंज खेलता है, लेकिन पिछले दो वर्षों से अक्षय लॉकडाउन और कोविड प्रतिबंधों के कारण अपनी नियमित क्रिकेट कक्षाओं में भाग लेने और अभ्यास करने में असमर्थ रहा। उसे लगभग 2-3 महीने तक अत्यधिक थकान और नींद आने की शिकायत के अलावा रात में बार-बार पेशाब आ रहा था। इन लक्षणों को देखते हुए अक्षय के पिता ने उसका रूटीन हेल्थ चेकअप करवाया, क्योंकि चालीस साल की उम्र में जब उन्हें भी डायबिटीज का पता चला तो उन्होंने खुद इन लक्षणों का अनुभव किया था। रिपोर्ट में डायबिटीज का पता चला, जिसके बाद उसे टाइप-2 डायबिटीज के टेस्ट का सुझाव दिया गया।

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अधिकांश खाद्य पदार्थ शरीर में ग्‍लूकोज के रूप में टूट जाते हैं

मैक्स अस्पताल, वैशाली की एंडोक्रिनोलॉजी एंड डायबिटीज की सलाहकार डॉ ऐश्वर्या कृष्णमूर्ति ने कहा- हमारे द्वारा खाये जाने वाले अधिकांश खाद्य पदार्थ शरीर में ग्लूकोज के रूप में टूट जाते हैं, जिससे रक्त बनता है। इंसुलिन अग्न्याशय (पैनक्रियाज़) द्वारा बनाया गया एक हार्मोन है, जो एक कुंजी की तरह काम करता है। इंसुलिन ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में भेजने में मदद करता है। यह ग्लूकोज को शरीर की विभिन्न कोशिकाओं को उनके सभी कार्य करने के लिए प्रदान करता है। हम डायबिटीज को शरीर में तब पैदा करते हैं, जब हमारा शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है (टाइप 1 मधुमेह मेलेटस- T1DM) , या जब शरीर इसका अच्छी तरह से उपयोग नहीं करता है (T2DM)। 

बच्‍चों व युवाओं में बढ़ रही बीमारी

जो लोग मोटे या अधिक वजन वाले हैं या जो कम एक्सरसाइज और खाने पीने की गलत आदतों के साथ खराब जीवन शैली जीते हैं, वे इंसुलिन के कार्य को खत्म कर देते हैं। इसका मतलब यह है कि उनके शरीर द्वारा उत्पादित इंसुलिन उनमें उतना काम नहीं करता, जितना उसे करना चाहिए। इसका असर यह होता है कि ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि टाइप 2 डायबिटीज (T2DM) अधिक उम्र के लोगों में होता है, लेकिन हाल के दौर में चिंताजनक यह है कि यह बच्चों और युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है।

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ऐसे बढ़ी बीमारी

संयुक्त राज्य अमेरिका के में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड के बाद, एक वर्ष के भीतर बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज (T1DM) के मामलों में 48% की वृद्धि और टाइप 2 डायबिटीज (T2DM) के मामलों में 231% की वृद्धि हुई, जो अपेक्षित रुझानों से काफी अधिक है। एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि महामारी के पिछले 2 वर्षों की तुलना में, कोविड-19 महामारी के पहले 12 महीनों के दौरान टाइप 2 डायबिटीज (T2D) में 182% की वृद्धि हुई थी। महामारी से पहले 2 वर्षों में टाइप 2 डायबिटीज T2D के 25.1% मामले थे, जबकि महामारी के दौरान यह 43.7% था।

समय पर इलाज जरूरी

यह ट्रेंड हमारे दिन-प्रतिदिन के अभ्यास में भी देखा गया है, जिसमें अधिक से अधिक छोटे बच्चे टाइप 2 डायबिटीज (T2DM ) और इसकी जटिलताओं से पीड़ित हैं। कई छोटे बच्चों में तो शुगर लेवल में अत्यधिक वृद्धि देखी गयी है, जिसका अगर समय पर इलाज नहीं किया जाय तो इसका आगे शरीर पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। बचपन से शुरू होने वाला टाइप 2 डायबिटीज ( T2DM), बड़ो का टाइप 2 डायबिटीज T2DM का "बेबी" संस्करण नहीं है, बल्कि यह कहीं अधिक आक्रामक बीमारी है। T2DM वाले बच्चों में, वयस्कों की तुलना में, रोग प्रक्रिया की अधिक तेजी से प्रगति होती है और उपचार की विफलता दर अधिक होती है, जैसा कि हाल में (किशोरों और युवाओं में टाइप 2 मधुमेह के लिए उपचार विकल्प) परीक्षण, उपचार विकल्पों पर सबसे बड़ा अध्ययन द्वारा प्रमाणित है।

खाने की खराब आदतों से हालात हुए बदतर

डॉ ऐश्वर्या कृष्णमूर्ति ने कहा कि बच्चों में टाइप 2 के जोखिम वाले कारकों में डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास, अधिक वजन और पर्याप्त व्यायाम नहीं होना शामिल है। कोविड से लगे लॉकडाउन के दौरान बच्चों को घर के अंदर सीमित कर दिया गया है और उन्हें स्वतंत्र रूप से खेलने और व्यायाम करने के अवसर से वंचित किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और 'स्क्रीन टाइम' के उपयोग में वृद्धि, तनाव और खराब खाने की आदतों से स्थिति और बदतर हो गई।

बच्‍चों को व्‍यायाम के लिए करें प्रेरित

छोटे बच्चों को स्वस्थ खानपान और नियमित व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करके इस घातक बीमारी को रोकने की तत्काल आवश्यकता है। यह घर से लेकर स्कूल तक हर स्तर पर किया जाना चाहिए। शैक्षिक और मनोरंजक गतिविधियों के साथ स्वस्थ जीवन शैली के बारे में संदेश बच्चों के लिए जरूरी है ताकि यह उनके आदतों में शुमार हो सके।


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