अलीगढ़ के लोगों को कोर्ट का फैसला दिल से स्वीकार, शहर ने पकड़ी रफ्तार
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न कोई हारा है और न कोई जीता। हां जीत हुई है तो आपसी सौहाद्र्र को कायम रखने वाले जज्बे की।
जेएनएन, अलीगढ़ : अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न कोई हारा है और न कोई जीता। हां, जीत हुई है तो आपसी सौहाद्र्र को कायम रखने वाले जज्बे की। फैसले को लेकर डर और शंकाओं के बादल 24 घंटे भी नहीं टिक पाए और रविवार सुबह से ही शहर सरपट दौड़ पड़ा। दैनिक जागरण की टीम ने शहर का जायजा लिया तो बाजारों से लेकर मुख्य मार्गों तक शहर सरपट दौड़ता दिखाई दिया। कहीं, तनाव या गिला-शिकवा नहीं दिखा। गुलाबी ठंड में लोग एक-दूसरे से गर्मजोशी से मिले। हर कोई फैसले को दिल से स्वीकार कर अपने काम-धंधे में मग्न था।
ऊपरकोट पर खचाखच भीड़
सुबह करीब 11 बजे ऊपरकोट का नजारा शनिवार से जुदा था। फैसले वाले दिन जिस तरह जामा मस्जिद के आसपास पुलिस की गाडिय़ां सन्नाटा चीर रही थीं, रविवार को ऐसा नहीं था। बाजार सामान्य दिनों की तरह खुला था। फुटपाथ पर फड़ लगाने वाले भी सामान सजाए बैठे थे। भीड़ इतनी थी कि पुलिस की गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह नहीं थी। यहां कपड़े की दुकान के मालिक अतीक अंसारी ग्राहकों से बातचीत में व्यस्त थे। कोर्ट के फैसले का जिक्र शुरू हुआ तो बोले-फैसला ठीक हुआ। मंदिर-मस्जिद विवाद खत्म हो गया। यहां सब ठीक है। लोगों को अपने काम से काम है।
सहालग की खरीदारी
दोपहर करीब 12 बजे सब्जी मंडी चौराहे से रेलवे रोड पर मीरीमल प्याऊ की तक बाजार में भीड़ बढ़ चुकी थी। ई-रिक्शा की वजह से कई जगह लोग जाम में फंसते नजर आए। सब्जी मंडी चौराहे पर अफसर नजर रखे थे। अब्दुल करीम चौराहे पर स्थित शहजादा कुर्ते वाले से लेकर अन्य दुकानों पर लोग सहालग की खरीदारी में व्यस्त दिखे।
मेरी तो अयोध्या में ही ससुराल
रेलवे रोड पर दोपहर एक बजे के करीब इंदिरा मार्केट में कपड़ा विक्रेता गिरधारी लाल अग्र्रवाल ग्राहकों से सौदेबाजी में व्यस्त मिले। बातचीत शुरू हुई तो बोले रविवार को जिस तरह ग्र्राहक होते हैं, आज कुछ कम हैं। लेकिन, कोई बात नहीं मार्केट चल पड़ा है। रोज-रोज की टेंशन खत्म हो गई। बोले, मेरी तो अयोध्या के पास ससुराल है। 18 बार अयोध्या जाने का मौका मिला है। हर बार वहां तनाव नजर आया, कई जगह चेकिंग से गुजरना पड़ता है।
इकबाल भाई का जवाब नहीं
एटा चुंगी की ओर रुख किया गया तो वहां भी सब ठीक था। दोपहर डेढ़ बजे एटा चुंगी स्थित टपरी पर कुछ बुजुर्ग चाय की चुस्कियां ले रहे थे। अखबार पढ़ रहे रामखिलाड़ी बोले, सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को ध्यान में रखकर फैसला दिया। कहीं कोई शंका या माहौल बिगडऩे की गुंजाइश ही नहीं है। उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए सूरजपाल ने कहा कि मस्जिद के लिए भी पांच एकड़ जमीन दी है, जो सराहनीय है। रामखिलाड़ी की नजर एक खबर पर पड़ी, तो बोले-बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल भाई ने बहुत अच्छा काम किया है। उनका जवाब नहीं। इकबाल भाई ने साफ कह दिया है कि अब कहीं कोई दावेदारी नहीं करेंगे। यही हमारे खूबसूरत ङ्क्षहदुस्तान की तस्वीर है।
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मिलकर काम कर रहे हिंदू-मुस्लिम भाई
धनीपुर मंडी में दोपहर करीब दो बजे क्रय-केंद्रों पर धान की लोडिंग चल रही थी। ङ्क्षहदू व मुस्लिम मजदूर साथ काम में जुटे थे। संदेश साफ था कि फैसले को लेकर मन में कोई मैल नहीं। अयोध्या की बात छिड़ी तो चेहरों पर अलग भाव आ गया। मानसिंह सराय निवासी राकेश ने कहा मंदिर वहीं बनेगा और क्या चाहिए? इरफान अली बोले-काफी दिनों से विवाद था। अब खत्म हुआ। मस्जिद को भी जगह मिल गई। अच्छा निर्णय है।
खुशनुमा माहौल, फैसले पर न हुई चर्चा तक
दोपहर 1:09 बजे का वक्त। स्टेडियम के सामने कन्फेक्शनरी पर संचालक रामेंद्र सिंह तोमर ग्राहकों को सामान दे रहे थे। एक दर्जन के करीब लोग बैठे थे। इनमें चार-पांच खिलाड़ी थे। वे शायद स्टेडियम में खेल के बाद जलपान को यहां आए। सब आपस में खेल की चर्चा कर रहे थे। इन्हीं के बगल में चार-पांच अन्य लोग बैठे थे। वो भी शायद आसपास के रहने वाले थे। सभी चाय की चुस्कियों के साथ सामने हो रही पुलिस चेकिंग के बारे में चर्चा कर रहे थे। करीब 15 से 20 मिनट तक यह सभी आपस में बात करते रहे, लेकिन एक भी बार अयोध्या फैसले को लेकर चर्चा नहीं की। इससे साफ है कि लोगों के जेहन 24 घंटे में ही यह बाहर निकल चुका है। कोई भी दिलचस्पी नहीं लेना चाह रहा। हर कोई खुशनुमा माहौल में अपनी जिंदगी के कामों को आगे बढ़ा रहे हैं।
आमजन का सिरमौर है फैसला
बड़ा बाजार स्थित सुबोध स्वीटी की दुकान पर शाम 3:45 बजे हाजी शफीक चर्चा में मशगूल थे। कुछ देर बाद मोहम्मद चमन पहुंच गए। अयोध्या पर आए फैसले पर चर्चा शुरू हुई तो शफीक बोले, कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होना चाहिए। हमें ङ्क्षहदुस्तानी होने पर फख्र है, जहां सभी का सम्मान होता है। इसी बीच सभी के लिए चाय आ गई। तब तक सरदार गुरुबिंदर सिंह, प्रदीप पेंटर, सुरेशचंद्र शर्मा, अप्पू चंद्रा, मुनव्बर अली व अन्नू भी पहुंच गए। फिर एक दूसरे की तारीफों में कसीदे गढ़े जाने लगे।