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गांधीजी के अंतिम संस्कार पर एएमयू के पूर्व छात्र ने किया था कुरान पाठ

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व छात्र अब्दुल मजीद ख्वाजा ने दिल्ली में बापू के अंतिम संस्कार से पहले हुई सर्वधर्म सभा में कुरान पाठ किया था। गांधीजी अलीगढ़ में तीन बार आए।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 10:15 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 10:15 AM (IST)
गांधीजी के अंतिम संस्कार पर एएमयू के पूर्व छात्र ने किया था कुरान पाठ
गांधीजी के अंतिम संस्कार पर एएमयू के पूर्व छात्र ने किया था कुरान पाठ

अलीगढ़ (संतोष शर्मा)। आजादी के एक साल बाद 1948 में 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद पूरा देश रोया था। उनके अंतिम दर्शन के लिए अलीगढ़ से भी सैकड़ों लोग दिल्ली गए थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व छात्र अब्दुल मजीद ख्वाजा ने दिल्ली में बापू के अंतिम संस्कार से पहले हुई सर्वधर्म सभा में कुरान पाठ किया था। गांधीजी अलीगढ़ में तीन बार आए। एएमयू छात्रसंघ ने 1920 में उन्हें आजीवन सदस्यता दी।

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जामिया मिलिया इस्लामिया की अलीगढ़ में रखी थी नींव

अब्दुल मजीद ख्वाजा ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज में पढ़ाई की। 1920 में इसी कॉलेज को एएमयू का दर्जा मिलने पर लॉ डिपार्टमेंट में पढ़ाया भी। अङ्क्षहसा नीति से प्रभावित होकर वे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों में भी गांधीजी के साथ रहे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व पीआरओ डॉ. राहत अबरार के अनुसार गांधीजी की अगुवाई में जामिया मिलिया इस्लामिया की अलीगढ़ में रखी गई नींव में भी अब्दुल मजीद ख्वाजा संस्थापक सदस्य बने। बाद में यह शिक्षण संस्थान दिल्ली में शिफ्ट हो गया था।

तीन बार अलीगढ़ आए गांधी, एएमयू में जली विदेशी कपड़ों की होली

इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब के अनुसार, गांधीजी पहली बार 1916 में एमएओ कॉलेज आए थे। वे निशात कोठी (आज अलीगढ़ पब्लिक स्कूल) में आमिर मुस्तफा शेरवानी के घर रुके। 12 अक्टूबर 1920 में दूसरी अलीगढ़ आए तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी गए। छात्रों ने तब उन्हें सिडन क्लब (यूनियन हॉल) में छात्र संघ की पहली आजीवन सदस्यता दी। बापू तब हबीब बाग (अब एकेडमिक स्टाफ  कॉलेज) में ठहरे, जहां अब्दुल मजीद ख्वाजा का मकान था। तीसरी बार पांच नवंबर 1929 को पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ आए। छात्रों से बापू ने खादी के इस्तेमाल की अपील की। गांधीजी की अपील से खुश होकर छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई। एएमयू के पूर्व छात्र मुहम्मद हरसत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन का हवा दी। बापू ने अब्दुल मजीद ख्वाजा व छात्रसंघ के पूर्व सचिव अब्दुल बारी को कई पत्र भी लिखे, जो आज भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मौलाना आजाद लाइबे्ररी में संरक्षित हैं।

गांधीजी की भस्मी को देखने उमड़ी थी भीड़

गांधीजी की भस्मी इलाहाबाद के लिए ट्रेन से ले जाई जा रही थी तो अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर भस्मी पात्र को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लेफ्टिनेंट चिंतामणि ने अपनी किताब में लिखा है कि रेलवे ने ट्रैक के दोनों ओर बल्लियां लगाई थीं। ट्रेन रुकते ही भस्मी पात्र पर लोगों ने पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी। अलीगढ़ के लोगों की गांधी जी के प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ी। हालांकि जो बल्लियां लोगों को रोकने के लिए रेलवे ट्रैक के सहारे लगाई गई थी वे टूट गई। भीड़ खूब थी बावजूद कोई हादसा नहीं हुआ था, पहले लोगों में अनुशासन भी था, जिसका आज अभाव है।

अहम बातें

- गांधीजी की हत्या के बाद हुई थी दिल्ली में हुई सर्वधर्म सभा 

- बापू की अङ्क्षहसा नीति से प्रभावित थे पूर्व छात्र अब्दुल मजीद ख्वाजा

- 1920 में एएमयू छात्रसंघ ने दी थी गांधीजी को आजीवन सदस्यता


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