अलीगढ़ के बुजुर्ग बोले, पहले जैसी हरियाली अब कहां? Aligarh news
सर सैय्यद अहमद खां ने शुद्ध वातावरण व हरियाली से प्रभावित होकर ही अलीगढ़ में एएमयू जैसे संस्थान की स्थापना की। कभी शहर में सड़कों के किनारे व आसपास घने छायाकार और फल-फूल देने वाले वृक्ष दिखाई देते थे। घर के आंगन में एक पेड़ जरूर होता था।
अलीगढ़, जेएनएन । सर सैय्यद अहमद खां ने शुद्ध वातावरण व हरियाली से प्रभावित होकर ही अलीगढ़ में एएमयू जैसे संस्थान की स्थापना की। कभी शहर में सड़कों के किनारे व आसपास घने छायाकार और फल-फूल देने वाले वृक्ष दिखाई देते थे। घर के आंगन में एक पेड़ जरूर होता था। स्कूल-कालेजों में भी खूब हरियाली होती थी। पेड़ की छांव के नीचे पंचायतें होती थीं। ठंडी पुरबा पेड़ों के पत्तों से टकराती तो वातावरण खुशनुमा हो जाता। राहगीरों के लिए यह पेड़ किसी वरदान से कम नहीं थे। लोग एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए पैदल ही मीलों का सफर तय करते। थक जातने पर पेड़ों की छांव में आश्रय लेते और तरोताजा होकर फिर आगे बढ़ जाते। विडंबना, अब ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। आज हरियाली खुद पनाह मांग रही है। वन और भू माफिया ने पेड़ों पर ऐसी कुल्हाड़ी चलाई कि हरियाली रूठ गई। अब हालात ऐसे हैं कि लोग शुद्ध आक्सीजन तक को तरस रहे हैं। आओ रोपें-अच्छे पौधे अभियान के अंतर्गत दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को हरियाली पर शहर के बड़े-बुजुर्गों को टटोला तो उनके हृदय का दर्द पीर बनकर उभर आया। बुजुर्गों ने क्या बताया? आप भी जानिए...
सासनी गेट क्षेत्र में महकती थी पेड़-पौधों की खुशबू
जयगंज पीपल वाली गली निवासी डा. जीएम राठी बताते हैं कि करीब 40 साल पहले की बात है। सासनी गेट से लेकर आगरा रोड पर कई किलोमीटर तक सड़क के दोनों ओर खूब हरियाली थी। हर-भरा वातावरण मन को मोह लेता था। पेड़ों की झांव में राहगीर सुकून पाते थे। मैं माहेश्वरी इंटर कालेज में कक्षा 10 में पढ़ाई करता था। उस समय स्कूल व कालेजों के प्रांगण व चारदीवारी के पास नीम-अशोक, गुलमोहर, जामुन, शीशम आदि के दर्जनों पेड़ हुआ करते थे। कई बार पेड़ की छांव में क्लास शुरू हो जाती थी। खेलने के लिए घास के मैदान थे। तब बच्चे पढ़ाई को लेकर इतने तनाव में भी नहीं होते थे। पिछले दिनों राजकीय इंटर कालेज में जाने का मौका मिला। यह देखकर दुख हुआ कि तमाम पेड़ अब कट चुके हैं। पहले जैसा हरा-भरा वातावरण नजर नहीं आया। शहर के अन्य हिस्सों में भी पेड़ नहीं दिखाई देते। वन व भूमाफिया ने सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। हमें फिर से वहीं वातावरण बनाना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए आजमन को आगे आना चाहिए।
जनकपुरी से आगे केवल पेड़ पौधे
प्रीमियर नगर बैंक कालोनी के 97 वर्षीय सेवानिवृत्त लेखपाल रघुनंदन दास श्रीवास्तव ने बताया कि सासनी गेट से आगरा रोड व मथुरा रोड पर दूर तक हरियाली दिखती थी। 30 साल पूर्व की बात करें तो सासनी गेट से पुराने हाथरस अड्डा तक सड़कों के किनारे तक इतने मकान नहीं थे। बैंक कालोनी में भी सात-आठ मकान थे और चारों तरफ पेड़ ही पेड़ दिखाई देते थे। कालोनी बस्ती गई और हरियाली खत्म हो गई। रामघाट रोड पर दुबे पड़ाव से जनकपुरी तक ही मकान थे। इससे आगे बसावट खत्म हो जाती थी और केवड़ पेड़-पौधे दिखाई देते थे। क्वार्सी चौराहा से धौर्रा तक केवल पेड़ होते थे। इधर, श्मशाद मार्केट के आपसास भी ज्यादा बसावट नहीं थी। हरा-भरा वातावरण मन को बहुत लुभाता था। शहर का दायरा बढ़ने से पेड़-पौधे नष्ट होते चले गए, लेकिन लोगों ने खुद पेड़ नहीं लगाए। मेरी अपील है कि दैनिक जागरण की मुहिम से जुड़कर वातावरण को हरा-भरा बनाने में सहयोग करें।
दूर-दूर तक नहीं दिखते पेड़
क्वार्सी के रोहिताश्व गिरी ने बताया कि शहर में जिस तेजी से विकास हुआ है, उसी रफ्तार से हरियाली कम हुई है। 20 साल पहले तक सड़क किनारे पेड़ नजर आते थे। राहगीर इनकी छांव में कुछ क्षण सुकून के बिता लेेते थे। अब दूर-दूर तक पेड़ नजर नहीं आते। हरियाली घटने से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मंडरा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में दैनिक जागरण ने सराहनीय पहल की है। इस मुहिम से लाेग जागरुक होंगे। हर व्यक्ति को न सिर्फ पौधे लगाने चाहिए, बल्कि इनकी देखभाल भी करनी चाहिए। तभी पौधारोपण अभियान अपने उद्देश्य में सफल होगा।