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Telemedicine Service of IMA Aligarh : कोरोनाकाल में वरदान साबित हुई आइएमए अलीगढ़ की टेलीमेडिसिन सेवा, Consultation To Patients From Abroad

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) अलीगढ़ शाखा की टेलीमेडिसिन सेवा वरदान साबित हुई। सुबह से लेकर देर रात तक टेलीमेडिसिन सेवा से जुडे चिकित्‍सकों ने मोबाइल फोन व व्हाट्सएप के जरिए परामर्श देकर देश भर के साथ-साथ विदेशों के कोरोना संक्रमण से ग्रस्‍त मरीजों को बचा लिया।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 06:17 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 06:17 AM (IST)
आईएमए के अध्‍यक्ष डा विपिन गुप्ता, सचिव डा भरत कुमार वार्ष्‍णेय ने निभाई अहम भूमिका।

अलीगढ़, जेएनएन। कोरोनावायरस की दूसरी लहर जिस तरह से लोगों पर कहर बनकर टूटी, उसे भुलाया नहीं जा सकता। अस्‍पतालों में बेड की कमी और आक्‍सीजन संकट से सैकड़ों लोगों की असमय मौत हो गई। अस्‍पतालों का जो हाल था, वह किसी से छिपा नहीं है। इस माहौल में सैकड़ों लोगों ने घर में ही आइसालेट रहकर ही इलाज कराया। ऐसे लोगों के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) अलीगढ़ शाखा की टेलीमेडिसिन सेवा वरदान साबित हुई। सुबह से लेकर देर रात तक टेलीमेडिसिन सेवा से जुडे चिकित्‍सकों ने मोबाइल फोन व व्हाट्सएप के जरिए परामर्श देकर देश भर के साथ-साथ विदेशों के कोरोना संक्रमण से ग्रस्‍त मरीजों को बचा लिया।

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टेलीमेडिसिन सेवा में सभी विशेषज्ञ शामिल

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अलीगढ़ के सचिव डा भरत कुमार वार्ष्‍णेय ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अलीगढ़ द्वारा तकरीबन तीन माह से निशुल्क टेलीमेडिसिन सेवा शुरू कर दी थी। टेलीमेडिसिन में शहर के काफी चिकित्सक निशुल्‍क परामर्श फोन एवं व्हाट्सएप पर दे रहे थे। इसमें सभी विशेषज्ञ चिकत्‍सक आज भी योगदान दे रहे हैं।

फोन पर हाल जानकर मरीजों का इलाज किया

आईएमए सचिव डॉ भरत कुमार वार्ष्णेय, डॉक्टर अतुल सिंघल, अध्यक्ष डॉ विपिन गुप्ता, डॉ मयंक मनी ,डॉ नीती गोयल ,डॉ राजीव शर्मा डॉ सुवेक वार्ष्णेय, डॉ रुबीना राठी , कोषाध्यक्ष डॉ  डॉ अभिषेक कुमार सिंह, डॉ नितिन अग्रवाल, डॉ अनुपम आहूजा, डॉ अनूप कुमार ,डॉ नेहा त्यागी सिंह डॉक्टर निखिल शर्मा डॉक्टर अभिषेक शर्मा आदि अपनी सेवाएं निशुल्क दे रहे है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से चिकित्सकों के मोबाइल नंबर जारी कर दिए गए थे, जिन पर निर्धारित वक्त पर कोई भी मरीज या उसके तीमारदार फोन कर  परामर्श निशुल्क ले सकते हैं। कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए अस्पतालों में उमड़ने वाली भीड़ को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया था।  कोरोनॉ महामारी  में जब मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ रही थी तो आई एम ए के डॉक्टर ने विभिन्न तरीके से अपना सहयोग शहरवासियों को देना शुरू कर दिया था।

मुंबई नागपुर लखनऊ, चेन्नई व आबू धाबी से आया फोन

इस दौरान न सिर्फ अलीगढ़ और आसपास के जिले से बल्कि दूरदराज प्रदेशों एवं विदेशो से कॉल भी रिसीव की गई।  पोर्ट ब्लेयर से एक फोन पर एक डिप्टी कमांडेंट ने अपने बुजुर्ग मां-बाप के लिए डॉक्टर मयंक मनी से संपर्क साधा। डॉ मयंक ने उनको सहयोग देते हुए उनका पूरा इलाज किया। इसी कड़ी में चिकित्सकों के पास  मुंबई नागपुर लखनऊ, चेन्नई आदि से कॉल आयी । डॉ निखिल शर्मा दांत रोग के पास मूल रूप से हाथरस के रहने वाले एक युवक का अपनी पत्नी के लिए आबू धाबी से फ़ोन आया।  डॉक्टर के पास आए My में कि चिकित्सकों की गई सूची सहित सोशल मीडिया के माध्यम से और शहर वासियों के सहयोग से पूरे देश ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी पहुंच गई। ज्यादातर लोग इस दौरान घर से नहीं निकलना चाह रहे थे, उन लोगों के लिए यह टेलीविजन सेवा एक वरदान साबित हुई। इसी बीच कुछ कुछ राजनीति लोगों ने इसको क्रॉस चेक भी किया।

घर में ही किया मरीजों का सही

जिस पर लोगों को एक निर्धारित किया गया था वह फोन करने के लिए लेकिन जब किसी को परेशानी होती है तो वह सिर्फ मदद देखता है। वक्त भूल जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए टेलीमेडिसिन से जुड़े चिकित्सकों ने देर रात में फोन आया हो या दिन के किसी भी वक्त उन्होंने कभी भी मना नहीं किया। पूरी बात को  आत्मीयता से सुनकर ही परामर्श दिया। परामर्श के बाद रेगुलर उनकी जानकारी ली और निरंतर संपर्क बनाए रखा। प्रत्‍येक चिकित्सक ने प्रतिदिन 25-30  कॉल अटेंड मरीजों को परमर्श दिया। सभी के सहयोग से सभी मरीजो को उनके घर पर ही रहकर सही किया गया। यह टेलीमेडिसिन सेवा अभी भी निरंतर जारी है।

आइएमए की टेलीमेडिसिन सेवा की बदौलत जीती कोरोना से जंग

बात आठ मई की है। मुुझे 101 बुखार था, लेकिन अचानक खाने का स्‍वाद टेस्‍ट का एहसास होना बंद हो गया। मैंने इसकी जानकारी फोन के जरिए आइएमए के सचिव डा भरत वार्ष्‍णेय को दी, तो उन्‍होंने डा मयंक मनी से दवाएं लिखकर व्हाट्सएप कर दीं। अहम बात यह है कि दोनों चिकत्‍सक हर दो घंटेे के अंतर पर खुद ही फोन पर बुखार का तापमान व आक्‍सीजन लेबल की जानकारी कर हालचाल पूछते थे। यह सिलसिला मेरे सही होने तक निरंतर बना रहा।

मनी, मरीज


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