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पहले दिन 50 हजार से अधिक लोगों की टीबी व कोविड-19 की स्क्रीनिंग Aligarh news

जनपद समेत पूरे प्रदेश में भले ही इस साल कोरोना संकट के चलते टीबी रोेगियों का चिह्नांकन काफी कम रहा है लेकिन राहत की बात ये है कि इलाज की सुविधा के चलते रिकवरी रेट 89 फीसद पहुंच गया है। इसलिए टीबी लाइलाज नहीं है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 04:49 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 04:49 PM (IST)
पहले दिन 50 हजार से अधिक लोगों की टीबी व कोविड-19 की स्क्रीनिंग Aligarh news
जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. अनुपम भास्कर

अलीगढ़, जेएनएन : जनपद समेत पूरे प्रदेश में भले ही इस साल कोरोना संकट के चलते टीबी रोेगियों का चिह्नांकन काफी कम रहा है, लेकिन राहत की बात ये है कि इलाज की सुविधा के चलते रिकवरी रेट 89 फीसद पहुंच गया है। इसलिए टीबी लाइलाज नहीं है। इस मर्ज को छिपाएं नहीं। समय से दवा लें। कोर्स पूरा करें।  टीबी हारेगा- देश जीतेगा अभियान के अन्तर्गत रविवार (आज) से 10 दिवसीय एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान शुरू हो गया है। पहले दिन 50 हजार से अधिक लोगों की टीबी व कोविड-19 की स्क्रीनिंग हुई। 

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इलाज से ठीक हो जाती है टीबी 

जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. अनुपम भास्कर ने बताया कि टीबी की साधारण बीमारी में छह माह, मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी नौ से 11 माह व एक्सडीआर टीबी 18 से 20 माह के कोर्स से पूरी तरह से ठीक हो जाती है। मर्ज को छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि उसका इलाज कराना चाहिए। प्रत्येक टीबी मरीज को सरकार की ओर से 500 रुपये पोषण भत्ता दिया जा रहा है। वर्ष 2020 में बिगड़ी हुई टीबी के 148 क्षय रोगी चिह्नित किए गए थे, जबकि वर्ष 2019 में बिगडी हुई टीबी के 129 क्षय रोगी चिह्नित किए गए थे। 

निश्शुल्क इलाज की सुविधा 

डाॅ. भास्कर ने बताया कि सरकारी चिकित्सालयों में टीबी की जांच व निश्शुल्क उपचार व परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है। एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के अंतर्गत अलीगढ़ के छर्रा, अतरौली, बिजौली, अकराबाद, पनेठी, हरदुआगंज, शाहजमाल, डीटीसी, ऊपरकोट, बन्नादेवी, मेडिकल कॉलेज एरिया, दीनदयाल अस्पताल एरिया, जवां, गभाना, खैर, टप्पल, लोधा, गोंडा, इगलास में संवेदनशील स्थानों पर अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए 400 टीम गठित की गई है। 80 सुपरवाइजर व 19 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।

जीत प्रोजेक्ट में अलीगढ़ में 9 केन्द्रों पर टीबी जांच हो रही

ज्वाइंट एफअर्ट्र्स फाॅर ऐलिमिनेशन ऑफ टयूबरक्लोसिस (जीत) प्रोजेक्ट भी जिले में चलाया जा रहा है। इसमें प्रत्येक टीबी के मरीज के बलगम के साथ-साथ एचआइवी व मधुमेह की जांच भी कराई जा रही है। एमडीआर टीबी के मरीज को जांच के लिए ले जाते समय ट्रांसपोटेशन चार्ज भी दिया जा रहा है। 


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