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दिव्यांगता पर मिले ताने ने चांद को दी चमक Aligarh News

कभी-कभी कटाक्ष इतना चुभ जाता है कि खुद को साबित करना ही जीवन का लक्ष्य बन जाता है। तब मंजिल तक पहुंचने की जिद में तमाम दिक्कतें पीछे रह जाती है और उपलब्धियां हाथ में होती हैैं। ऐसे ही लोगों में शाहजमाल निवासी दिव्यांग क्रिकेटर कैफ चांद शामिल हैैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 09:44 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 09:44 AM (IST)
दिव्यांगता पर मिले ताने ने चांद को दी चमक Aligarh News
लोगों में शाहजमाल निवासी दिव्यांग क्रिकेटर कैफ चांद शामिल हैैं।

अलीगढ़, गौरव दुबे। कभी-कभी कटाक्ष इतना चुभ जाता है कि खुद को साबित करना ही जीवन का लक्ष्य बन जाता है। तब मंजिल तक पहुंचने की जिद में तमाम दिक्कतें पीछे रह जाती है और उपलब्धियां हाथ में होती हैैं। ऐसे ही लोगों में शाहजमाल निवासी दिव्यांग क्रिकेटर कैफ चांद शामिल हैैं। 14 वर्षीय चांद ने बचपन में मिले ताने को कड़ी मेहनत का आधार बनाकर सफलता की चमक बिखेरी है। जिला, राज्य स्तर तक ही नहीं बल्कि चांद ने एक नेशनल क्रिकेट टूर्नामेंट में प्रतिभाग व दो नेशनल टूर्नामेंट में चयन कराकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है।

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बल्लेबाजी व गेंदबाजी दोनों में महारथ हासिल

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अहमदी स्कूल फार विज्युअली चैलेंज्ड में कक्षा सातवीं के छात्र कैफ चांद के पिता चांद खान कारपेंटर (बढ़ई) हैं। तीन भाई व दो बहनों में सबसे छोटे कैफ को सात साल की उम्र में पड़ोसी के ताने में झकझोर दिया। उनकी चप्पल खो जाती थी, जिसे वे ढूंढ़ नहीं पाते थे। तलाश करते समय गिर जाते थे। उस समय पड़ोस के एक व्यक्ति ने उनके पिता से कहा था कि इसको तो तुम बढ़ई भी नहीं बना सकते। इसे दिखता भी नहीं है। ये बात उसके दिल में घर कर गई और तभी से कुछ बड़ा करने की ठान ली। मोहल्ले में सामान्य बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने गए तो उनसे भी उपेक्षा मिली। इसलिए क्रिकेट में ही आगे बढऩे का मन बना लिया। बल्लेबाजी व गेंदबाजी दोनों में महारथ हासिल की।

दोस्त बनाने छोड़ दिए

कैफ ने बताया कि 2013 में उन्होंने दोस्त बनाना छोड़ दिया। कई बार जब वे स्पष्ट न दिखने के चलते गिर पड़ते थे या किताब को नजर के काफी पास से पढ़ते थे तो वो ही दोस्त मजाक उड़ाते थे। इसलिए दोस्ती छोड़ लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया। 

नाना नईम व शमशाद सर ने दी दिशा

कैफ ने बताया कि पड़ोस में ही उनके नाना नईम रहते हैं। उन्होंने अहमदी स्कूल में दाखिला कराया। वहां खेल प्रशिक्षक शमशाद निसार आजमी सर ने ब्लाइंड क्रिकेट के गुर सिखाए व स्टेट तक खेलने के लिए भेजा। फिर वहां से प्रदर्शन के आधार पर नेशनल में चयन होना शुरू हुआ।

नेशनल में एएमयू की जीत

2018 में ब्लाइंड क्रिकेट का नेशनल टूर्नामेंट हुआ था। फाइनल में एएमयू ने लखनऊ टीम को हराकर ट्राफी कब्जाई थी। इस टीम में शामिल कैफ ने अच्छा प्रदर्शन किया था। उन्होंने बताया कि दिल्ली स्टेट व लखनऊ स्टेट खेलने के अलावा 2019 में चेन्नई नेशनल व दिल्ली नेशनल टूर्नामेंट में चयन हुआ लेकिन कोरोना काल के चलते आयोजन नहीं हुआ।

बी-2 कैटेगरी की दिव्यांगता

दृष्टिबाधित बच्चों में तीन तरह की दिव्यांगता का स्तर होता है। बी-1 कैटेगरी में वो बच्चे आते हैं जिनको बिल्कुल नहीं दिखता। बी-2 कैटेगरी के बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर या किताब में देखने में दिक्कत रहती है, लेकिन धुंधला सा देख सकते हैं। बी-3 कैटेगरी में दृश्यता स्पष्ट नहीं होती, लेकिन काफी हद तक दिखता है। कैफ चांद बी-2 कैटेगरी में हैं।

कैफ चांद ने ब्लाइंड क्रिकेट में राष्ट्रीय स्तर तक अपनी काबिलियत साबित की है। भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम में सेलेक्शन के लिए इनको एएमयू की ओर से हर संभव तैयारी कराई जाएगी।

प्रो. असफर अली खान, डायरेक्टर, एएमयू स्कूल्स


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