समस्याओं के भंवर से निकलकर बन गईं तारणहार
खुद समस्याओं से घिरीं तो जाना कि दर्द क्या होता है। उन्होंने इससे हार नहीं मानी बल्कि संघर्ष का जज्बा दिखाते हुए मुकाम हासिल किया। इसके बाद तो उन्होंने दूसरी गरीब असहाय जरूरतमंदों की प्रेरणा का सबक लिया। आज पांच साल से निरंतर दूसरों की सेवा कर रही हैं।
हसायन, जेएनएन : खुद समस्याओं से घिरीं तो जाना कि दर्द क्या होता है। उन्होंने इससे हार नहीं मानी, बल्कि संघर्ष का जज्बा दिखाते हुए मुकाम हासिल किया। इसके बाद तो उन्होंने दूसरी गरीब, असहाय, जरूरतमंदों की प्रेरणा का सबक लिया। आज पांच साल से निरंतर दूसरों की सेवा कर रही हैं।
संक्षिप्त परिचय
हसायन क्षेत्र की रामादेवी वाष्र्णेय अपने परिवार के लिए संघर्ष करते-करते अब समाजसेवा में जुट गई हैं। पांच साल पहले पति की मौत के बाद उनके सामने बड़ी समस्या पैदा हो गई। उन्होंने खुद आगे कदम बढ़ाए और जुट गईं अपनी मंजिल पाने के लिए। दर-दर भटकीं, लेकिन हार नहीं मानी।
सेवा का लिया संकल्प
अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से जब उन्होंने अपनी समस्याएं सुलझा लीं जीवन को आसान बना लिया तो मुश्किलों में फंसे अन्य जरूरतमंदों की सेवा का संकल्प लिया। उनके पास जो भी महिलाएं आतीं, वे सरकारी कार्यालयों में जाकर उनकी समस्याओं का निदान कराती हैं। वृद्धावस्था पेंशन, आवास योजना, विधवा पेंशन आदि में आने वाली समस्याओं का भी निदान कराती हैं। उन्होंने महिलाओं को प्रोत्साहित करने को अपना मुख्य उद्देश्य बना लिया है। आए दिन गरीब असहाय लोगों की परेशानियों का निराकरण करने की कोशिश में जुटी रहती हैैं। अब यहां रामा ताई के नाम से जानी जाती हैं जो थाना, ब्लॉक, तहसील व जिला लेवल तक के कार्यों में गरीब निर्धन लोगों का भरपूर सहयोग करती हैं।
संषर्घ जारी रहेगा
मैंने अपने परिवार के लिए संघर्ष के बाद समाजसेवा का जो बीड़ा उठाया है, वह अनवरत जारी रहेगा। मुझे उनकी सेवा करने में ईश्वर की भक्ति जैसा आनंद प्रतीत होता है। किसी गरीब असहाय का कार्य पूरा करा देने पर मुझे असीम शांति होती है।
-रामादेवी वाष्र्णेय