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सपा शासन में हुए अवैध कब्जे बन रहे निशाना

अवैध कब्जे हटाए जाने को लेकर जिला प्रशासन हो गया है सक्रिय।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 06:43 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 06:43 PM (IST)
सपा शासन में हुए अवैध कब्जे बन रहे निशाना
सपा शासन में हुए अवैध कब्जे बन रहे निशाना

अलीगढ़ : अवैध कब्जे हटाए जाने को लेकर जिला प्रशासन अब बेहद सक्रिय हो गया है। चिन्हित करने के बाद अवैध कब्जों को हटाया जा रहा है। खास बात यह है कि इनमें ज्यादातर अवैध कब्जे सपा शासन में हुए हैं। अब इन कब्जों को हटाया जा रहा है। शहर के लोग यहां तक कहने लगे हैं कि सपा शासन में हुए अवैध कब्जे ही निशाना बन रहे हैं। सपा के पूर्व मंत्री की ट्रस्ट की जमीन पर बुलडोजर चलने के बाद अवैध कब्जा करने वालों के हौंसले पस्त होने लगे हैं।

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सपा के पूर्व मंत्री की ट्रस्ट की जमीन पर चला बुलडोजर

सपा के पूर्व मंत्री मरहूम ख्वाजा हलीम के ख्वाजा फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट को बदले में दी गई सरकारी जमीन पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाते हुए कब्जा ले लिया। बदले में जमीन पर बने एक कक्ष व बाउंड्रीवॉल को तुड़वा दिया गया है। ग्राम सभा का बोर्ड भी लगा दिया गया है। मेन रोड किनारे की यह बेशकीमती जमीन 15 साल पहले बदले में तब मिली थी, जब वे मुलायम सरकार में मंत्री थे। वहीं, ट्रस्ट की मैनेजिंग डायरेक्टर व पूर्व मंत्री की पत्‍‌नी नसरीन हलीम का कहना है कि वह कार्रवाई के विरोध में हाईकोर्ट जाएंगी।

अवैध जमीन पर बना दिया ट्रेनिंग कालेज

ट्रस्ट ने छेरत-सुढि़याल में 1.52 हेक्टेयर जमीन ली थी। 2003 में पड़ोसी गांव चंदौखा की 1.15 हेक्टेयर ऊसर भूमि से इसे बदल लिया। यहीं पर कुछ अन्य जमीन भी थी, जिसे मिलाते हुए उन्होंने अलीगढ़ टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज शुरू किया। फिर, राजस्व परिषद व हाईकोर्ट के आदेश पर एडीएम प्रशासन आरएन शर्मा की कोर्ट ने विनिमय पर सुनवाई की और एसडीएम के 15 साल पुराने फैसले को रद कर दिया।

आदेश में 1.53 हेक्टेयर, मौके पर मिली महज 1.15 ही

तत्कालीन एसडीएम सूबेदार सिंह ने जमीन के स्थानांतरण आदेश के दौरान बड़ा खेल किया गया था। तहसील से आए रिकॉर्ड के मुताबिक ख्वाजा हलीम ट्रस्ट की छेरत सुढि़याल के गाटा संख्या 186 पर 0.691 व 250 पर 0.461 हेक्टेयर भूमि दर्ज थी। दोनों का योग 1.52 हेक्टेयर होता है। जबकि चंदौखा की सरकारी भूमि चार गाटा में थी। इसमें 205 पर 0.300, 209 पर 0.380, 212 पर 0.300 व 214 पर 0.173 हेक्टेयर भूमि है। इसका योग 1.163 हेक्टेयर ही बैठता है। सर्किल रेट में भी दोनों में 10 फीसद का अंतर था। तत्कालीन एसडीएम ने बड़ी चालाकी से किसी को शक न हो इसके लिए चंदौखा वाली जमीन के कुल योग को 1.53 हेक्टेयर कर दिया। स्थानांतरण आदेश के रिकॉर्ड में भी इतनी ही भूमि दर्ज की गई।

शासन को कर दी रिपोर्ट

प्रशासन अब पूरे मामले की रिपोर्ट को शासन को भेज रहा है। इसमें तत्कालीन एसडीएम सूबेदार सिंह की भूमिका भी संलिप्त बताई जारही है। इनके खिलाफ भी लिखा जा रहा है।

छात्रों का भविष्य सुरक्षित

कॉलेज में बीएड़-बीटीसी 250 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। एडीएम के आदेश के बाद कयास लगाए जा रहे थे, कॉलेज की बिल्डिंग पर भी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन, तहसील की टीम ने जब इसकी जांच की गई तो उसमें कॉलेज की बिल्डिंग बच गई है। ऐसे में छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित रह गया।

लोगों में खुशी, चराई भैंस

एनएच-93 पर जमीन कब्जा मुक्त होने के बाद चंदौखा गांव के लोगों में अलग ही खुशी नजर आ रही थी। लोगों ने अफसरों की सराहना की। कुछ ग्रामीण तो कार्रवाई के दौरान ही बाउंड्री टूटते ही कब्जा मुक्त जमीन पर भैंस चराने के लिए आ गए।

सरकारी योजना को स्थानांतरित होगी जमीन

एसडीएम कोल जोगेंद्र सिंह का कहना है कि एडीएम प्रशासन कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त करा दिया। अब यह जमीन ग्राम समाज को दे दी गई है। जल्द ही किसी सरकारी योजना के लिए विभाग को स्थानांतरित कर दी जाएगी।

पूर्व मंत्री के ट्रस्ट की पुनर्विचार अर्जी भी खारिज

सपा के संस्थापक सदस्य व पूर्व मंत्री मरहूम ख्वाजा हलीम के ख्वाजा फांउडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की जमीन के बदले सरकारी जमीन देने के आदेश रद करने के विरुद्ध दायर पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई है। एडीएम प्रशासन आरएन शर्मा की कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और अपना पुराना फैसला ही बरकरार रखते हुए भू-अभिलेख में ग्राम सभा का नाम दर्ज करने का तहसीलदार को आदेश दे दिया। ट्रस्ट के कर्ता-धर्ता अब कमिश्नर कोर्ट में अपील दायर करेंगे।

फरवरी में दुनिया छोड़ गए ख्वाजा हलीम के परिजनों के लिए यह कठिन घड़ी है। ख्वाजा फांउडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की मैनेजिंग डायरेक्टर उनकी पत्नी नसरीन हलीम हैं। उनकी मुश्किल यह है कि छेरत-सुढि़याल की 1.52 हेक्टेयर के बदले वर्ष 2003 में जिस पड़ोसी गांव चंदौखा की 1.53 हेक्टेयर ऊसर जमीन मिली थी, वहां उनका अलीगढ़ टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज चालू है। बीएड-बीटीसी प्रशिक्षु पढ़ रहे हैं। इस घटनाक्रम के सामने आने से प्रशिक्षुओं के भविष्य पर तलवार आ लटकी है। वैसे, अदला-बदली पर मुहर ख्वाजा के मुलायम सरकार में मंत्री रहते लगी थी। फिर, कुछ पट्टाधारक हाईकोर्ट व राजस्व परिषद गए तो एडीएम कोर्ट को फैसला लेने को कहा गया। 15 साल बाद कोर्ट ने विनिमय को गलत माना। जमीन खाली करने का आदेश दे दिया।

ट्रस्ट की एमडी नसरीन हलीम के हवाले से उनके अधिवक्ता ने छह व 20 जुलाई को दिए आदेशों को एकपक्षीय बताया। कहा, विनिमय के वक्त प्रदेश में राजस्व संहिता नहीं, उप्र जमींदार विनाश एवं भूमि व्यवस्था लागू थी। शासकीय अधिवक्ता ने दलील दी कि जिस पंचायत की जमीन गई है, उसकी पूर्ति नहीं हो सकती। विनिमय नियम-विरुद्ध है। जमीन भी नेशनल हाईवे-93 पर ली गई है, जो बड़े मौके की है। जमीन देते वक्त ग्राम पंचायत का पक्ष भी नहीं सुना गया।

कमिश्नर कोर्ट में करेंगे अपील

ट्रस्ट की मैनेजिंग डायरेक्टर व पूर्व मंत्री की पत्नी नसरीन हलीम का कहना है कि जिस जमीन के विनिमय को रद किया गया है, वहां बने कॉलेज में 250 छात्राएं पढ़ती हैं। उनका क्या होगा? अब न्याय के लिए कमिश्नर कोर्ट में जाएंगे।

एडीए की आवासीय जमीन पर बना दिया कब्रिस्तान

यह सुनने में भले अटपटा लगे लेकिन, सच है। सपा सरकार में एडीए की आवासीय योजना के लिए खाली पड़ी जमीन कब्रिस्तान के रूप में विकसित कर दी गई। सरकारी धन से चारदीवारी कराई गई। अब शिकायत के बाद इसका पर्दाफाश हुआ है। प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है। कमिश्नर ने एडीए अफसरों को एक माह के अंदर सर्वे कर जमीन कब्जा मुक्त कराने के निर्देश दिए हैं। 1997 में भी इसी जमीन पर कब्जे के आरोप में मुकदमा दर्ज हो चुका है।

0.0810 हेक्टेयर है जमीन

एडीए की शहर में कई स्थानों पर आवासीय एवं व्यवसायिक जमीन है। एक जमीन रामघाट रोड पर गोविला गैस एजेंसी के बराबर 0.0810 हेक्टेयर है। उसकी सरकारी कीमत डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक है। ऐसे में माफिया की नजर पड़ी हुई हैं। एडीए की ओर से 1997 में जमीन कब्जाने के आरोप में क्वार्सी थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। सपा सरकार ने करा दी चारदीवारी

पूर्व की सपा सरकार ने कब्रिस्तान के विकास को एक योजना शुरू की थी, कब्रिस्तान की बाउंड्री व गेट का निर्माण किया जाता था। जिले में 100 से अधिक कब्रिस्तानों का विकास किया गया। रामघाट रोड पर गोविला गैस एजेंसी के बराबर में 800 मीटर से अधिक जमीन की बाउंड्री वॉल व गेट बनाया गया। हकीकत में जमीन कब्रिस्तान की थी नहीं। एडीए की जमीन पर ही यह काम किया गया था। स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो उनकी एक नहीं चली।

कब्जामुक्त कराने के निर्देश

कुछ दिन पहले मंडलायुक्त के यहा इसकी शिकायत हुई तो अब सख्ती शुरू हो गई है। कमिश्नर अजयदीप सिंह ने एक महीने के अंदर हर हाल में कब्जा मुक्त कराने के निर्देश दिए हैं। एडीए ने अब सर्वे के लिए टीम गठित कर दी है।


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