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हाथरस में सुरंग के द्वार पर सुरंगपुरा, जानिए क्या है हकीकत

सुरंग के गेट पर बसा गांव सुरंगपुरा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 06:40 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 06:40 PM (IST)
हाथरस में सुरंग के द्वार पर सुरंगपुरा, जानिए क्या है हकीकत
हाथरस में सुरंग के द्वार पर सुरंगपुरा, जानिए क्या है हकीकत

अलीगढ़ : हाथरस को हींग के नाम से जाना जाता है, लेकिन इसकी एक पहचान और भी है। यहां के किले के बारे में तो जानते ही होंगे। यहां की सुरंग के बारे में भी सुना होगा। यह वही सुरंग है, जिससे राजा दयाराम अलोप हुए और खच्चरों पर लादकर सारा खजाना सुरंग से बाहर पहुंचा दिया। जहा ये सुरंग निकली वहा लोगों ने बसेरा डाल दिया। जिसकी पहचान अब सुरंगपुरा गाव के नाम से होती है। सास्कृतिक और एतिहासिक धरोहरों से जुड़े इस गांव की जिले में खास पहचान है।

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रियासत के समय इस सुरंग के बारे में कोई नहीं जानता था। खजाने पर नजर गढ़ाए अंग्रेजी सैनिक राजा पर समर्पण के लिए दबाव बना रहे थे। पर राजा झुके नहीं। इसके चलते 1817 में किले पर हमला किया गया। करीब दस किलो मीटर दूरी से किले पर अनगिनत गोले बरसाए। राजा को जब लगा कि जीत अंग्रेजों की होगी तो उन्होंने खच्चरों पर खजाने की सारी संपत्ति लाद सुरंग के जरिए गावों की ओर छोड़ दिए और खुद भी सुरंग से अलोप हो गए। बाद में सुरंग के निकास द्वार वाले क्षेत्र में बसावट हो गई और बस्ती का नाम सुरंगपुरा पड़ गया। यहां के गोपाल शर्मा (92) का कहना है कि उनके बुजुर्ग बताते हैं कि सुरंग से ही गांव का नाम सुरंगपुरा पड़ा है।

खुदाई में निकली मूर्तियां व बर्तन

गांव सुरंगपुरा के बुजुर्ग प्यारेलाल का कहना है कि किला का निकास द्वारा इसी गाव पर बताया गया। जो किले से करीब एक किलो मीटर दूर है। खुदाई में यहा पर मूर्तिया व प्रचीन चीजें भी निकलीं। कई बार पुरातत्व विभाग की टीमें भी आईं और यहां मिली पत्थर की मूर्तियों व बर्तन आदि को साथ ले गईं।

मंदिर के पीछे था प्रवेश द्वार

किले की यह गुप्त सुरंग थी। राजा ने आपातकाल के लिए बनवाई थी। इसका प्रवेश द्वार मंदिर के पीछे पानी की टंकी के पास बताया गया। करीब पच्चीस साल पहले तक इसके निशान भी देखे गए। बाद में ये निशान भी लुप्त हो गए।

पुरातत्व विभाग दे ध्यान

सुरंगपुरा के रहने वाले सरबन बताते हैं कि पिताजी बताते थे कि इसी स्थान पर किला की सुरंग का निकास द्वार था। यह सुरंग किले से यहा तक आयी थी। जहा पर आज बस्ती बस गई है। पुरातत्व विभाग को इस ओर संरक्षण की पहल करनी चाहिए।

सुरंग का था निकास द्वारा

सुरंगपुरा के रहने वाले कृष्णनंद बताते हैं कि राजा दयाराम के किले की सुरंग का निकासी द्वार यहीं पर बुजुर्ग बताते है। वहा पर लोगों ने अपना आवास बना लिया और उसकी के नाम से आज यह गाव बसा हुआ है।

खास बातें

-हाथरस के किले से एक किलो मीटर दूर सुरंग का निकास द्वार

-इसी से राजा हुए थे अलोप, सुरंग के नाम पर पड़ा गांव का नाम

-1817 में किले पर हुआ अंग्रेजों ने किया था हमला

-10 किलो मीटर दूर से बरसाए थे अनगिनत गोले


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