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Aligarh News : साहसिक निर्णय से सुमन ने किया दुश्वारियों पर वार, अब बना रहीं अचार

Aligarh News हर इंसान के जीवन में दुश्‍वारियां आती हैं। जो दुश्‍वारियों से लड़कर आगे बढ़ा वो ही कामयाब होता है। ऐसी ही एक महिला हैं सुमन सिंह जिनके पति को झूठे प्रकरण में जेल भेज दिया गया जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्‍मेदारी उन्‍होंने अकेले उठायी।

By gaurav dubeyEdited By: Anil KushwahaPublished: Sat, 01 Oct 2022 03:32 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 03:32 PM (IST)
Aligarh News : साहसिक निर्णय से सुमन ने किया दुश्वारियों पर वार, अब बना रहीं अचार
अपने बनाए गए अचार को चेक करती सुमन सिंह। सौजन्‍य : जागरण

गौरव दुबे, अलीगढ़ । इंसान के जीवन में दुश्वारियां कई तरह की आ सकती हैं। उनसे लड़ते हुए इंसान आगे भी बढ़ता है। मगर जब कोई विपत्ति अपने परिवार पर आती है तो व्यक्ति की सोचने- समझने यहां तक कि निर्णय लेने की शक्ति भी क्षीर्ण पड़ जाती है। बड़ी विपत्तियों को झेलते हुए खुद अपना काम शुरू कर जीवन व परिवार चलाने का निर्णय लेकर क्वार्सी क्षेत्र के वैष्णवधाम कालोनी निवासी Suman Singh ने मिसाल पेश कर दी। झूठे प्रकरण में पति जेल में, गोद में एक वर्ष का बेटा व पांच वर्ष की बेटी, घर में साथ देने वाली सास का देहांत ऐसी स्थिति की कल्पना मात्र से किसी का भी दिल सिहर उठे। मगर सुमन इन चुनौतियों से सिर्फ लड़ी नहीं बल्कि जीती भीं। घर पर ही अचार बनाने का काम कर आज अपना मुकाम हासिल कर रही हैं व दूसरों को नौकरी दे रही हैं।

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पति को झूठे प्रकरण में फंसाया गया

सुमन ने बताया कि 2016 में उनके पति वीरेंद्र सिंह को झूठे प्रकरण में फंसा दिया गया। वे उस समयaided degree college में लिपिक पद पर कार्यरत थे। आमदनी बंद हो गई। इस प्रकरण की टीस में 2018 में सास रतन चल बसीं। एक वर्ष के बेटे पूरब व पांच वर्ष की बेटी विशाखा के साथ घर में अकेली सुमन। चुनौतियों का पहाड़ सामने दिख रहा था। 2017 में समाचार पत्र में आत्मनिर्भर महिलाओं की प्रेरक कहानी पढ़कर प्रेरणा मिली। बस, घर पर अचार बनाने की ठान ली।

बचपन में सीखा था अचार बनाना

बचपन में मां व नानी को अचार डालते देखती थीं, वही हुनर याद करके दो किलो कच्चे आम काटकर अचार बनाना शुरू किया। शाम को लोकलाज के चलते छिपकर अमिया तौलवाने जाती थीं। बेटी के स्कूल से शिक्षिका घर पर आईं तो उन्होंने अचार बनाने का आर्डर दिया। वहां से कारवां शुरू हुआ तो अब सास के नाम पर समूह रजिस्टर्ड कराकर बड़े पैमाने पर अचार, पापड़, चिप्स आदि बनाने का काम रफ्तार पकड़ गया है। कुछ खास रिश्तेदारों व संबंधियों के जरिए विदेश तक में इनका अचार जा रहा है। 10 से 12 महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करा दिया है। 25 तरह के अचार घर पर ही बनाती हैं। फर्जी प्रकरण से बरी होकर पति भी अब काम में हाथ बंटाते हैं।

बेटी के रुपयों से लाईं तराजू

आर्थिक समस्या ने घेरा तो अचार का काम करने के लिए तराजू की जरूरत पड़ी। तब बेटी विशाखा को स्कूल से पुरस्कार स्वरूप दो हजार रुपये प्रोत्साहन राशि मिली थी। बेटी ने कहा मां मेरे 2000 रुपये से तराजू ले आओ। तब कच्चा आम तौलने के लिए घर पर तराजू आया था।

बेटो को खोने का भी झेला दर्द

सुमन ने बताया कि बड़ी बेटी के बाद 2003 में बेटे कुनाल का जन्म हुआ था। 2011 में आठ वर्ष की उम्र में कूलर के नीचे से फुटबाल निकालने के फेर में करंट की चपेट में आकर उसकी मृत्यु हाे गई थी। इस घटना ने उनको तोड़ दिया था।


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