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World Tourism Day : अलीगढ़ का ऐसा पर्यटन स्थल जहाँ श्रीराम व श्रीकृष्ण ने की लीलाए Aligarh news

अलीगढ़ जागरण संवाददाता। आज पूरे विश्व में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा है जनपद अलीगढ़ में भी एक ऐसा पर्यटन स्थल है जो लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह स्थल धार्मिक व पर्यटन दोनों ही दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 10:16 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 10:20 AM (IST)
इगलास में स्‍थित तीर्थधाम धरणीधर सरोवर पर्यटन स्थल घोषित नहीं हो सका।

योगेश कौशिक, अलीगढ़। आज पूरे विश्व में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा है जनपद अलीगढ़ में भी एक ऐसा पर्यटन स्थल है जो लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह स्थल धार्मिक व पर्यटन दोनों ही दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। यह बात अलग है कि जनप्रतिनिधियों की वादा खिलाफी व हीला-हवाली के चलते आजादी के छह दशक बाद भी यह स्थल अपने विकास के लिए तरस रहा है। ब्रज चौरासी कोस क्षेत्र के अंतर्गत यह पौराणिक व धार्मिक स्थल श्री कृष्ण जन्मस्थली से बमुश्किल 30 किमी. दूरी पर स्थित होने के कारण देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक दर्शनीय व पिकनिक केंद्र हो सकता है। पर्यटन स्थल बनने से न केवल इस क्षेत्र का संपूर्ण विकास होगा, अपितु बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार के असीमित अवसर भी उपलब्ध होंगे। पर्यटकों से होने वाली आय सरकारी खजाने के लिए भी अतिरिक्त आय का स्रोत हो सकती हैं।

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नहीं हो सका पर्यटन स्थल घोषित

उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सूबे की योगी सरकार ने विधानसभा क्षेत्रों में पर्यटन स्थल घोषित किए है। प्रदेश की 373 विधानसभा में पर्यटन संवर्धन योजना के तहत पर्यटन स्थल बनाए गए हैं, लेकिन जिले का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थधाम धरणीधर सरोवर पर्यटन स्थल घोषित नहीं हो सका। योगी सरकार से ऋषि विश्वामित्र की तपोस्थली धरणीधर के विकास की आस लगाए बैठे यहां के लोग निराश हैं। यहां के वासिंदों का मानना है कि यदि धरणीधर पर्यटन स्थल बने तो कस्बा में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और विकास होगा।  

विश्वकल्याण के लिए हुआ था यज्ञ

त्रेेतायुग में ऋषि विश्वामित्र ने बेसवां में जन कल्याण के लिए यज्ञ किया था। तब ताडिका सहित अन्य राक्षस व्यवधान डालते थे। इसके चलते विश्वामित्र अयोध्या से श्रीराम व लक्ष्मण को अपने साथ यहां लाए, जिन्होंने ताडि़का नामक राक्षसी का वध किया था। बाद में यज्ञ कुंड ही धरणीधर सरोवर हो गया। सरोवर पृथ्वी का नाभी केंद्र माना जाता है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने यहां गौचारण लीला की। श्रीकृष्ण व श्रीराम के चरण पडऩे से बृज में यहां का अलग ही महत्व है। माना जाता है कि धरणीधर की परिक्रमा से 84 कोस की परिक्रमा का पुण्य मिल जाता है। यहां बड़ी संख्या में आसपास के श्रद्धालु दंडौती परिक्रमा लगाते हैं। परिक्रमा लगाने वालों को निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसी मान्यता है। यहां वर्ष में कई मेले भी आयोजित होते है।  


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