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विद्यार्थियों ने लिया स्वतंत्र भारत के आदर्शों को अपनाने का संकल्प Aligarh news

शांतिनिकेतन वल्र्ड स्कूल के छात्र-छात्राओं को दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित लेख को शिक्षकों ने असेंबली के दौरान पढ़कर सुनाया। हम तो चले घूमने शीर्षक से प्रकाशित लेख के बारे में शिक्षिका नेहा शर्मा ने विद्यार्थियों को जानकारी दी।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 06:11 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 06:30 AM (IST)
विद्यार्थियों ने लिया स्वतंत्र भारत के आदर्शों को अपनाने का संकल्प Aligarh news
शांतिनिकेतन वल्र्ड स्कूल के छात्र-छात्राओं को दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित लेख को शिक्षकों ने असेंबली के दौरान पढ़कर सुनाया।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता । शांतिनिकेतन वल्र्ड स्कूल के छात्र-छात्राओं को दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित लेख को शिक्षकों ने असेंबली के दौरान पढ़कर सुनाया। हम तो चले घूमने शीर्षक से प्रकाशित लेख के बारे में शिक्षिका नेहा शर्मा ने विद्यार्थियों को जानकारी दी। विद्यार्थियों ने स्वतंत्र भारत के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया। विद्यार्थियों ने लेख से संबंधित बिंदुओं पर प्रश्न भी पूछे।

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रोहन ने आंटी से समाज सुधारक सावित्री बाई के बारे में सुना

शिक्षिका नेहा ने विद्यार्थियों को रोहन व आंटी के संवाद के बारे में बताते हुए कहा कि रोहन ने आंटी से महाराष्ट्र की समाज सुधारक सावित्री बाई फुले के बारे में पढ़ा था। तभी वो उनके बारे में अपनी आंटी को बता सका। समाज की कुरीतियों को दूर करने को आदर्श बनाकर देशहित में कदम बढ़ा सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वतंत्र भारत के आदर्शों को अपनाने का संकल्प दिलाया। लेख से संबंधित सवाल पूछा कि शिल्पी आंटी ने मम्मी से क्या पूछा था? इस पर बच्चों ने सही जवाब दिया। छात्र-छात्राओं को बताया कि अपने स्वतंत्रता सेनानियों व स्वतंत्रता संग्राम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी करने व उनके आदर्शों को अपनाने से जीवन में सकारात्मक नजरिया पनपेगा।

विद्यार्थियों के बोल

संस्कारशाला में प्रकाशित लेख की कहानी प्रेरणा देती है। कहानी के जरिए संस्कार देने का काम इस लेख के जरिए होता है। संस्कारशाला का हर लेख पढ़ते हैं।

आयुष, कक्षा नौवीं

प्रेरणादायी कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कहानी में एक या दो नहीं बल्कि कई संदेश छिपे रहते हैं। कई-कई बार पढ़ने पर भी रुचिकर लगता है।

चांदनी चौहान, कक्षा नौवीं

आदर्श, कर्तव्य व संस्कार का बोध कराता है संस्कारशाला। असेंबली में इसको सुनने से पहले घर से भी इसको पढ़कर आते हैं। काफी जानकारी भी मिलती है।

अक्षत शर्मा, कक्षा नौवीं

संस्कारशाला के लेख संस्कार तो देेते ही हैं साथ में महत्वपूर्ण जानकारियां देकर नालेज भी बढ़ाते हैं। सावित्रीबाई फुले के बारे में जानकारी हुई। इसे पढ़ना अच्छा लगता है।

समीक्षा वर्मा, कक्षा नौवीं


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