खेतों में तालाबाें की खोदाई की धीमी हुई रफ्तार, जानिए वजह
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत खेतों में तालाब बनाने की रफ्तार धीमी पड़ रही है। शुरुअात में तो किसानों को योजना भा रही थी। लेकिन अब किसान इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। ऐसी परिस्थिति में लक्ष्य पूरा होता नहीं नजर आ रहा।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत खेतों में तालाब बनाने की रफ्तार धीमी पड़ रही है। शुरुअात में तो किसानों को योजना भा रही थी। लेकिन, अब किसान इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। ऐसी परिस्थिति में लक्ष्य पूरा होता नहीं नजर आ रहा। हालांकि, भूमि संरक्षण विभाग के अफसर और कर्मचारी किसानों से लगातार संपर्क कर रहे हैं। पिछले साल मानकों पर खरे उतरे नौ खेतों में विभाग द्वारा 17 तालाब तैयार कराए गए थे।
किसानों की दिलचस्पी हो रही कम
भूमि संरक्षण विभाग को इस वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत खेतों में 16 तालाब तैयार कराने का लक्ष्य मिला है। विभाग ने किसानों से आवेदन लेने के लिए प्रचार-प्रसार कराया। इगलास, अतरौली, गभाना, चंडौस में तालाबों के लिए खेतों का चयन किया गया। किसानों की सहमति मिलने पर पांच तालाब तैयार करा दिए गए। वहीं, चार तालाबों के लिए चिह्नित किए गए खेतों में तालाब खोदने की योजना थी, लेकिन किसान सहमत नहीं हुए। तब अन्य किसानों से संपर्क कर तीन तालाब खोदवाए गए थे। जो अब तैयार हाे चुके हैं और पानी से लबालब हैं। इसके बाद तालाब तैयार कराने की कवायद धीमी पड़ने लगी। किसान भी आगे नहीं आ रहे। जबकि, शुरुआत में 30 किसानों ने योजना में दिलचस्पी दिखाई थी।
मानक के अनुसार चयन
तालाबों का चयन मानकों के अनुसार किया जाता है। खेतों में जलजमाव वाले निचले हिस्से में तालाब तैयार कराए जाते हैं, जिससे पानी ठहरा रहे और अत्याधिक बारिश में फसलों को नुकसान न पहुंचे। ऐसे नौ खेतों में तालाब बनवाए गए थे। इससे किसानों काे लाभ है। कुछ किसान तालाबों में मछली पालन कर रहे हैं।
मिलता है अनुदान
भूमि संरक्षण अधिकारी निधि राठौर बताती हैं कि पंजीकृत किसानों को सरकार तालाब बनवाने के लिए 50 फीसद अनुदान देती है। मानक के अनुसार एक तालाब की लंबाई 22 मीटर, चौड़ाई 20 मीटर और गहराई तीन मीटर होनी चाहिए। एक लाख पांच हजार रुपये तालाब के निर्माण का बजट है। इसमें 50 फीसद यानी, 52,500 रुपये अनुदान के रूप में तीन किस्तों में किसानों को मिलता है। तालाब से किसानों को काफी लाभ है। यह जल संचय का प्रमुख स्रोत है। भूमि में नमी बनी रहती है। इससे फसलों को सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होगी। उत्पादन बेहतर होगा। किसान खेती के साथ तालाब में मछली पालन और सिंघाड़ा उत्पादन कर अतिरिक्त आय कर सकते हैं।