धूमपान से खतरे में जान..सरकारी तंत्र फिर भी अनजान
बीड़ी सिगरेट के धुएं में हैं खतरनाक रसायन
विनोद भारती, अलीगढ़ : सरकारी दफ्तर हों या कोई सार्वजनिक स्थल! सख्त कानून के बावजूद धूमपान करने और गुटखा चबाने वालों पर कोई रोकटोक नहीं दिखती। युवाओं में यह लत तेजी से बढ़ रही है, इससे उनके जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है।
21 विभागों पर थी जिम्मेदारी : सरकार ने सार्वजनिक स्थल पर धूमपान व गुटखा का इस्तेमाल रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग को नोडल बनाया गया है। 21 अन्य सरकारी विभाग भी शामिल हैं, जिनमें नोडल अधिकारी नियुक्त कर परिसर में तंबाकू इस्तेमाल करने वालों के चालान (200 जुर्माना) काटने के निर्देश हैं। चिंता की बात ये कि चालान काटना तो दूर ज्यादातर स्थानों पर सूचना तक चस्पा नहीं । महिला अस्पताल ने आठ व दीनदयाल चिकित्सालय ने जरूर तीन चालान काटकर इच्छा शक्ति जताई है।
नशा मुक्ति केंद्र का इंतजार : कार्यक्रम के तहत दीनदयाल अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित होना था। इसमें धूमपान के अलावा गुटखा, शराब, अफीम, गाजे की लत के शिकार लोगों का दवाओं व मनोवैज्ञानिक पद्धति से इलाज के निर्देश दिए गए। अफसोस, न तो केंद्र ही बना और न मानसिक रोग विशेषज्ञ, काउंसलर, डिस्ट्रिक्ट कंसल्टेंट व सोशल वर्कर जैसे पदों पर नियुक्ति हुई।
लापता हुए सचल दल : नगर मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में भी आबादी के अनुसार सचल दल गठित होने थे, जिनमें आयकर, वाणिच्य-कर, राजस्व कर, स्वास्थ्य विभाग, परिवहन, श्रम विभाग, पुलिस, एफडीए के अधिकारी शामिल किए जाने थे। सचल दस्तों को सार्वजनिक स्थलों व सरकारी विभागों में औचक निरीक्षण कर धूमपान व तंबाकू चबाने वालों का चालान काटने के निर्देश दिए गए। धूमपान जोन भी बनाए जाने थे, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.अशोक कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पतालों व विभागों में सचल दल बनाए जाएंगे, जहां बन गए हैं, उन्हें सक्रिय किया जाएगा। कार्यक्रम के अंतर्गत खर्च हुए बजट की समीक्षा भी करूंगा।
सिगरेट के धुएं में ये हैं खतरनाक रसायन : पन्नालाल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.संगीता सिन्हा के अनुसार सिगरेट या बीड़ी के धुएं में निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड, आर्सेनिक, अमोनिया, सीसा, बेंजीन, ब्यूटेन, कैडमियम, हेक्सामाइन व टोल्यूनि आदि हानिकारक रसायन पाए जाते हैं। धूमपान से सीओपीडी (सांस नली का सिकुड़ना) व हृदय रोग आदि तो उत्पन्न होते ही हैं, फैंफड़े, मुंह, ध्वनि, खाने की नली, पेट, लिवर के कैंसर का कारण भी बनते हैं। युवाओं में यह लत बढ़ रही है, जो चिंता की बात है।