Preparations for assembly elections : छोटे दलों ने बड़ी भूमिका के लिए भरी हुंकार Aligarh news
विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही छोटे दल भी हुंकार भरना शुरू कर दिया है। ये दल प्रमुख मुद्दों पर आगे आने लगे हैं। हालांकि इससे पहले इनकी इतनी सक्रियता नहीं देखी गई है। जिले में अपना दल लोक जनशक्ति पार्टी के पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता । विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही छोटे दल भी हुंकार भरना शुरू कर दिया है। ये दल प्रमुख मुद्दों पर आगे आने लगे हैं। हालांकि, इससे पहले इनकी इतनी सक्रियता नहीं देखी गई है। जिले में अपना दल, लोक जनशक्ति पार्टी के पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं। ये संगठन प्रमुख मुद्दों पर सक्रिय नजर आ रहे हैं। चर्चा है चुनाव नजदीकि आने के चलते इनकी सक्रियता बनी है।
सभी पार्टियों ने शुरू की तैयारी
विधानसभा चुनाव नजदीक है। भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। इन दलों ने संगठन स्तर पर बैठकें, गोष्ठियों की शुरुआत कर दी है। बसपा ने पहली बार प्रबुद्धजन सम्मेलन की शुरुआत की है। इससे पहले बसपा भाई चारा कमेटी के माध्यम से बसपा लोगाें के बीच में पैठ बनाने का काम किया करती थी, मगर इस बार प्रबुद्ध सम्मेलन आयोजित कर रही है। इस बहाने वह ब्राह्मणों को आकर्षक करने का काम क रही है। वहीं, भाजपा ने भी चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रबुधजन सम्मेलन विधानसभा क्षेत्र के अनुसार कर रही है। पार्टी ने इस सम्मेलन को इतनी गंभीरता से लिया है कि इसमें प्रदेश स्तर के नेता भी जा रहे हैं। ऐसे में छोटे दलों की सक्रियता चर्चा का विषय बना हुआ है। अभी हाल में अपना दल के प्रदेश के नेता आए थे, उन्होंने जिले की इकाई की नियुक्ति की है। जबकि इन चार वर्षोें में उन्होंने अलीगढ़ का भ्रमण नहीं किया था। इकाई गठित करने के बाद से यह चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि अपना दल चुनाव को लेकर सक्रियता बढ़ा रही है। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता भी गांवों में भ्रमण करने लगे हैं। उन्होंने संपर्क करना शुरू कर दिया है।
छोटे दलों की रहती है बड़ी भूमिका
चुनाव के समय छोटे दलों की बड़ी भूमिका रहती है। उनका वोट बैंक होता है, अपने समाज में उनकी पकड़ होती है। इसलिए चुनाव के समय कई बार छोटे दल दिक्कत पैदा कर देते हैं। बड़े दलों के प्रत्याशियों के लिए तो कई बार हार का कारण भी छोटे दल बनते हैं। ऐसे में उनकी सक्रियता ने फिर राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। बड़े दलों के दावेदार भी इससे चिंतित होने लगे हैं। यदि उन्हें टिकट मिलता है तो फिर छोटे दल मुश्किल पैदा कर सकते हैं। हालांकि, तमाम बार ये दल चुनाव के समय में तालमेल भी कर लेते हैं। मगर, इस बार क्या रणनीति बनेगी यह देखने की बात है। बहरहाल, बड़े दलों की सक्रियता और उनकी रणनीति के आगे छोटे दलों की कितनी दाल गलती है यह वक्त ही बताएगा।