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हिंदू देवी देवताओं में थी सर सैयद की आस्था Aligarh news

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की ङ्क्षहदू देवी देवताओं में गहरी आस्था थी।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 04:22 PM (IST)
हिंदू देवी देवताओं में थी सर सैयद की आस्था Aligarh news
हिंदू देवी देवताओं में थी सर सैयद की आस्था Aligarh news

अलीगढ़़, जेएनएन : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की ङ्क्षहदू देवी देवताओं में गहरी आस्था थी। उन्होंने यूनिवर्सिटी की स्थापना से पहले कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं एकत्रित की थीं। जो आज भी यूनिवर्सिटी के मूसा डाकरी म्यूजियम में शोभायमान हैं। इनके साथ ही म्यूजियम में कई और ऐतिहासिक व प्राचीन धरोहर हैं। लॉकडाउन के कारण यूनिवर्सिटी बंद है। इस कारण इस बार संग्रहालय दिवस पर लोग यहां नहीं जा सकेंगे। 

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1920 में हुई थी स्‍थापना

सर सैयद अहमद खां ने एएमयू की स्थापना 1920 में की थी। लेकिन, उन्होंने इससे पूर्व ही कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं जुटानी शुरू कर दी थीं। 1863 में अलीगढ़ के डिप्टी कलक्टर व साइंटिफिक सोसायटी के संस्थापक सदस्य राजा जयकिशन ने भी सर सैयद को कुछ प्रतिमाएं भेंट की थीं। सर सैयद ने इन्हें पहले साइंटिफिक सोसायटी के दफ्तर (अब यहां तिब्बिया यूनानी मेडिकल कॉलेज है) में रखा था। इनके अलावा हाथरस, मथुरा, लखनऊ, आगरा से भी कई चीजें जुटाईं। ऐसी ही 27 प्रतिमाएं व पिलर (स्तूप) यहां हैं। इनमें महावीर स्वामी का एक टन वजनी सुनहरे पत्थर का स्तूप अद्भुत है। इसके चारों ओर भगवान आदिनाथ की 23 मूॢतयां हैं। शेष शैय्या पर लेटे भगवान विष्णु के साथ ही कंक्रीट से बनीं सात देव प्रतिमाएं भी हैं।

खोदाई में मिला अद्भुत खजाना

एटा के अतरंजीखेड़ा व बुलंदशहर आदि जिलों में खुदाई में निकले लोहे, तांबे व मिट्टी के बने बर्तन, श्रंगार का सामान व पशुओं को मारने में इस्तेमाल होने वाले हथियार यहां रखे हैं। यह धरोहर 3000 से 3200 साल पुराने हैं। इसका पूरा श्रेय इतिहास विभाग के पूर्व प्रो. आरसी गौड़ को जाता है। म्यूजियम में वर्ष 1890 से 1940 तक इस्तेमाल हो चुका टेलीफोन भी है। 1920 में आया वो टेलीफोन भी यहां है, जिसमें घंटी अंदर होती थी। बॉक्स वाले टेलीफोन के साथ पैड से लेकर एंड्राइड मोबाइल तक की सीरीज यहां है। 

ऊपर कोट पर थी कुतुब मीनार  

एएमयू इतिहास के जानकार डॉ. राहत अबरार के अनुसार ऊपर कोट पर कुतुब मीनार जैसी एक इमारत थी। सर सैयद के समय में इसे जर्जर होने पर तत्कालीन कलेक्टर ने तुड़वा दिया था। तब सर सैयद ने इसके शिलालेख ले लिए थे। सर सैयद ने दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों पर आसार उस सनादीद नामक उर्दू में किताब भी लिखी। 


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