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करोड़ों के घोटाले के दाग दामन में लिए साहब काे मिली बड़ी जिम्‍मेदारी, जानिए पूरा मामला Aligarh news

करोड़ों के घोटाले में दामन पर दाग लगवा चुके साहब को बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है। हालांकि जब से पुराने मामले में फंसे हैं काफी संभलकर चल रहे हैं। ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे कोई उंगली उठाए। यह सही भी है दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 07:52 AM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 09:45 AM (IST)
करोड़ों के घोटाले में दामन पर दाग लगवा चुके साहब को बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। करोड़ों के घोटाले में दामन पर दाग लगवा चुके साहब को बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है। हालांकि, जब से पुराने मामले में फंसे हैं, काफी संभलकर चल रहे हैं। ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे कोई उंगली उठाए। यह सही भी है, दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है। साहब भी फिलहाल ऐसे ही कर रहे हैं। नई जिम्मेदारी संभालते हुए साहब के पास अपनी छवि बदलने का बेहतरीन अवसर भी यही है। लेकिन, जल्द ही अस्पताल में नियमों के विपरीत लाखों-करोड़ों के भुगतान होने की चर्चा जोरों से हो रही है। कहा जा रहा है कि करोड़ों रुपये के बजट से अस्पताल के पुन: उच्चीकृत करने की एक फाइल भी बाहर आ गई है। अब साहब की कलम पर सबकी नजर है। बहरहाल, ये चर्चा ही रहे, सच न हो, क्योंकि पुराना दाग अच्छा नहीं था। किसी भी अफसर के लिए ये ठीक भी नहीं है।

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आंकड़ों में मौसम गुलाबी है...

जिले में मौसमी बीमारियों का प्रकोप है। सबसे ज्यादा भय डेंगू को लेकर है। सरकारी आंकड़ों में 100 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। प्रत्येक मरीज के मिलने के बाद विभागीय टीमें प्रभावित क्षेत्र में जाकर फागिंग व लार्वा रोधी दवा का छिड़काव करती हैं। घर-घर स्क्रीनिंग कर सैंपल भी लिए जा रहे हैं। उद्देश्य, सर्विलांस के जरिए डेंगू को फैलने से रोकना है। चिंता की बात ये है कि सर्विलांस की यह कार्रवाई ज्यादातर सरकारी सैंपलों के परिणाम पर ही आधारित है, जबकि निजी अस्पतालों में सरकारी आंकड़ों से कई गुना मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं। इन्हें विभाग मान ही नहीं रहा है। अब, मान ही नहीं रहा तो प्रभावित क्षेत्रों में सर्विलांस की कार्रवाई भी नहीं हो रही। नतीजतन, डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। हर साल ऐसा होता है, आंकड़े दुरुस्त रखने के फेर में बीमारी को छुपाया जाता है। खामियाजा, जनता को भुगतना पड़ता है।

वो रूठा है तो मना लेंगे

पंजे वाली पार्टी में जिला व महानगर कमेटी में फेरबदल के बाद से हंगामा बरपा हुआ है। विरोधी गुट ने नए नेतृत्व को स्वीकार करने से साफ इन्कार कर दिया है। और तो और खुलकर विरोध तक किया जा रहा है। नए नेतृत्व को आश्रय दे रहे एक वरिष्ठ नेता, जो कोल सीट से चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, उनके खिलाफ भी कई गुट लामबंद हो गए हैं। खासतौर से पैदल हुए पदाधिकारी हाईकमान के अहम फैसले तक नहीं मान रहे। प्रशिक्षण से लेकर अन्य अहम बैठकों तक में शामिल नहीं हो रहे। ये लोग रोजाना नए पदाधिकारियों व वरिष्ठ नेता की शिकायत लेकर प्रदेश मुख्यालय या दिल्ली पहुंच रहे हैं। लिहाजा, हाईकमान ने असंतुष्टों को साधने के लिए विशेष दिशा-निर्देश दे दिए हैं। नाराज लोगों को संगठन में दायित्व सौंपे जा रहे हैं। कुछ दिनों में प्रकोष्ठ व अन्य फ्रंटल संगठनों में काफी लोगों को जगह दी गई।

मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है

पिछले दिनों सेहत विभाग के साहब एक जिला स्तरीय अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंच गए। ओपीडी से लेकर वार्ड तक खंगाला। जगह-जगह गंदगी मिली। डाक्टर व स्टाफ भी नदारद कई दवा काउंटर तक बंद मिले। साहब ने अस्पताल के मुखिया से कारण पूछा तो मामला तूल पकड़ गया। लंबित समस्याओं का निस्तारण किए बगैर निरीक्षण करने पर आपत्ति जताई गई। व्यक्तिगत आरोप भी लगा दिए। शाम को कलक्ट्रेट में फिर आमना-सामना हुआ। नौबत तू-तड़ाक पर आ गई। साहब को हिदायत तक दे दी, अब अस्पताल में घुसकर दिखाएं। हर कोई हैरान रह गया। दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी। साहब ने बीमारियों के प्रकोप को देखते हुए व्यवस्था देखने व सरकार की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया। बहरहाल, साहब ने फजीहत से बचने के लिए अस्पताल पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। इसे बदलाव क्या होता है ये अब देखना होगा?


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