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सिद्धार्थ शंकर मीना हाथरस के एसपी और आकाश कुलहरी अलीगढ़ के एसएसपी बने

अलीगढ़ के एसएसपी अजय कुमार साहनी का सोमवार को तबादला हो गया। वे 35वीं वाहिनी पीएसी के सेनानायक होंगे।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 01:25 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 07:00 AM (IST)
सिद्धार्थ शंकर मीना हाथरस के एसपी  और आकाश कुलहरी अलीगढ़ के एसएसपी बने
सिद्धार्थ शंकर मीना हाथरस के एसपी और आकाश कुलहरी अलीगढ़ के एसएसपी बने

अलीगढ़ (जेएनएन)। अलीगढ़ के एसएसपी अजय कुमार साहनी का सोमवार को तबादला हो गया। वे 35वीं वाहिनी पीएसी के सेनानायक होंगे।  मुरादाबाद की 24वीं वाहिनी पीएसी के सेनानायक आकाश कुलहरी अलीगढ़ के नए एसएसपी होंगे। हाथरस के एसपी जयप्रकाश का तबादला लखनऊ किया गया है। सिद्धार्थ शंकर मीना हाथरस के नए एसपी होंगे। वे अभी तक पुलिस महानिदेशक कार्यालय से संबंद्ध थे। इन सहित 64 आइपीएस अधिकारियों के तबादले शासन ने किए हैं। देर शाम जारी तबादला सूची में सात जिलों के एसपी व एडीजी, आइजी के साथ 32 डीआइजी हैं।

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सात माह के कार्यकाल में कई मुद्दों में कार्यशैली पर उठे सवाल

एसएसपी अजय साहनी का अलीगढ़ में कार्यकाल भले ही सात माह का रहा, मगर यादगार रहा। इसकी वजह सिर्फ अपराधियों पर कार्रवाई नहीं हुई, उनके साथ जुड़े विवाद भी रहे। साहनी ने दो मई को उस वक्त एसएसपी का कार्यभार संभाला था, जब जिन्ना की तस्वीर को लेकर एएमयू में बवाल चल रहा था। आजमगढ़ से चार्ज छोड़कर वे सीधे एएमयू के बाबे सैयद पहुंचे थे। कुछ कश्मीरी छात्रों पर देशद्रोह का भी मुकदमा एसएसपी के आदेश पर हुआ। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के कुर्की वारंट तक जारी हुए। छात्रों ने एसएसपी का  विरोध किया। बाद में सबकुछ शांत हो गया। एएमयू प्रकरण से उभरे एसएसपी एनकाउंटर में घिर गए। साहनी के कार्यकाल में 36 से अधिक मुठभेड़ हुईं, इनमें साथ इनामी बदमाश मारे गए, कई घायल हुए। इस कार्रवाई से एसएसपी अपराधियों में भय व्याप्त करने में तो सफल रहे, मगर अपनी ही बनाई कहानी पर उठे सवालों में घिर गए। छहमाह गिरोह का सरगना बताकर जिस भीका और उसके तीन साथियों को ढेर किया गया, उनके मूल पते और आपराधिक इतिहास के बारे में पुलिस पता न कर सकी। हरदुआगंज का नौशाद, मुस्तकीम एनकाउंटर पुलिस का सिरदर्द बन गया।

शिकायत या रूटीन प्रक्रिया

साहनी कई रसूखदार लोगों की आंखों की किरकिरी बने हुए थे। इनमें कुछ सत्ताधारी भी थे। अचल ताल में दोपहिया वाहनों से चाबी निकालने पर हुए धरना-प्रदर्शन में भाजपा विधायकों ने भी हिस्सा लिया और पुलिस की भत्र्सना की। राज्यमंत्री सुरेश राणा ने भी प्रकरण का संज्ञान लिया था। विद्यार्थी परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पेंद्र पचौरी कहते हैं कि इसी आंदोलन के चलते एसएसपी का ट्रांसफर हुआ है। हालांकि, तब इनके निशाने पर एएसपी नीरज जादौन थे, जो अभी भी वहीं तैनात हैं।

 

थानों की सूरत बदलने के  लिए याद रहेंगे जयप्रकाश

एसपी जयप्रकाश का कार्यकाल केवल चार महीने दस दिन का रहा। 28 अगस्त को उनकी बागपत से हाथरस तैनाती हुई थी। अपनी बेदाग छवि व कार्यशैली के कारण कम समय में जिले में अपनी पहचान बना ली।  घटनाएं तो हुईं, लेकिन उनका पर्दाफाश भी हुआ। उनका फोकस हमेशा घटनाओं को सही ढंग से खोलने पर रहा, चाहे फिर अधिक समय लग जाए। संतकबीर नगर के रहने वाले एसपी जयप्रकाश का स्थानांतरण यहां बागपत से हुआ था। इनसे पहले आइपीएस सुशील घुले पर जिले की कमान थी, जो कि डेढ़ साल तक यहां टिके थे। जयप्रकाश के आते ही तीन सितंबर की रात हतीसा बाइपास पर आगरा के फाइनेंस कर्मी की लूट के लिए गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने एसपी को परेशान किया।

सही घटना खोलने पर था जोर

हाथरस गेट व सर्विलांस टीम को इसके पर्दाफाश पर लगाया था। उनका जोर था कि सही घटना खुले। दो महीने में हाथरस गेट व कोतवाली सदर पुलिस ने जिले की खाक छान दी थी तथा 60 से अधिक बदमाशों को सलाखों के पीछे भेजा था। इसके बाद उस घटना का भी पर्दाफाश हुआ, लेकिन इस बीच हुई कार्रवाइयों के कारण आखिर तक कोई बड़ी वारदात नहीं हुई। अपनी तैनाती के बाद से उन्होंने जिले के सभी 11 थानों व पुलिस कार्यालयों की सूरत बदलवा दी। सिकंदराराऊ, कोतवाली सदर, सासनी, सहपऊ, हसायन का जनसहयोग से कायाकल्प कराया। महिला थाने की भी सूरत बदली तथा यहीं पर परामर्श केंद्र की नींव रखी। कोतवाली के बाहर लगने वाले गंदगी के अंबार को भी हटाने तथा तालाब चौराहा से कोतवाली तक दोनों ओर वृक्षारोपण की भी उनकी योजना थी। हर कदम पर उन्होंने अपने अधीनस्थों का उत्साहवर्धन किया तथा सही काम करने पर जोर दिया। जयप्रकाश की जगह लखनऊ से सिद्धार्थ शंकर मीणा को जिले की कमान सौंपी गई है। जयप्रकाश को लखनऊ में सीबीसीआइडी का एसपी बनाया है। जयपुर के रहने वाले सिद्धार्थ शंकर पिछले चार महीने से मुख्यालय पर संबद्ध थे।


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