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Shradh 2021: पितरों को करें तर्पण, खुशहाल रहेगा जीवन, ऐसे करें पूजा Hathras News

पितृ पक्ष पितरों को तर्पण करने का पर्व है। इसका इंतजार लोगाें को सालभर रहता है। इसमें श्रद्धाभाव के साथ श्राद्ध करने से पितर खुश रहते हैं। पितरों के तृप्त होने से ही परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 05:51 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 05:51 PM (IST)
Shradh 2021: पितरों को करें तर्पण, खुशहाल रहेगा जीवन, ऐसे करें पूजा Hathras News
16 दिनों तक पितरों का वास अपने वंशजों के यहां रहता है।

हाथरस,संवाद सहयोगी। पितृ पक्ष पितरों को तर्पण करने का पर्व है। इसका इंतजार लोगाें को सालभर रहता है। इसमें श्रद्धाभाव के साथ श्राद्ध करने से पितर खुश रहते हैं। पितरों के तृप्त होने से ही परिवार में खुशहाली बनी रहती है। 16 दिनों तक पितरों का वास अपने वंशजों के यहां रहता है।

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पितरों को खुश रखना जरूरी  

पितृ पक्ष भाद्रपदी पूर्णिमा को 20 सितंबर से शुरू हो गया है। इसमें आश्विन मास की अमावस्या तक यह पक्ष छह अक्टूबर को समाप्त होगा। पितृ पक्ष में पूर्वज अपने वंशजों के यहां निवास करने के लिए आते हैं। वंशजों द्वारा इसके लिए पहले से ही तैयारी करके रखी जाती है। तिथि वार उनका तर्पण घरों में परिवार के मुखिया द्वारा किया जाता है। पितरों को खुश करने के लिए उनके मनपसंद भोजन पंचमेल मिष्ठान के साथ उन्हें कराए जाते हैं। धर्माचार्य बताते हैं पितरों को प्रसन्न रहने से घरों में खुशहाली बनी रहती है।

16 दिन श्राद्ध से बनी रहती है हमेशा खुशहाली

पितरों को प्रसन्न करने के लिए घरों में उनका श्राद्ध मृत्यु की तिथि के अनुसार किया जाता है। उसके बाद सामान्य दिनचर्या शुरू हो जाती है। धर्माचार्य बताते हैं कि परलोक से पितर अपने वंशजों के यहां पूरे पितृ पक्ष में बने रहते हैं। इसीलिए लगातार 16 दिनों तक उनका श्राद्ध के द्वारा उनको तृप्त रखना चाहिए। इससे परिवार में हमेशा के लिए खुशहाली बनी रहती है।

विशेष महत्व रखता पितृ पक्ष

आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में जन्म देने वाले मां-बाप पूज्यनीय मानते हैं। मृत्यु के बाद भी उनकी स्मृति बनाए रखने के लिए हर साल पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। पूर्वजों को सम्मान देने व उनकी मुक्ति के लिए तर्पण किया जाता है। पूर्वजों को श्राद्ध उनकी तिथि पर या फिर अमावस्या के दिन करना चाहिए।

साल में 16 दिन पितृ पक्ष के रूप में पूर्वजों के लिए होते हैं। इनमें विधि-विधान के साथ कुशा के आशन पर बैठक कर तर्पण करने से पितर प्रसन्न रहते हैं।

- पं. सीपु जी महाराज, ज्योतिषाचार्य


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