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हॉकी में पूरे साल दिखाएं जुनून तब लौटेगा मुकाम : जफर इकबाल Aligarh news

अलीगढ़ जेएनएन। हॉकी के जादूगर नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद की जन्मतिथि 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक दिन हॉकी खेलते हुए मेजर दादा को नमन करने व उनको सैल्यूट करने की परंपरा सी बन गई है। मगर

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 29 Aug 2021 06:39 AM (IST)Updated: Sun, 29 Aug 2021 06:45 AM (IST)
हॉकी में पूरे साल दिखाएं जुनून तब लौटेगा मुकाम : जफर इकबाल Aligarh news
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जन्मतिथि 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अलीगढ़, जेएनएन।  हॉकी के जादूगर नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद की जन्मतिथि 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक दिन हॉकी खेलते हुए मेजर दादा को नमन करने व उनको सैल्यूट करने की परंपरा सी बन गई है। मगर सिर्फ राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष इसी जोश-ओ-खरोश के साथ हॉकी के प्रति जुनून व जज्बा दिखाने से ही हॉकी खेल में वो मुकाम देश को हासिल होगा जो मेजर दादा ने अपने जमाने में कायम किया था। यह बात दैनिक जागरण से बातचीत में पूर्व ओलंपियन डा. जफर इकबाल ने कहीं।

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देश में हाकी खेल की प्रतिभाएं बहुत हैं

डा. जफर ने कहा कि देश में हॉकी खेल की प्रतिभाएं बहुत हैं। मौजूदा दौर में केंद्र सरकार की ओर से खेल की दिशा में काफी प्रयास भी किए जा रहे हैं। टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पदक जीतने पर पूरे देश में उल्लास था। इससे साबित होता है कि हॉकी के प्रति देशवासियों में लगाव अब भी कायम है। बस, जरूरत है मेजर दादा वाले दौर के जुनून व जज्बे को कायम करने की। बताया कि संसाधन व सुविधाएं तो खुद उनके जमाने में भी कम ही हुआ करती थीं, लेकिन मेजर दादा को आदर्श मानकर मेहनत और लगन से ही ओलिंपिक तक का सफर पूरा किया। खेल के प्रति निष्ठा व लगन है तो संसाधन व सुविधाएं खुद उपलब्ध हो जाती हैं। कहा कि अगर एक दिन की बजाय पूरे वर्ष हॉकी खेल में रुचि व रोमांच बनाया जाए तो सही मायने में यही मेजर ध्यानचंद को सच्चा सैल्यूट होगा।

शिव वाटिका में सम्मान समारोह

जिला ओलंपिक एसोसिएशन की ओर से राष्ट्रीय खेल दिवस पर उन लोगों का सम्मान समरोह किया जाएगा जिन्होंने जमीनीस्तर पर खेल व खिलाड़ियों को बढ़ाने का काम किया है। एसोसिएशन अध्यक्ष मजहर उल कमर ने बताया कि शिव वाटिका तिकोना नगला रोड पर सम्मान समारोह किया जाएगा। इसमें जिला ओलंपिक एसोसिएशन के संस्थापक दिवंगत अशोक चौहान के नाम पर अशोक चौहान खेल रत्न सम्मान से पूर्व एमएलसी विवेक बंसल को नवाजा जाएगा। वॉलीबॉल एसोसिएशन के संस्थापक दिवंगत प्यारेलाल लोधी के नाम पर उनके बेटे समाजसेवी महेंद्र सिंह लोधी को प्यारेलाल लोधी खेल रत्न सम्मान से नवाजा जाएगा। इनको 11 हजार रुपये नकद राशि देकर पुरस्कृत भी किया जाएगा।

हॉकी के फाइनल मुकाबला आज

स्पोट्र्स स्टेडियम में राष्ट्रीय खेल दिवस पर दो दिवसीय हॉकी प्रतियोगिता का शुभारंभ शनिवार को किया गया। क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी रानी प्रकाश ने बताया कि सुबह 10 बजे से मैच शुरू कराए गए। लीग मैच के बाद सेमीफाइनल मुकाबले कराए गए। पहले सेमीफाइनल में अलीगढ़ जिला संघ टीम ने स्मार्ट किड्स पब्लिक स्कूल टीम को 3-1 से हराकर फाइनल में जगह बनाई। दूसरे सेमीफाइनल में ग्रास हॉकी अकादमी टीम ने बाबूलाल जैन इंटर कालेज की टीम को 4-0 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। रविवार को दोपहर 3.30 बजे फाइनल मुकाबला कराकर पुरस्कार वितरण कार्यक्रम किया जाएगा। डिप्टी स्पोट्र्स आफिसर विजय कुमार सिंह ने बताया कि छह टीमों ने प्रतिभाग किया। मानक के अनुरूप मैदान न तैयार होने पर कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पार्थिव देह के अंतिम दर्शन का कार्यक्रम स्टेडियम में रखा गया था। व्यवस्था बनाने में कई जगह गड्ढे भी खोदे गए। मेजर साहब को नमन करने को जल्दी से जल्दी मैदान तैयार किया है।

हॉकी संघ व प्रशिक्षक की है दरकार

जिले में हॉकी खिलाड़ियों को जिला हॉकी एसोसिएशन और प्रशिक्षक की दरकार जरूर है। अभी जिले में न तो कोई हॉकी एसोसिएशन है और न ही स्टेडियम में कोई प्रशिक्षक उपलब्ध है। यही कारण है कि मौजूदा समय में स्टेडियम में हॉकी खेल में कोई भी बालक या बालिका खिलाड़ी पंजीकृत नहीं है। इसकी पीड़ा भी हॉकी के प्रशिक्षु खिलाड़ियों को है। उन्होंने अपनी पीड़ा बताते हुए क्या कहा? आप भी जानिए...।

इनका कहना है

बिना एसोसिएशन व प्रशिक्षक हॉकी में आगे बढ़ने की की कल्पना नहीं की जा सकती। मैदान भी मानक के अनुरूप नहीं है। जरूरी संसाधन मुहैया होने चाहिए।

हर्ष गोस्वामी

किसी भी जिले में खेल की एसोसिएशन व प्रशिक्षक होना तो शुरुआती दो सीढ़ियां हैं। इनके बिना सफलता की सीढ़ी चढ़ना नामुमकिन है।

हिमांशी गुप्ता

एसोसिएशन न होने से डिस्ट्रिक्ट, स्टेट चैंपियनशिप नहीं मिल पाती हैं। प्रशिक्षक न होने से भी दिशाहीन प्रैक्टिस होती है। स्टेडियम में हॉकी प्रशिक्षक जरूरी है।

किरन

स्टेडियम में प्रशिक्षक न होने से हॉकी खेल में पंजीकरण नहीं हो सकता। एसोसिएशन व मैदान भी नहीं हैं। खिलाड़ी क्लबों में जाने को मजबूर हाेते हैं।

मोहम्मद अरशद


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