Move to Jagran APP

सैनिटाइजर से नहीं धुलेगा अलीगढ़ के पंडित दीनदयाल अस्पताल पर लगा बदनुमा दाग aligarh news

सपने में गुमान नहीं होगा कि अपने शहर में उसे ऐसा दर्द मिलेगा जिसकी टीस ताउम्र महसूस होती रहेगी। डॉक्टर जिसे भगवान समझा था वह शैतान बन जाएगा।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 07:24 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 07:24 PM (IST)
सैनिटाइजर से नहीं धुलेगा अलीगढ़ के पंडित दीनदयाल अस्पताल पर लगा बदनुमा दाग aligarh news
सैनिटाइजर से नहीं धुलेगा अलीगढ़ के पंडित दीनदयाल अस्पताल पर लगा बदनुमा दाग aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)। पिछले दिनों पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय के महिला कोविड वार्ड में ऐसी शर्मनाक घटना हुई, जिसे भी पता चला सन्न रह गया। कोरोना संक्रमित युवती से यह बर्ताव। वह युवती जो नौकरी के लिए वर्षों से दूसरे शहर में अकेली रही, पर कोई परेशानी नहीं हुई। इलाज के लिए वापस आई तो यह दाग लग गया। उसे सपने में गुमान नहीं होगा कि अपने शहर में उसे ऐसा दर्द मिलेगा, जिसकी टीस ताउम्र महसूस होती रहेगी। डॉक्टर जिसे भगवान समझा था, वह शैतान बन जाएगा। कोरोना अस्पताल, जिनमें सीएमओ से लेकर डीएम और प्रमुख सचिव तक लगातार दौरा कर रहे हैं, उसमें ऐसे दुस्साहस की हिम्मत कोई कैसे कर सकता है? पहले भी ऐसे मामले सामने आए और रफा-दफा हो गए। इस मामले में डॉक्टर पर भले ही कोई कार्रवाई हो जाए, अस्पताल के माथे पर तो बदनुमा दाग लग ही गया है। यह दाग सैनिटाइजर से नहीं धुलेगा।

loksabha election banner

नाम में तो बहुत कुछ रखा है

शेक्सपियर ने कहा है कि 'व्हाट इज इन नेमÓ यानी नाम में क्या रखा है? मसलन गुलाब को गुलाब न कहके दूसरा नाम देंगे तो क्या उसकी खुशबू गुलाब जैसी नहीं रहेगी। मशहूर शायर भी नाम को लेकर जुमलेबाजी करते रहे हैं। शेक्सपियर की बात में दम है कि नहीं यह सोचना चाहिए, मगर स्वास्थ्य महकमा इसे दूसरे रूप में ले रहा है। जिले में एक-दो नहीं, दर्जनों ऐसे अस्पताल खुले हुए हैं, जिनके खिलाफ पूर्व में मरीजों के जीवन से खिलवाड़ होने पर कार्रवाई हुई। लाइसेंस रद किए गए। पंजीकरण भी निरस्त हुए, लेकिन कुछ समय बाद ही हॉस्पिटल नए नाम से फिर से संचालित होने लगे। विभागीय सांठगांठ से ऐसे हॉस्पिटल मरीजों के लिए कत्लगाह बन गए हैं। हर बार कार्रवाई के नाम पर दिखावा होता है, कई बार वो भी नहीं। असमय काल के गाल में समाए लोगों के परिवारवालों की चीख अफसरों को सुनाई नहीं देती। 

दामादजी के लिए व्यवस्था मंजूर

विकास दुबे का एनकाउंटर हो या फिर राजस्थान का राजनीतिक मसला। विपक्षी पार्टियों के नेता सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। ऐसा कोई मुद्दा नहीं बच रहा, जिसके जरिये विपक्ष सरकार पर हमला करने का मौका गंवा रहा हो। गनीमत ये है कि पक्ष-विपक्ष के बीच इतना बखेड़ा होने के बाद भी भाई-भतीजावाद की भावना अवशेष है। पिछले दिनों बहनजी की पार्टी के नेताजी को महामारी ने जकड़ लिया। अस्पताल में भर्ती होते ही मोर्चा खोल दिया। हर व्यवस्था पर उंगली उठाई और सुधार की मांग की। सरकार पर भी हमले किए। हैरत की बात ये है कि अचानक ही नेताजी के तेवर नरम पड़ गए। डिस्चार्ज हुए तो सुविधाओं के पुल बांधते हुए। फीलगुड महसूस करते हुए। सब चौंके कि नेताजी को क्या हुआ? पता चला है कि अस्पताल के इंंचार्ज पार्टी के पुराने नेता के दामाद हैं। अब दामाद की लाज तो रखनी पड़ेगी ना। 

जांच को तमाशा मत बनाइए

यह किसी से छिपा नहीं हैं कि कोरोना संक्रमित या फिर संदिग्ध मरीजों के प्रति लोग कैसी भावना रख रहे हैं? ऐसेे में तमाम लोग अपनी बीमारी को छुपाने भी लगे हैं। संक्रमित मरीजों की संख्या बढऩे की एक वजह ये भी है। अफसोस, जिलास्तरीय अस्पताल में कोविड-19 जांच को तमाशा बना दिया है। फीवर क्लीनिक के ठीक सामने सामाजिक संस्था का दान किया गया बूथ रख दिया गया है। रोजाना 15 से 20 लोगों का यहां एक साथ इक_ा कर लिया जाता है। एक कर्मचारी बूथ के अंदर जाकर खड़ा हो जाता है। वहीं से मरीज के गले से स्वैब लेकर उसे सुरक्षित रख लेता है। इस दौरान अस्पताल में आए अन्य मरीज व तीमारदार भी जुट जाते हैं। जांच कराने आए काफी मरीज तो यह व्यवस्था देख लौट जाते हैैं, मगर इससे प्रबंधन को क्या? लोगों का कहना है कि अस्पताल के ठीक मध्य जांच नहीं होनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.