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चहेती फर्म को टेंडर देने के लिए ताक पर रखे थे नियम Aligarh News

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर योगी सरकार समझौता नहीं करेगी। सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल को हटाकर इसका संदेश फिर दे दिया है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 11:34 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 11:34 AM (IST)
चहेती फर्म को टेंडर देने के लिए ताक पर रखे थे नियम Aligarh News
चहेती फर्म को टेंडर देने के लिए ताक पर रखे थे नियम Aligarh News

अलीगढ़ [जेएनएन]: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर योगी सरकार समझौता नहीं करेगी। सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल को हटाकर इसका संदेश फिर दे दिया है। कार्रवाई लाजिमी भी थी, चहेती फर्म को नौ करोड़ टेंडर देने के लिए अधिकारियों ने नियम भी ताक पर रख दिए थे।

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ये था मामला

वित्तीय वर्ष 2018-19 में दीनदयाल अस्पताल व अतरौली के 100 शैय्या अस्पताल को उच्चीकृत करने के लिए शासन से नौ करोड़ रुपये मिले थे। 21 फरवरी 2019 को नियमविरुद्ध दोनों अस्पतालों का संयुक्त टेंडर निकाल दिया गया। शर्त ऐसी रखी गईं, जिन्हें चहेती फर्म ही पूरी कर पाए। शर्त जोड़ी गई कि 28 फरवरी 2019 तक नौ करोड़ की सामग्र्री की आपूर्ति करनी होगी, जबकि तकनीकी निविदा 27 फरवरी की दोपहर व वित्तीय निविदा शाम को खोली गई। टेंडर प्रक्रिया की कोई शिकायत न कर सके, उसमें ऐसी शर्त जोड़ दी कि ऐसा करने के लिए टेंडर प्रपत्र मूल्य 11 हजार 800 रुपये व एक लाख रुपये का नॉन रिफंडेबल एफडीआर या डिमांड ड्राफ्ट जमा करना होगा। सांसद व विधायकों को भी कोई छूट नहीं दी गई। अन्य शर्तें भी ऐसी ही थीं।

डीएम ने बैठाई जांच

दैनिक जागरण में खबरें छपने के बाद डीएम ने टेंडर के साथ सामान की गुणवत्ता परखने के लिए भी जांच कराई। रिपोर्ट में सीएमओ डॉ. अग्र्रवाल, दीनदयाल अस्पताल की सीएसएस डॉ. याचना शर्मा, अतरौली अस्पताल के तत्कालीन इंचार्ज रहे जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर समेत कई बाबुओं की भूमिका संदिग्ध मानी गई।

सामान भी घटिया

टेंडर घोटाले के तार लखनऊ से भी जुड़े हुए हैं। फर्म पर निर्माताओं से अधिकृत पत्र न लेकर सीधे बाजार से घटिया सामान खरीदने का आरोप है। जिन उपकरणों का टेंडर हुआ, लखनऊ से  उनके स्पेशिफिकेशन तक नहीं दिए गए। यदि अलमारी या मेज खरीदनी है तो कीमत निर्धारित कर दी गई, किस साइज और कंपनी की यह होंगी, इसका विवरण नहीं दिया। इससे घटिया सामान महंगे दामों पर खरीदा गया।

घोटाले ने कराई किरकिरी

डीएम ने करीब दो माह पूर्व ही अपनी रिपोर्ट प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) व अन्य अधिकारियों को भेज दी, मगर लखनऊ में बैठी शक्तियां कार्रवाई को रोके रहीं। दैनिक जागरण ने इसके खिलाफ भी खबरें छापीं। कार्रवाई न होने से सरकार की भी किरकिरी होने लगी। जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई कराने का नैतिक दबाव बना। कोल विधायक अनिल पाराशर व बरौली विधायक दलवीर सिंह खुलकर घोटाले के खिलाफ खड़े हुए। अनिल पाराशर ने पिछले सप्ताह ही स्वास्थ्य मंत्री को पूरे मामले अवगत कराया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ओएसडी व प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को भी पत्र दिया।

50 लाख के फर्नीचर घोटाले में भी होनी है कार्रवाई

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए मार्च 2019 में करीब 50 लाख का फर्नीचर व अन्य सामान खरीदा गया। इसमें भी बाजार दर से महंगा और घटिया सामान खरीदा गया। डीएम ने इसकी जांच भी सीडीओ से कराई, इसमें भी सीएमओ व अन्य की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इसी तरह आउटसोर्सिंग से रखे गए 11 एमसीटीएस के डाटा इंट्री ऑपरेटर्स का समायोजन भी नियमविरुद्ध किया गया। डेढ़ लाख की एडवांस डेंटल चेयर पांच लाख में खरीदने का मामला भी सुर्खियों में रहा। ऐसे कई घपले-घोटाले उनके तीन साल के कार्यकाल में हुए।


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