Ward's voice : लापरवाह व्यवस्था में अलीगढ़ का रजानगर लाचार, पांच साल बीते कहां हो सरकार
Wards voice निकाय चुनाव नजदीक है। ऐसे में नेताओं की चहल कदमी शुरू हो गयी है। 2017 में नगर निगम सीमा में शामिल रजानगर के लिए वादो इरादों की पोटली खुलने वाली है हकीकत ये है कि पांच सालों में इस क्षेत्र को कोई सुविधा नहीं मिली है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Ward's voice : शहरी सीमा में शामिल जिन क्षेत्रों के विकास के लिए प्रदेश सरकार ने पांच साल का समय दिया था, वहां हालात तो देखिए। नाली, खड़ंजा तो दूर पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है। ‘आवाज वार्ड की’ अभियान के तहत दैनिक जागरण की टीम ने बुधवार को इस वार्ड में समस्याएं देखीं। उन परेशानियों को भी महसूस किया, जिनसे स्थानीय लोग हर रोज जूझते हैं। उबड़-खाबड़ सड़कों पर राहगीर ठोकरें खाते हैं। बच्चों को घरों से इसलिए नहीं निकाला जाता कि गिरकर कहीं चोट न लग जाए। बरसात के दिनों में तो स्थिति और बिगड़ जाती है। मुख्य मार्ग तो आरसीसी का करा दिया पर, जलनिकासी प्रभावी न हो सकी। ये हालात देखने न जनप्रतिनिधि आगे आए, न अफसर। निकाय चुनाव के शंखनाद के साथ क्षेत्र में नेताओं की चहल-कदमी शुरू हो गई है। दावे-वादों की पोटली लेकर ये घर-घर दस्तक दे रहे हैं। इनमें से कितने पूरे करेंगे, ये चुनाव बाद पता चलेगा।
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2017 में रजानगर नगर निगम सीमा में शामिल हुआ
नगर निगम की विस्तारित सीमा में रजानगर 2017 में शामिल हुआ था। वार्ड 61 के इस क्षेत्र में आबादी वर्षों पूर्व बस गई। पर, सड़क, सफाई, पेयजल, पथ प्रकाश जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकीं। नगर निगम कुछ घरों को संपत्ति कर के दायरे ले आया। तभी, प्रदेश सरकार ने पहले विकास, फिर कर वसूली, का आदेश देकर निगम के कदम थाम दिए। विकास कार्याें के लिए पांच साल का समय था। जिम्मेदारी क्षेत्रीय पार्षद को दी गई। मुख्य मार्ग तो पहले ही बन चुका था पर, जलनिकासी की व्यवस्था अब तक सुनिश्चित न हो सकी।
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लोगों में नाराजगी
क्वार्सी-धौर्रा माफी बाईपास से सटे इस क्षेत्र में प्रवेश करते ही जलभराव से सामना होता है। नालियां चोक पड़ी हैं। क्षेत्रीय लोगों की माने तो सफाई कर्मचारी कभी-कभार ही आते हैं। निगम अधिकारी तो आते ही नहीं। मुख्य मार्ग पर आगे बढ़ते ही नई आबादी शुरू हो जाती है। रजानगर-निसातबाग के मध्य बह रहा नाला कचरे से अटा पड़ा है। इसी नाले से सटी आबादी ऊपर वाले के भराेसे जीवन गुजार रही है। यहां न सड़कें हैं, न नालियां, वाटर लाइन तक नहीं डाली गई। स्ट्रीट लाइट भी नहीं लगी। दिन ढलते ही पूरा क्षेत्र अंधेरे में डूब जाता है। बरसात के दिनों में नाला अक्सर कटता है। तब लोगों पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ता है। घरों के आगे दो से तीन फीट पानी भर जाता है। महिला, बच्चे तो घरों से निकल ही नहीं पाते। जलनिकासी के लिए पंपसेट, सीवर सकर मशीन जैसे कोई इंतजाम नहीं किए जाते। स्थानीय लोग ही बरसात थमने पर पानी निकालने के लिए मशक्कत करते हैं। क्षेत्रीय लोगों की मांग है कि जनप्रतिनिधि ज्यादा न कर सकें तो सड़क ही बनवा दें। कहते हैं, वोट मांगने नेता आए तो क्षेत्र का भ्रमण जरूर कराएंगे।
जुगाड़ के सेतु पर अटक जाती सांसें
रजानगर-निसातबाग के मध्य नाला जानलेवा साबित हो रहा है। अब तक दो लोगों को ये निगल चुका है। इसी नाले पर क्षेत्रीय लोगों ने बांस-बल्ली से जुगाड़ का सेतु बना रखा है। इसी से होकर लोग दूसरी ओर जाते है। कोई और मार्ग भी नहीं है। इस सेतु से गुजरते वक्त बच्चे, महिलाओं की तो सांसें अटक जाती हैं। जरा सी चूक हुई नहीं कि सीधा नाले में। छोटे बच्चों का खतरा अधिक है। खेलते-कूदते कब यहां आ जाएं। यही वजह है कि बच्चों को महिलाएं घरों से निकलने नहीं देतीं। निकल भी जाएं तो नजर बनाए रखती हैं। यहां पुलिया बनवाने की मांग कई बार उठ चुकी है पर, जिम्मेदार चुप्पी साधे रहे। सलमान बताते हैं कि आइजीआरएस पोर्टल पर पुलिया के संबंध में शिकायत की थी। नगर निगम ने सफाई कराने का दावा कर निस्तारण दिखा दिया।
वार्ड पर नजर
वार्ड संख्या, 61
आबादी, 30 हजार
मतदाता, 853
नलकूप, नहीं
स्वास्थ्य केंद्र, नहीं
प्राथमिक स्कूल, एक
इनका कहना है
बहुत बुरे हालात हैं। सड़क बनवाने की मांग समय-समय पर करते रहे हैं। मुख्य मार्ग तो कई साल पहले बन गया पर, गली-मोहल्लों में कोई काम नहीं हुआ।
- हकीम, रजानगर
घर तक जाना दूभर हो जाता है। उबड़-खाबड़ सड़कों पर हर रोज कोई न कोई ठोकर खाकर गिरता है। बरसात के दिनों में तो बुरा हाल हो जाता है।
- सलमान, रजानगर
कई बार शिकायतें हो चुकी हैं। कोई सुनवाई नहीं करता। न कोई नेता आता है, न ही अधिकारी। नालियां तक नहीं बनाई जा सकीं।
- अफसाना, रजानगर
नाले के किनारे न बाउंड्री कराई गई, न ही पटरी पक्की हो सकीं। खतरा बना रहता है। बांस-बल्ली लगाकर पुल बनाया है, इसी से निकलते हैं।
- समरीन, रजानगर
सड़क व पेयजल व्यवस्था के लिए कई बार नगर निगम में लिखकर दे चुके हैं पर, सुनवाई नहीं हो रही। बोर्ड बैठकों में भी प्रस्ताव दिए गए।
- शाकिर अली, क्षेत्रीय पार्षद